गगनयान मिशन का 90% काम पूरा, 2027 में होगी भारतीय एस्ट्रोनॉट की उड़ान... ISRO चीफ का खुलासा

इसरो चेयरमैन वी. नारायणन ने कहा कि गगनयान मिशन तेजी से आगे बढ़ रहा है. विकास कार्य 90% पूरा हो चुका है. मानव-रेटेड रॉकेट, क्रू मॉड्यूल, सुरक्षा सिस्टम बन गए हैं. तीन अनक्रूड मिशन पहले, पहला व्योममित्र रोबोट के साथ होगा. 24 अगस्त 2025 को पैराशूट टेस्ट सफल हुआ था. 2027 के शुरुआत में चार अंतरिक्ष यात्री उड़ान भरेंगे. भारत का पहला मानव अंतरिक्ष सफर होगा.

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चार अंतरिक्षयात्रियों को लेकर तीन धरती के ऊपर चक्कर लगाएगा गगनयान. (Photo: ISRO) चार अंतरिक्षयात्रियों को लेकर तीन धरती के ऊपर चक्कर लगाएगा गगनयान. (Photo: ISRO)

आजतक साइंस डेस्क

  • नई दिल्ली,
  • 23 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 5:29 PM IST

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का गगनयान मिशन तेजी से आगे बढ़ रहा है. इसरो के चेयरमैन वी. नारायणन ने गुरुवार को कहा कि विकास कार्य का लगभग 90 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है. गगनयान भारत का पहला मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन है, जिसमें भारतीय अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में जाएंगे.

ये मिशन भारत को अंतरिक्ष के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा. ये जानकारी इसरो चेयरमैन वी. नारायणन के बयान पर आधारित है, जो दिल्ली में 3-5 नवंबर 2025 को होने वाले इमर्जिंग साइंस, टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन कॉन्क्लेव (ESTIC-2025) के प्रचार कार्यक्रम के दौरान कही गई.

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गगनयान मिशन क्या है? भारत का पहला मानव अंतरिक्ष सफर

गगनयान भारत का महत्वाकांक्षी मिशन है, जो अंतरिक्ष में मानव भेजने का सपना पूरा करेगा. ये चंद्रयान या मंगलयान जैसा नहीं, बल्कि इसमें जीवित लोग अंतरिक्ष जाएंगे. मिशन का लक्ष्य कम से कम तीन दिनों तक अंतरिक्ष में रहना है. अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी की कक्षा में चक्कर लगाएंगे. इसरो चेयरमैन ने कहा कि गगनयान मिशन बहुत अच्छा चल रहा है. इसमें कई नई तकनीकों का विकास करना पड़ता है. मुख्य तकनीकें हैं...

  • मानव-रेटेड रॉकेट: रॉकेट को इतना सुरक्षित बनाना कि इंसान पर उड़ान भर सके.
  • मानव-केंद्रित उत्पाद: अंतरिक्ष यात्रियों के लिए खास खाना, कपड़े और उपकरण.
  • पैराशूट सिस्टम: लैंडिंग के समय कैप्सूल को धीमा करने के लिए छतरी जैसी प्रणाली.
  • ऑर्बिटल मॉड्यूल: अंतरिक्ष में रहने का कैप्सूल, जो हवा, तापमान और सुरक्षा का ध्यान रखे.
  • पर्यावरण नियंत्रण और सुरक्षा प्रणाली: अंदर की हवा साफ रखना, ऑक्सीजन देना और खतरे से बचाना.
  • क्रू एस्केप सिस्टम: अगर रॉकेट में समस्या हो, तो अंतरिक्ष यात्रियों को तुरंत बाहर निकालने का सिस्टम.

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विकास कार्य: 90% पूरा, लेकिन अभी बाकी है

इसरो चेयरमैन ने बताया कि विकास कार्य का करीब 90 प्रतिशत हो चुका है. बाकी काम पर तेजी से काम चल रहा है. अब मानव मिशन से पहले तीन बिना मानव वाली उड़ानें (अनक्रूड मिशन) करनी हैं. हम उसी की तैयारी कर रहे हैं.

  • पहली अनक्रूड मिशन: इसमें व्योममित्र नाम का रोबोट अंतरिक्ष यात्री उड़ान भरेगा. व्योममित्र मिशन की जांच करेगा, जैसे सिस्टम सही काम कर रहे हैं या नहीं. ये मिशन 2026 में हो सकता है.
  • बाकी दो मिशन: इनमें भी टेस्टिंग होगी, ताकि सब कुछ परफेक्ट हो.
  • मानवयुक्त मिशन का लक्ष्य: 2027 की शुरुआत में. इसमें चार अंतरिक्ष यात्री (प्रोग्राम पायलट, पायलट और दो स्पेशलिस्ट) अंतरिक्ष जाएंगे.

24 अगस्त 2025 को सफल एयर ड्रॉप टेस्ट

गगनयान के लिए एक बड़ा परीक्षण हाल ही में हुआ. 24 अगस्त 2025 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में पहला इंटीग्रेटेड एयर ड्रॉप टेस्ट किया गया. इसरो ने कहा कि ये टेस्ट क्रू मॉड्यूल के पैराशूट-आधारित डिकेलरेशन सिस्टम का जांच था.

चेयरमैन ने कहा कि मिशन के आखिरी चरण में क्रू मॉड्यूल लौटते समय नौ पैराशूट एक साथ काम करने चाहिए. ये टेस्ट उसी की पुष्टि करता है. ये परीक्षा गगनयान की सुरक्षा को मजबूत बनाती है. अगर पैराशूट फेल हो गए, तो अंतरिक्ष यात्री खतरे में पड़ सकते थे.

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ESTIC-2025: विज्ञान और तकनीक का मेला

चेयरमैन का बयान ESTIC-2025 के प्रचार कार्यक्रम के दौरान आया. ये कॉन्क्लेव 3 से 5 नवंबर 2025 को नई दिल्ली में होगा. यहां उभरते विज्ञान, तकनीक और इनोवेशन पर चर्चा होगी. गगनयान जैसे मिशन इसी तरह की इनोवेशन को बढ़ावा देते हैं.

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