दिल्ली की हवा हर साल सर्दियों में जहरीली हो जाती है. दिवाली के बाद धुंध इतनी गाढ़ी हो जाती है कि सांस लेना मुश्किल हो जाता है. इसी समस्या से निपटने के लिए दिल्ली सरकार आर्टिफिशियल बारिश की कोशिश कर रही है. इसे क्लाउड सीडिंग कहते हैं. ये तकनीक बादलों में रसायन डालकर बारिश कराती है. लेकिन ये सामान्य बारिश से बिल्कुल अलग है.
क्लाउड सीडिंग एक वैज्ञानिक तरीका है, जिसमें मौजूद बादलों में खास रसायन डाले जाते हैं ताकि बारिश हो जाए. ये रसायन पानी की बूंदों या बर्फ के कणों को जोड़ने में मदद करते हैं. मुख्य रसायन हैं सिल्वर आयोडाइड, ड्राई आइस (ठंडा कार्बन डाइऑक्साइड) या नमक (जैसे आयोडाइज्ड सॉल्ट).
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ये तरीका 1940 के दशक से इस्तेमाल हो रहा है. अमेरिका, चीन और यूएई जैसे देश पानी की कमी या प्रदूषण कम करने के लिए करते हैं. दिल्ली में ये हवा साफ करने के लिए है. परियोजना का नाम है 'टेक्नोलॉजी डेमॉन्स्ट्रेशन एंड इवैल्यूएशन ऑफ क्लाउड सीडिंग फॉर दिल्ली एनसीआर पॉल्यूशन मिटिगेशन. इसकी लागत ₹3.21 करोड़ है.
सामान्य बारिश प्रकृति का कमाल है. बादल बनते हैं, हवा ठंडी होती है, नमी जमा होकर बूंदें बनाती हैं और बरस पड़ती हैं. ये प्रक्रिया बिना किसी मदद के चलती है. लेकिन क्लाउड सीडिंग में इंसान हस्तक्षेप करता है. मुख्य फर्क ये हैं...
क्लाउड सीडिंग 'बादल को झटका देकर' बारिश उकसाती है, जबकि सामान्य बारिश 'प्रकृति का नृत्य' है.
दिल्ली का प्रोजेक्ट आईआईटी कानपुर, आईएमडी और आईआईटीएम पुणे ने बनाया. 5 संशोधित सेसना विमान इस्तेमाल होंगे. हर उड़ान में रसायन छिड़के जाते हैं.
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ये उदाहरण दिखाते हैं कि सफलता मौसम पर निर्भर है.
क्लाउड सीडिंग सुरक्षित मानी जाती है, लेकिन गड़बड़ होने पर नुकसान हो सकता है. मुख्य जोखिम...
स्वास्थ्य जोखिम: सिल्वर आयोडाइड कम विषैला है, लेकिन ज्यादा एक्सपोजर से सांस या त्वचा में जलन. अस्थमा वाले मरीजों को खतरा. बारिश का पानी रसायनों से दूषित हो सकता है, जो पीने से पेट की समस्या. अध्ययन कहते हैं, सामान्य स्तर पर सुरक्षित, लेकिन बड़े पैमाने पर नुकसान संभव है.
पर्यावरण जोखिम: मिट्टी-जल में रसायन जमा हो सकते हैं. नीचे के इलाकों में अनचाही बारिश या सूखा. जलवायु परिवर्तन से प्रभाव कम हो सकता है.
अन्य जोखिम: अगर बादल न हों तो पैसे बर्बाद. अमेरिका में 10 राज्य प्रतिबंधित कर चुके, क्योंकि लोग इसे 'मौसम बदलना' समझते हैं. लागत ज्यादा – दिल्ली का ₹3 करोड़ सिर्फ ट्रायल.
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अमेरिकी GAO रिपोर्ट (2025) कहती है, जोखिम कम हैं लेकिन लंबे समय के अध्ययन जरूरी. क्लाउड सीडिंग दिल्ली की प्रदूषण समस्या के लिए नई उम्मीद है. ये सामान्य बारिश से छोटी लेकिन लक्षित है, जो 5-15% ज्यादा पानी ला सकती है. लेकिन बिना बादल के बेकार.
आजतक साइंस डेस्क