अंटार्कटिका के पेनिन्सुला पर स्थित हेक्टोरिया ग्लेशियर ने वैज्ञानिकों को चौंका दिया है. यह ग्लेशियर सिर्फ 15 महीनों (जनवरी 2022 से अप्रैल 2023 तक) में 25 किलोमीटर पीछे खिसक गया – यह आधुनिक इतिहास का सबसे तेज पिघलाव है, जो पहले के रिकॉर्ड से 10 गुना तेज है. वैज्ञानिकों का कहना है कि इससे दूसरे ग्लेशियर भी प्रभावित हो सकते हैं. समुद्र का स्तर तेजी से बढ़ सकता है.
सबसे ज्यादा नुकसान नवंबर-दिसंबर 2022 में हुआ, जब ग्लेशियर 8 किलोमीटर पीछे हट गया. वैज्ञानिकों ने इसे ग्लेशियल अर्थक्वेक कहा, क्योंकि टूटते हिमखंडों से भूकंप जैसे कंपन दर्ज हुए.
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कोलोराडो बोल्डर विश्वविद्यालय की नाओमी ओचवाट और उनकी टीम ने अध्ययन किया. उनका कहना है...
टीम के सदस्य टेड स्कैम्बोस ने इसे शॉकिंग बताया और कहा कि इससे दूसरे बड़े ग्लेशियरों के लिए खतरा बढ़ गया है.
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यह अध्ययन वैज्ञानिकों में बहस का विषय बन गया है. कुछ विशेषज्ञ सहमत नहीं...
हेक्टोरिया छोटा ग्लेशियर है (करीब फिलाडेल्फिया शहर जितना बड़ा), लेकिन अगर यही तरीका बड़े ग्लेशियरों जैसे थ्वाइट्स या पाइन आइलैंड पर लागू हुआ, तो समुद्र स्तर तेजी से बढ़ सकता है. वैज्ञानिक कहते हैं कि जलवायु परिवर्तन से अंटार्कटिका की बर्फ तेजी से पिघल रही है. ऐसे घटनाओं से हमें सतर्क रहना चाहिए. अध्ययन नेचर जियोसाइंस जर्नल में छपा है. दुनिया भर के वैज्ञानिक अब और सैटेलाइट डेटा जुटाकर इसकी जांच कर रहे हैं ताकि भविष्य की आपदाओं से बचा जा सके.
आजतक साइंस डेस्क