तीन चीनी अंतरिक्ष यात्री हजारों किलोमीटर ऊपर एक स्टेशन पर हैं. अचानक एक छोटा सा अंतरिक्ष का कचरा उनके स्पेसशिप को टक्कर मार देता है. वो वहीं फंस जाते हैं. ये घटना 5 नवंबर 2025 हुई. जिसके बाद चीन की मानव अंतरिक्ष एजेंसी (CMSA) ने शेंझोउ-20 मिशन की टीम की पृथ्वी पर वापसी टाल दी. वजह स्पेस डेब्री (अंतरिक्ष कचरा) की टक्कर. कमांडर चेन डोंग, चेन झोंग्रुई और वांग जिए अब तियानगोंग स्पेस स्टेशन पर ही फंस गए हैं. वो लोग नुकसान की जांच कर रहे हैं.
शेंझोउ-20 स्पेसक्राफ्ट तियानगोंग स्टेशन से जुड़ा हुआ था. यह लो-अर्थ ऑर्बिट (पृथ्वी के करीब कक्षा) में 400 km ऊपर घूम रहा था. अचानक एक छोटा स्पेस डेब्री का टुकड़ा इससे टकरा गया. CMSA ने कहा कि यह टक्कर कैप्सूल के हीट शील्ड को नुकसान पहुंचा सकती है.
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हीट शील्ड क्या है? यह एक खास परत है जो पृथ्वी पर लौटते समय स्पेसशिप को वायुमंडल की गर्मी से बचाती है. अगर यह कमजोर हो गई, तो यान जल सकता है.
अंतरिक्ष यात्री अब आगामी शेंझोउ-21 टीम के साथ मिलकर नुकसान का आकलन कर रहे हैं. इंजीनियर जमीन से सलाह दे रहे हैं – या तो मरम्मत करें या स्पेसक्राफ्ट को बिना लोगों के ही लौटा दें. चेन डोंग ने रेडियो पर कहा कि हम सब ठीक हैं. स्टेशन पर सब सामान्य चल रहा है. लेकिन यह घटना दिखाती है कि अंतरिक्ष सफर कितना जोखिम भरा हो गया है. दुनिया भर के वैज्ञानिक अब और सतर्क हो रहे हैं.
यह मिशन 24 अप्रैल 2025 को लॉन्च हुआ था. यह तियानगोंग पर नौवां मानव मिशन था. क्रू में तीन ताइकोनॉट (चीनी अंतरिक्ष यात्री) थे...
ये तीनों छह महीने के मिशन पर थे. उनका काम था स्टेशन पर वैज्ञानिक टेस्ट करना, जैसे वजनहीनता में दवाएं बनाना, पौधे उगाना और उपकरण ठीक करना. मूल प्लान नवंबर में घर लौटना था, लेकिन अब यह टल गया.
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तियानगोंग चीन का गर्व है. इसका नाम स्वर्ग का महल है. 2021 में इसका निर्माण शुरू हुआ और 2022 में पूरा हो गया. यह तीन मुख्य भागों से बना है...
इस स्टेशन पर 6-7 लोग रह सकते हैं. यहां सूरज की रोशनी से बिजली बनती है. ऑक्सीजन रिसाइकल होती है. चीन ने 2021 से अब तक 10 से ज्यादा मिशन भेजे हैं. तियानगोंग अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) का चीनी विकल्प है, जो 2030 तक चलेगा. यहां से पृथ्वी की खूबसूरत तस्वीरें ली जाती हैं.
स्पेस डेब्री छोटे-छोटे कचरे के टुकड़े हैं. ये पुराने सैटेलाइट, रॉकेट के अवशेष या टूटे उपकरण होते हैं. ये 28 हजार km/hr की रफ्तार से धरती के चारों तरफ घूमते है. लो-अर्थ ऑर्बिट में लाखों ऐसे टुकड़े हैं. NASA के अनुसार, 27,000 से ज्यादा बड़े ऑब्जेक्ट ट्रैक किए गए हैं, लेकिन छोटे टुकड़े ज्यादा घातक हैं.
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एक छोटा सा टुकड़ा भी स्पेसक्राफ्ट में छेद कर सकता है. इसे केसलर सिंड्रोम कहते हैं – एक टक्कर से नए टुकड़े बनते हैं, जो चेन रिएक्शन शुरू कर देते हैं. 2024 की एक रिपोर्ट कहती है कि Starlink जैसे सैटेलाइट प्रोजेक्ट्स से कचरा और बढ़ रहा है. अंतरराष्ट्रीय नियम हैं कि कचरा हटाना चाहिए, लेकिन सब देश मानते नहीं. अमेरिका, रूस, चीन – सब प्रभावित हैं।
अभी क्रू स्टेशन पर रहेंगे. शेंझोउ-21 जल्द पहुंचेगी, जो नया क्रू लाएगी. अगर हीट शील्ड ठीक न हो, तो पुराना स्पेसक्राफ्ट खाली लौटेगा. वैज्ञानिकों को इससे सीख मिलेगी – बेहतर रडार से कचरा ट्रैक करना, रोबोट से साफ करना. भविष्य में स्पेस टूरिज्म बढ़ेगा, तो यह खतरा और बड़ा हो जाएगा.
आजतक साइंस डेस्क