'तेजस्वी सरकार तो अहीर रंगदार...', मोदी ने चेताया कैसे गानों में झलक दिख रही है जंगलराज की

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मुजफ्फरपुर में एनडीए की एक सभा में आरजेडी के प्रचार वाले कुछ गानों का हवाला देते हुए जंगल राज के प्रति चेताया. दरअसल इन गानों में खुलकर कट्टा राज और किडनैपिंग की बात की जा रही है. सबसे खास बात ये है कि इसे यादव राज से जोड़ा जा रहा है.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार की एक चुनावी सभा में. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार की एक चुनावी सभा में.

संयम श्रीवास्तव

  • नई दिल्ली,
  • 30 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 4:40 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को बिहार विधानसभा चुनाव प्रचार के लिए मुजफ्फरपुर में थे. उन्होंने विपक्षी महागठबंधन, खासकर RJD के गानों में छर्रा, कट्टा, दुनाली...' जैसे वाक्यांशों से सजे गानों पर जबरदस्त तंज कसा. मोदी ने सवाल उठाया कि क्या बिहार को ऐसी 'हिंसक' पहचान चाहिए, जो 'जंगल राज' की याद दिलाए? यह हमला न सिर्फ भोजपुरी चुनावी गीतों पर केंद्रित था, बल्कि 1990 के दशक के RJD शासन की 'कटु' स्मृतियों को ताजा करने का प्रयास भी था. 

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दरअसल प्रधानमंत्री ने मुजफ्फरपुर की सभा में जो कहा उसे ठीक से समझने के लिए हमें बिहार को समझना होगा. यादव राज आने की भविष्यवाणी करते हुए करीब दर्जन भर भोजपुरी गाने बिहार में आरजेडी समर्थकों के बीच लोकप्रिय हो रहे हैं. आरजेडी के प्रचार के लिए जो भोजपुरी गाने बन रहे हैं उसे सुनकर जहां यादव समुदाय प्राइड फील कर रहा है वहीं आम लोगों को जंगल राज के दिन याद आ रहे हैं.  
प्रधानमंत्री का बयान इन वायरल भोजपुरी गीतों पर सीधा प्रहार है, जो तेजस्वी यादव की 'यादव राज' की भविष्यवाणी करते हैं. जैसे, एक गाने के बोल देखिए. ' जब तेजस्वी की सरकार बनतो, तब यादव रंगदार बनतो...' इसमें 'कट्टा' लहराते युवाओं का डांस वीडियो है, जिसे NDA 'गुंडागर्दी' का प्रतीक बता रहा है. एक और गाने का बोल देखिए. 'भैया के आवे दे सत्ता में, रे उठा लेब सटा के कट्टा घरा से रे. 'सटा' (वसूली) और 'कट्टा' के जिक्र से यह गाना 'जंगल राज 2.0' की छवि पेश करता है.

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पीएम ने क्या कहा

मुजफ्फरपुर रैली में पीएम मोदी ने RJD-कांग्रेस गठबंधन को 'जंगल राज' का प्रतीक बताया और इसे 'पांच K' से भी जोड़ा. कट्टा (देशी बंदूकें—कानून व्यवस्था की कमी), क्रूरता (क्रूरता), कटुता (कड़वाहट), कुशासन (खराब शासन) और करप्शन (भ्रष्टाचार).

 उन्होंने कहा, आप RJD और कांग्रेस के खतरनाक नारे सुन रहे होंगे. इनके गानों में छर्रा (चाकू), कट्टा, दुनाली (राइफल) शामिल हैं. ये इनकी सोच का प्रतिबिंब है. क्या बिहार को ऐसी पहचान चाहिए?  मोदी ने इसी बहाने RJD शासनकाल के आंकड़े गिनाए: 35,000-40,000 अपहरण, वाहन शोरूमों की लूट और गुंडागर्दी की कहानी सुनाई. उन्होंने चेतावनी दी कि ये गाने 'अपहरण की धमकी' देते हैं, और बिहार के मतदाता सतर्क रहें. 

यादव राज की आहट वाले गाने

जब तेजस्वी की सरकार बनतो, तब यादव रंगदार बनतो.... यह गाना 2025 के चुनावी मौसम का सबसे वायरल ट्रैक बन चुका है. भागलपुर के गोराडीह प्रखंड से शुरू हुआ यह लोकल भोजपुरी गाना सोशल मीडिया पर धूम मचा रहा है. वीडियो में युवक कट्टा लहराते हुए डांस करते दिखते हैं, और बोल हैं: 'जब तेजस्वी की सरकार बनतो, तब यादव रंगदार बनतो... सत्ता में आवे दे भइया, तो रंग चढ़ जाई दे सबके ऊपर ' यह गाना तेजस्वी की जीत को यादव समुदाय के 'स्वर्ण युग' की भविष्यवाणी के रूप में पेश करता है. जहां यादव न सिर्फ राजनीतिक रूप से मजबूत होंगे, बल्कि 'रंगदार' (प्रभावशाली) बनेंगे. स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के अनुसार DSP ने इसे 'पड़ताल' के बाद कार्रवाई का वादा किया है. 

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'भैया के आवे दे सत्ता में, रे उठा लेब सटा के कट्टा घरा से रे' यह एक और विवादास्पद गाना है, जो X पर तेजस्वी समर्थकों के बीच शेयर हो रहा है. इस गाने के बोल देखिए  ' भैया के आवे दे सत्ता में, रे उठा लेब सटा के कट्टा घरा से रे... यादव राज आवे, तो सबका राज होई' . यहां 'भैया' तेजस्वी को संबोधित है, और गाना उनकी जीत को 'कट्टा' (हथियार) और 'सटा' (वसूली) से जोड़कर पेश करता है. यह लोक गीत की शैली में है, जो यादव युवाओं के बीच लोकप्रिय हो रहा है. BJP ने इसे 'गुंडागर्दी की धमकी' बताया है. लेकिन RJD कार्यकर्ता इसे 'सामाजिक न्याय की क्रांति' का प्रतीक मानते हैं.

यादव राज की भविष्यवाणी का फायदा किसे?

बिहार की धरती पर राजनीति हमेशा से ही गीतों, लोककथाओं और जातीय गर्व की मिट्टी से सींची जाती रही है. 2025 के विधानसभा चुनावों के दौर में, जहां रोजगार, विकास और सामाजिक न्याय के मुद्दे गरम हैं, वहीं भोजपुरी संगीत का एक नया ट्रेंड उभर रहा है.

तेजस्वी प्रसाद यादव की संभावित जीत को 'यादव राज' की वापसी के रूप में चित्रित करने वाला. ये गाने न सिर्फ मनोरंजन का माध्यम हैं, बल्कि सामाजिक-राजनीतिक संदेशवाहक भी. यादव समुदाय, जो बिहार की जनसंख्या का लगभग 14% है और RJD का मजबूत वोट बैंक, इन गीतों में अपनी आकांक्षा को देख रहा है.

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लेकिन ये गाने सिर्फ उत्साह ही नहीं जगाते, बल्कि विवाद भी खड़े कर रहे हैं—क्योंकि इनमें 'रंगदारी', 'कट्टा' और 'जंगल राज' जैसे शब्दों का इस्तेमाल सत्ता पक्ष को हथियार दे रहा है. जो लोग उत्तर प्रदेश और बिहार की राजनीति को बहुत नजदीक से जानते हैं उन्हें पता है कि इन राज्यों में यादव राज का डर दिखा कर बीजेपी बाकी समुदायों को इकट्ठा करती रही है. यही कारण रहा कि लोकसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने केवल 5 टिकट ही यादवों को दिए थे. और उनको इसका सीधा फायदा मिला. 2024 के लोकसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी सवर्णों सहित अति पिछड़ों और दलित समुदाय का वोट पाने में भी सफल रही है.

पर बिहार में मामला उल्टा है. यहां आरजेडी ने 51 सीट यादवों को दे दिया है. यानि कि कुल सीटों का एक तिहाई यादव समुदाय को टिकट मिल गया है. जाहिर है कि एनडीए का पास मौका है कि वह इसे यादव राज के आगमन का डर दिखाकर शेष जातियों को अपने पक्ष में एकजुट कर सके.

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