दिल्ली का प्रदूषण हर सर्दी में सिरदर्द बन जाता है. दिवाली के बाद हवा इतनी जहरीली हो जाती है कि सांस लेना दूभर हो जाता है. इसी से निपटने के लिए दिल्ली सरकार क्लाउड सीडिंग से कृत्रिम बारिश कराने जा रही है. ये तकनीक बादलों में रसायन डालकर बारिश कराती है. खास बात ये है कि विमान में 8-10 केमिकल पैकेट लगे होंगे, जिन्हें बटन दबाकर ब्लास्ट किया जाएगा. 23 अक्टूबर 2025 को कानपुर से मेरठ पहुंचा विशेष विमान अगले तीन दिनों में ये जादू दिखा सकता है.
क्लाउड सीडिंग मौसम बदलने की तकनीक है. इसमें नम बादलों में रसायन डालकर पानी की बूंदों को जोड़ा जाता है, ताकि वे भारी होकर बरस पड़ें. ये सामान्य बारिश से अलग है, क्योंकि यहां इंसान मदद करता है. दिल्ली में ये प्रदूषण साफ करने के लिए है. प्रोजेक्ट की लागत ₹3.21 करोड़ है, जो आईआईटी कानपुर, आईएमडी और दिल्ली सरकार मिलकर चला रहे हैं.
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दिल्ली का प्रोजेक्ट पांच संशोधित सेसना विमानों पर आधारित है. हर विमान 90 मिनट की उड़ान भरेगा. मुख्य तरीका ये है...
1. तैयारी
विमान के दोनों पंखों (विंग्स) के नीचे 8 से 10 जेबें या पैकेट लगाए जाते हैं. इन पैकेट्स में रसायन भरे होते हैं – मुख्यतः सिल्वर आयोडाइड, पोटैशियम आयोडाइड या ड्राई आइस (ठंडा कार्बन डाइऑक्साइड). कभी-कभी नमक का इस्तेमाल भी. ये रसायन पानी की बूंदों के लिए 'बीज' का काम करते हैं.
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2. उड़ान
विमान नम बादलों के बीच उड़ता है. दिल्ली-एनसीआर के प्रदूषित इलाकों, जैसे उत्तर-पश्चिम दिल्ली पर फोकस. एक उड़ान 100 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र कवर करेगी. ऊंचाई 3-5 किलोमीटर.
3. ब्लास्ट का जादू
पायलट बटन दबाता है. इससे पैकेट्स ब्लास्ट हो जाते हैं – यानी रसायन बादलों में फैल जाते हैं. रसायन कण पानी की बूंदों से चिपकते हैं, जो बड़ी बूंदें बनाकर बरस पड़ती हैं. ये प्रक्रिया 20-30 मिनट में शुरू हो जाती है. बारिश हल्की होगी, लेकिन प्रदूषक (जैसे पीएम2.5) धो लेगी.
हवा साफ: बरसात से धुआं, धूल और जहरीले कण धुल जाएंगे. दिल्ली का AQI अक्सर 300-400 तक पहुंचता है, जो खतरनाक है. ये 100-200 तक ला सकता है. सिर्फ प्रदूषित इलाकों पर टारगेट होगा. बिना पूरे शहर को भिगोए. दुनिया में चीन, यूएई जैसे देश सालों से करते हैं. चीन ने 2008 ओलंपिक में 40% प्रदूषण कम किया.
आजतक साइंस डेस्क