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साइंस न्यूज़

यहां सबकुछ सफेद है और नमकीन भी...देखें नमक के शहर की तस्वीरें

आजतक साइंस डेस्क
  • नई दिल्ली,
  • 07 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 2:09 PM IST
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पेरू के ऊंचे पहाड़ों में एक छोटा सा गांव है, जहां सूरज की गर्मी में सफेद-भूरे रंग की छोटे-छोटे तालाब बने हुए हैं. ये पहाड़ी पर बने है. ये तालाब नमक की खदानों का हिस्सा हैं. यहां के लोग सदियों से नमक निकालते आ रहे हैं. यह कहानी है मारास और पिचिंगोटो गांवों के उन परिवारों की जो 'अयनी' नाम की प्राचीन क्वेचुआ परंपरा से जुड़े हैं. Photo: AP

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'अयनी' का मतलब है आपसी मदद. गर्मियों के अंत में जब उरियल अपना काम का प्लान बनाता है, तो सबसे पहले सोचता है कि आज किस दोस्त के नमक तालाब पर काम करेगा. ये लोग महीने में एक बार एक-दूसरे की मदद से नमक इकट्ठा करते हैं. Photo: AP

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उरियल कहता है कि आज हमने मेरे तालाबों पर काम किया. कल हम मेरे दोस्तों के तालाबों पर जाएंगे. उरियल का परिवार चार पीढ़ियों से नमक के कारोबार में है. वह अपना पूरा नाम नहीं बताना चाहता. मारास और पिचिंगोटो के स्थानीय लोग मिलकर एक कोऑपरेटिव चलाते हैं, जिसका नाम मरासल है. Photo: AP

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यह कोऑपरेटिव नमक को बाजार में बेचने और प्रोसेस करने का काम करता है. ये तालाब 500 साल पुराने हैं. परिवारों के बीच ये तालाब पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरित होते हैं. कई लाख साल पहले, एंडीज पहाड़ों के इस इलाके में एक समुद्री हिस्सा अलग हो गया था. जब समुद्र पीछे हटा, तो पीछे नमक के भंडार छूट गए. Photo: AP

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आज ये नमक भूजल के जरिए पहाड़ों के एक झरने से बाहर आता है. रोजेन चैंबर्स नाम की भूवैज्ञानिक और किताब "द मॉन्यूमेंटल एंडीज" की लेखिका कहती हैं कि यह प्रक्रिया प्राकृतिक है. पेरू की संस्कृति मंत्रालय के अनुसार इंका साम्राज्य के समय (1400-1500 ईस्वी) से पहले से यहां नमक निकाला जाता रहा है. Photo: AP

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आज ये तालाब पहाड़ी पर सीढ़ी-नुमा खेतों की तरह लगते हैं. इनके रंग सफेद, भूरे और काले मिश्रित होते हैं. 1968 में पेरू में सैन्य तख्तापलट के बाद, 1969 में सरकार ने पूरे देश में नमक निकालने और बेचने का नियंत्रण ले लिया. एक सरकारी कंपनी बनाई गई. मारास के परिवारों को तालाबों की देखभाल के लिए पैसे दिए जाते थे. Photo: AP

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उन्होंने सरकार से मांग की कि इलाका लौटा दिया जाए. आखिरकार, परिवारों को वापस नियंत्रण मिल गया. अब वे खुद मालिक हैं. मारास के लोग एक नमकीन धारा से छोटे-छोटे चैनल खोदते हैं, जो घाटी में आती है. ये चैनल तालाबों को भरते हैं. धीरे-धीरे पानी उड़ जाता है, तो पीछे नमक रह जाता है. Photo: AP

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इसे स्कूप से निकालकर धोया जाता है. सुखाया जाता है. किसान 50 किलोग्राम के बोरे भरते हैं (लगभग 110 पाउंड). फिर बोरे पहाड़ी चढ़ाकर वजन स्टेशन ले जाते हैं. वहां से कोऑपरेटिव मरासल में प्रोसेसिंग के लिए भेजा जाता है. अगर कोई खुद निर्यात करना चाहे, तो कर सकता है. कटाई का मौसम सूखे समय में होता है – मई से अक्टूबर तक. Photo: AP

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हर महीने हर तालाब से 150 से 250 किलोग्राम नमक निकलता है (लगभग 330 से 440 पाउंड). बारिश के मौसम में काम मुश्किल होता है. बारिश नमकीन पानी को पतला कर देती है. तालाब सुखाना कठिन हो जाता है. फ्लोरेंसियो नाम का एक स्थानीय तालाब मालिक कहता है कि मेरा परिवार कम से कम सात पीढ़ियों से नमक निकाल रहा है. Photo: AP

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अगर कोई परिवार तालाब बेचना चाहे, तो केवल मारास या पिचिंगोटो के निवासी को ही बेच सकता है. इस तरह नमक उत्पादन पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलता रहता है. ग्रामीण पेरू के लोगों के लिए धन कमाना सबसे बड़ा लक्ष्य नहीं है. वे ज्यादा महत्व देते हैं कि जमीन पर काम आने वाली पीढ़ियों को सौंपें. Photo: AP

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