बस कुछ घंटे और... Tracker में देखिए कहां पहुंचा शुभांशु का यान, अंतरिक्ष स्टेशन से कितनी दूरी बाकी

ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला 25 जून 2025 को एक्सिओम-4 मिशन के तहत स्पेसएक्स ड्रैगन यान से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की ओर रवाना हुए. 26 जून 2025 को भारतीय समयानुसार शाम 4:30 बजे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से जुड़ेगा. शुभांशु यान स्पेस स्टेशन से 400 मीटर नीचे और 7 किलोमीटर पीछे है.

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इस ट्रैकर में लाल तीर से दिखाया जा रहा स्पेस स्टेशन. ड्रैगन कैप्सूल धरती के पीछे की तरफ होने की वजह से नहीं दिख रहा है. इस ट्रैकर में लाल तीर से दिखाया जा रहा स्पेस स्टेशन. ड्रैगन कैप्सूल धरती के पीछे की तरफ होने की वजह से नहीं दिख रहा है.

ऋचीक मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 26 जून 2025,
  • अपडेटेड 11:07 AM IST

भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने 25 जून 2025 को एक्सिओम-4 (Ax-4) मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की ओर अपनी ऐतिहासिक उड़ान शुरू की. यह मिशन भारत के लिए गर्व का पल है, क्योंकि 41 साल बाद कोई भारतीय अंतरिक्ष में गया है. शुभांशु पहले भारतीय होंगे जो ISS पर पहुंचेंगे.

स्पेसएक्स ड्रैगन अंतरिक्ष यान, जो फाल्कन-9 रॉकेट पर सवार था 25 जून को दोपहर 12:01 बजे IST नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर, फ्लोरिडा से लॉन्च हुआ. यह यान 26 जून, 2025 को शाम 4:30 बजे IST ISS के साथ डॉक करने वाला है. 

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यह भी पढ़ें: 450 KM दूर स्टेशन पहुंचने में शुभांशु को क्यों लगेंगे 28 घंटे? समझिए अंतरिक्ष यात्रा का पूरा रूट

अंतरिक्ष यात्रा की वर्तमान स्थिति

26 जून 2025 सुबह 10:40 बजे तक, स्पेसएक्स ड्रैगन अंतरिक्ष यान 28 घंटे की यात्रा के बीच में है. ISS की ओर बढ़ रहा है. यह यान 7.8 किमी/सेकंड (28,000 किमी/घंटा) की रफ्तार से पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा है. ड्रैगन यान लगभग 418 किमी ऊंचाई पर निम्न पृथ्वी कक्षा (Low Earth Orbit) में है. ISS के साथ डॉकिंग के लिए तैयार हो रहा है.

डॉकिंग का समय: यान का ISS के हार्मनी मॉड्यूल से 26 जून, 2025 को शाम 4:30 बजे IST डॉक करने का लक्ष्य है. यह प्रक्रिया स्वचालित (autonomous) होगी, लेकिन शुभांशु मिशन पायलट के रूप में यान की गति, कक्षा और सिस्टम की निगरानी करेंगे. 

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ड्रैगन यान का ISS के साथ डॉकिंग एक जटिल और सटीक प्रक्रिया है, जो 12-24 घंटे बाद होती है. यह पूरी तरह स्वचालित है, लेकिन शुभांशु इस दौरान निगरानी करेंगे. जरूरत पड़ने पर मैनुअल नियंत्रण करेंगे. डॉकिंग की प्रक्रिया इस प्रकार है...

रेंडेजवू (Rendezvous)

ड्रैगन यान ISS की कक्षा के साथ संरेखित होने के लिए 90 सेकंड के इंजन फायरिंग के साथ अपनी गति और दिशा समायोजित करता है. यह ISS से 400 मीटर नीचे और 7 किमी पीछे शुरू होता है. यान कई वेटपॉइंट्स (चेकपॉइंट्स) से गुजरता है, जहां स्पेसएक्स और नासा के ग्राउंड कंट्रोलर सिस्टम की जांच करते हैं.

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पास पहुंचेगा (Close Approach)

400 मीटर की दूरी पर, ड्रैगन ISS के साथ सीधा संचार शुरू करता है. 200 मीटर पर, यह सुरक्षित पथ पर कम से कम 6 घंटे तक रह सकता है, ताकि कोई जोखिम न हो.

अंतिम कदम (Final Approach)

20 मीटर की दूरी पर, ड्रैगन लेजर सेंसर और कैमरों का उपयोग करके हार्मनी मॉड्यूल के डॉकिंग पोर्ट के साथ सटीक अलाइन करता है. यह कुछ सेंटीमीटर प्रति सेकंड की गति से आगे बढ़ता है. शुभांशु यान की गति, कक्षा और सिस्टम (एवियोनिक्स, प्रणोदन, जीवन समर्थन) की निगरानी करेंगे. आपात स्थिति में मैनुअल नियंत्रण लेंगे.

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सॉफ्ट और हार्ड कैप्चर

  • सॉफ्ट कैप्चर: मैग्नेट यान को डॉकिंग पोर्ट की ओर खींचते हैं.
  • हार्ड कैप्चर: मैकेनिकल लैच और हुक यान को सुरक्षित करते हैं. एक दबाव-रोधी सील बनाई जाती है.

प्रवेश से पहले

डॉकिंग के बाद, 1-2 घंटे की जांच होती है, जिसमें हवा के रिसाव और दबाव की स्थिरता की जांच की जाती है. इसके बाद, ISS और ड्रैगन के हैच खोले जाते हैं. क्रू ISS में प्रवेश करता है. 

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