ईरान में कई महीनों के भयानक सूखे के बाद सोमवार (17 नवंबर 2025) को पश्चिमी इलाकों में तेज बारिश हुई, जिससे कई जगहों पर बाढ़ आ गई. मौसम विभाग ने पहले ही 6 पश्चिमी प्रांतों में बाढ़ की चेतावनी जारी की थी और कहा था कि देश के 31 में से 18 प्रांतों में बारिश होगी. यह बारिश वीकेंड पर शुरू हुई क्लाउड सीडिंग के बाद आई, लेकिन विशेषज्ञ कहते हैं कि यह संकट का स्थायी समाधान नहीं है.
ईरान दशकों का सबसे खराब बारिश-पानी का संकट झेल रहा है. इस साल औसत से 85% कम बारिश हुई है. झीलें, बांध और जलाशय सूख गए हैं. राजधानी तेहरान के कई हिस्सों में नल से पानी नहीं आ रहा है. कुछ प्रांतों में बारिश का मौसम शुरू हुए 50 दिन हो गए, लेकिन एक बूंद पानी नहीं गिरा. शहरों में पानी की राशनिंग हो रही है. लोग पानी की टंकियां खरीदने के लिए लाइनों में लगे हैं.
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अधिकारी कहते हैं कि अगर यही हाल रहा तो तेहरान जैसे शहरों में रहना मुश्किल हो जाएगा.
लंबे सूखे से मिट्टी इतनी सूखी और सख्त हो गई कि वह पानी सोख नहीं पाती. जैसे ही बारिश हुई, पानी तेजी से बहने लगा और फ्लैश फ्लड आ गई. पश्चिमी प्रांत इलाम और कुर्दिस्तान के कुछ कस्बों में सड़कें और घर पानी में डूब गए. ईरानी मीडिया में बाढ़ के वीडियो वायरल हो रहे हैं, लेकिन ये हल्की बाढ़ बताई जा रही है. मौसम विभाग ने चेतावनी दी कि 17 और 18 नवंबर को और बारिश हो सकती है.
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सूखे से निपटने के लिए सरकार ने वीकेंड पर क्लाउड सीडिंग शुरू की. शनिवार को पहली बार उत्तर-पश्चिम में उर्मिया झील के इलाके में बादलों पर रसायन छिड़के गए. क्लाउड सीडिंग एक तकनीक है जिसमें बादलों में सिल्वर आयोडाइड जैसे रसायन डालकर बारिश बढ़ाई जाती है. यह पानी की कमी वाले इलाकों में इस्तेमाल होती है, लेकिन तभी काम करती है जब मौसम में पहले से नमी हो.
मौसम विभाग की प्रमुख सहर ताजबख्श ने सरकारी टीवी पर कहा कि क्लाउड सीडिंग बहुत महंगी है. इससे होने वाली बारिश हमारे पानी संकट को हल करने के लिए काफी नहीं है. यह सिर्फ अस्थायी उपाय है. यंग जर्नलिस्ट्स क्लब (YJC) की रिपोर्ट के मुताबिक, तेहरान में अभी क्लाउड सीडिंग की स्थिति नहीं बनी है.
ईरान सरकार इमरजेंसी प्लान चला रही है, जैसे पानी की राशनिंग और क्लाउड सीडिंग. लेकिन विशेषज्ञ कहते हैं कि असली समाधान पानी बचाना, खेती सुधारना और जलवायु परिवर्तन से लड़ना है. फिलहाल, देश सूखे और बाढ़, दोनों से एक साथ जूझ रहा है. दुनिया भर में ईरान की यह स्थिति जलवायु परिवर्तन की गंभीरता दिखा रही है.
आजतक साइंस डेस्क