जापान के नीगाटा क्षेत्र में आज सोमवार को दुनिया की सबसे बड़ी परमाणु ऊर्जा संयंत्र को फिर से शुरू करने के फैसले को मंजूरी मिलने की उम्मीद है. यह फैसला 2011 के फुकुशिमा हादसे के बाद जापान के परमाणु ऊर्जा की ओर वापसी का एक महत्वपूर्ण कदम है.
काशिवाजाकी-कारीवा संयंत्र, जो टोक्यो से लगभग 220 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में स्थित है, फुकुशिमा दाईची संयंत्र में आए भूकंप और सुनामी के बाद बंद किए गए 54 रिएक्टरों में से एक था. यह हादसा चेरनोबिल के बाद सबसे बड़ी परमाणु आपदा थी.
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2011 में एक बड़े भूकंप और सुनामी ने फुकुशिमा दाईची परमाणु संयंत्र को बुरी तरह प्रभावित किया. इस हादसे में रेडिएशन लीक हुआ. हजारों लोग प्रभावित हुए. जापान ने सुरक्षा के लिए देश भर के सभी 54 परमाणु रिएक्टरों को बंद कर दिया. इससे जापान की ऊर्जा नीति में बड़ा बदलाव आया. देश आयातित जीवाश्म ईंधन पर ज्यादा निर्भर हो गया.
यह संयंत्र टोक्यो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी (TEPCO) द्वारा संचालित है, जो फुकुशिमा संयंत्र का भी ऑपरेटर था. इसमें 7 रिएक्टर हैं. यह समुद्र के किनारे स्थित है. यह दुनिया का सबसे बड़ा परमाणु संयंत्र है. फुकुशिमा हादसे के बाद से यह बंद है, लेकिन अब इसे फिर से शुरू करने की योजना है. टीईपीसीओ फुकुशिमा के बाद अपना पहला संयंत्र फिर से शुरू करने जा रही है.
जापान ने 2011 के बाद से 33 संचालन योग्य रिएक्टरों में से 14 को फिर से शुरू किया है. नीगाटा प्रांत की विधानसभा आज वोट करेगी, जो अंतिम बाधा है. अगर मंजूरी मिली, तो टीईपीसीओ जनवरी 20 को पहला रिएक्टर शुरू करेगी. यह वोट नीगाटा के गवर्नर हिदेयो हनाजुमी पर विश्वास मत भी है, जिन्होंने पिछले महीने इस फैसले का समर्थन किया था.
नीगाटा में लगभग 300 प्रदर्शनकारी इकट्ठे हुए, ज्यादातर बुजुर्ग लोग, जिन्होंने 'नो न्यूक्स', 'काशिवाजाकी-कारीवा को फिर से शुरू करने का विरोध' और 'फुकुशिमा का समर्थन' जैसे बैनर लिए थे. वे 'फुरुसातो' गाना गा रहे थे. एक प्रदर्शनकारी ने पूछा कि क्या टीईपीसीओ काशिवाजाकी-कारीवा चलाने के योग्य है? भीड़ ने जवाब दिया- नहीं.
नीगाटा गवर्नर हिदेयो हनाजुमी ने स्थानीय लोगों की चिंताओं के बावजूद पिछले महीने इस फैसले का समर्थन किया. वे कहते हैं कि मैं एक ऐसा युग देखना चाहता हूं जहां हमें चिंता पैदा करने वाले ऊर्जा स्रोतों पर निर्भर न रहना पड़े. आज का वोट उनके समर्थन पर एक तरह का मतदान है.
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टीईपीसीओ ने अगले 10 सालों में नीगाटा में 100 अरब येन (लगभग 641 मिलियन डॉलर) निवेश करने का वादा किया है, ताकि स्थानीय लोगों का समर्थन मिले. फिर से हादसा न हो. टीईपीसीओ के प्रवक्ता मासाकात्सु ताकाता ने कहा कि हम प्रतिबद्ध हैं कि ऐसा हादसा कभी न दोहराएं. नीगाटा के निवासियों को कभी ऐसा अनुभव न होने दें. अक्टूबर के एक सर्वे में 60% निवासियों ने कहा कि फिर से शुरू करने की शर्तें पूरी नहीं हुई हैं. 70% टीईपीसीओ के संचालन से चिंतित हैं.
जापान आयातित जीवाश्म ईंधन से दूर होना चाहता है, जो बिजली उत्पादन का 60-70% हिस्सा है. पिछले साल एलएनजी और कोयले पर 10.7 ट्रिलियन येन (68 अरब डॉलर) खर्च हुए. घटती आबादी लेकिन एआई डेटा सेंटरों से बढ़ती ऊर्जा मांग के साथ जापान 2040 तक बिजली मिश्रण में परमाणु का हिस्सा दोगुना करके 20% करना चाहता है, ऊर्जा सुरक्षा और कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए.
प्रधानमंत्री सनाए ताकाईची, जो दो महीने से पद पर हैं, आयातित ईंधन की लागत से निपटने के लिए परमाणु फिर से शुरू करने का समर्थन करती हैं. जुलाई में, कंसाई इलेक्ट्रिक पावर ने पश्चिमी जापान में नए रिएक्टर के लिए सर्वे शुरू किया, जो फुकुशिमा के बाद पहला है.
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पहले रिएक्टर को शुरू करने से टोक्यो क्षेत्र में बिजली आपूर्ति 2% बढ़ सकती है. लेकिन कई निवासी, खासकर फुकुशिमा से विस्थापित चिंतित हैं. अयाको ओगा, एक 52 वर्षीय किसान और कार्यकर्ता जो 2011 में फुकुशिमा से भागी थीं, उन्होंने कहा कि हम परमाणु हादसे के जोखिम को जानते हैं. इसे नजरअंदाज नहीं कर सकते. मैं चाहती हूं कि जापान या दुनिया में कहीं भी किसी को फिर से परमाणु हादसे का नुकसान न झेलना पड़े.
आजतक साइंस डेस्क