नीतीश कुमार ने बिहार में सामाजिक सुरक्षा पेंशन राशि में ढाई गुना से भी ज्यादा का इजाफा कर दिया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तरफ से ये घोषणा होते ही बिहार की राजनीति में क्रेडिट लेने की होड़ भी शुरू हो गई है. तेजस्वी यादव और प्रशांत किशोर जैसे नेताओं का दावा है कि नीतीश कुमार ने ये फैसला उनके दबाव में लिया है.
सामाजिक सुरक्षा पेंशन राशि बढ़ाये जाने की घोषणा नीतीश कुमार ने अपने सोशल मीडिया हैंडल X पर किया है, और कहा है कि ऐसा किये जाने से बिहार के करीब दो करोड़ लोगों को फायदा मिलेगा. खास बात ये है कि ये स्कीम अगले महीने से ही लागू हो जाएगी.
सीधे खाते में पैसे ट्रांसफर होने वाली योजनाओं का चुनावी फायदा पहले ही देखा जा चुका है. ऐसा पहला उदाहरण मध्य प्रदेश में 2023 के विधानसभा चुनावों में देखने को मिला था. ये बात अलग है कि तब इसे लागू करने वाले शिवराज सिंह चौहान को कोई फायदा नहीं मिला, सिवा इस बात के कि बीजेपी की सत्ता में वापसी हो गई थी.
देखा जाये तो नीतीश कुमार का मामला भी फिलहाल शिवराज सिंह चौहान जैसा ही हिलता-डुलता नजर आ रहा है. बिहार चुनाव बाद नीतीश कुमार के भी नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाये जाने पर आशंका के बादल छाये हुए महसूस किये जाते हैं. कभी बिहार में महाराष्ट्र मॉडल लागू किये जाने की चर्चा चलती रहती है, तो कभी कुछ और. अव्वल तो नीतीश कुमार हमेशा ही अलर्ट मोड में रहते हैं, और उनको आसानी से रास्ते से हटा पाना काफी मुश्किल होगा. वैसे भी बीजेपी को ये तो हरदम महसूस होता ही होगा कि केंद्र की एनडीए सरकार की एक बैसाखी नीतीश कुमार ही हैं.
बिहार के सत्ता के गलियारों में नीतीश कुमार के पेंशन राशि बढ़ाने के फैसले को मास्टर स्ट्रोक बताया जा रहा है - क्या वास्तव में ऐसा है?
क्या नीतीश कुमार ने एक ही तीर से अपने खिलाफ साधे जा रहे सारे निशाने न्यूट्रलाइज कर दिया है?
अगले महीने से ही बढ़ जाएगी पेंशन
बिहार सरकार ने बुजुर्गों, विधवा और दिव्यांग लाभार्थियों को हर महीने मिलने वाली पेंशन राशि बढ़ाकर ₹1100 कर दी है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद सोशल साइट एक्स पर ये चुनावी घोषणा की है. चुनावी घोषणा इसलिए क्योंकि विधानसभा चुनावों से करीब तीन महीने पहले ही ये घोषणा हुई है, और अगले ही महीने से बढ़ी हुई रकम सभी पात्र लाभार्थियों को मिलने लगेगी.
नीतीश कुमार ने लिखा है, 'मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के तहत सभी वृद्धजनों, दिव्यांगजनों और विधवा महिलाओं को अब हर महीने ₹400 की जगह ₹1100 पेंशन मिलेगी. सभी लाभार्थियों को जुलाई महीने से पेंशन बढ़ी हुई दर पर मिलेगी.'
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कहना है, इससे 1 करोड़ 9 लाख 69 हजार 255 लाभार्थियों को काफी मदद मिलेगी... वृद्धजन समाज का अनमोल हिस्सा हैं, और उनका सम्मानजनक जीवन-यापन सुनिश्चित करना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है... राज्य सरकार इस दिशा में निरंतर प्रयत्नशील रहेगी.
बिहार के डिप्टी सीएम विजय सिन्हा ने कहा है मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस सिलसिले में सिर्फ लोगों की मांग नहीं पूरी की है, बल्कि उससे आगे बढ़कर ये फैसला लिया है. विजय सिन्हा कहते हैं, 'मुख्यमंत्री जी की घोषणा महिला संवाद के तहत लोगों की मांगों को पूरा किया गया... बिहार सरकार के द्वारा ये ऐतिहासिक घोषणा है... लोग 1000 रुपये ही मांग रहे थे, लेकिन उनको 1100 रुपये दिया जा रहा है.'
नीतीश कुमार के मुताबिक, सरकार की ये सुनिश्चित करने की भी कोशिश होगी कि हर महीने की 10 तारीख को ये रकम लाभार्थियों के खाते में पहुंच जाये. रिपोर्ट के मुताबिक, बढ़ी हुई रकम के साथ पेंशन की नई राशि 10 जुलाई, 2025 से ही लोगों को खातों में भेज दी जाएगी.
क्रेडिट लेने की होड़ मच गई है
बिहार में सामाजिक सुरक्षा पेंशन बढ़ाये जाने का क्रेडिट भी जाति जनगणना की तरह ही लेने की कोशिश हो रही है. आपको याद होगा, केंद्र की बीजेपी सरकार की तरफ से जब जाति जनगणना कराये जाने की घोषणा की गई थी, तब भी ऐसे ही श्रेय लेने के प्रयास किये गये थे. हालांकि, दोनों दावों में फर्क ये जरूर है कि जाति जनगणना को लेकर राहुल गांधी और तेजस्वी यादव पहले से ही मुहिम चला रहे थे, लेकिन सामाजिक सुरक्षा पेंशन पर सीधे सीधे किसी ने भी कोई ठोस पहल की हो, ऐसा नहीं है.
बिहार में भी महिलाओं के लिए माई बहिन मान योजना लाये जाने के संकेत मिले हैं. अपने बिहार दौरे के तहत दरभंगा में प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर तेजस्वी यादव ने ऐसी घोषणा जरूर की थी, और कांग्रेस ने पटना में मीडिया के सामने माई बहिन मान योजन लॉन्च भी कर दी है.
नीतीश कुमार के पेंशन राशि बढ़ाये जाने की घोषणा पर बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने जेडीयू-बीजेपी की गठबंधन सरकार पर नकलची होने का आरोप लगाया है. कह रहे हैं, सारा कॉपी हम लोगों का कर रहे हैं, नकलची बने हुए हैं... अभी तो हम कुछ बोलेंगे नहीं आगे तो और बोलेंगे. अभी तो सरकार को और घेरा जायेगा.
तेजस्वी यादव ने कहा कि आरजेडी पहले ही पेंशन को ₹1500 करने और 'माई बहन योजना' के तहत महिलाओं को ₹2500 देने की घोषणा कर चुकी है. प्रेस कॉन्फ्रेंस में तेजस्वी यादव ने कुछ वीडियो क्लिप दिखाकर दावा किया कि वो तो पहले ही ऐसी घोषणा कर चुके हैं. उनकी ये समझाने की कोशिश है कि सरकार ने उनकी बात मानी है, और अब क्रेडिट लेने की कोशिश की जा रही है.
आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने भी दावा किया है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जो किया है वो तेजस्वी यादव ने लगातार कई महीने पहले ऐलान किया था कि हमारी सरकार बनेगी तो वृद्धा पेंशन 400 रुपये से बढ़ाकर 1500 रुपये राशि की जाएगी. ये तेजस्वी जी का विजन था, ये उनकी सोच है.
और वैसे ही, जन सुराज पार्टी के नेता प्रशांत किशोर ने भी पेंशन राशि बढ़ाये जाने को अपनी पार्टी के जनदबाव का असर बताया है. प्रशांत किशोर का दावा है कि अगर उनकी सरकार बनी तो ये राशि छठ पर्व के बाद बढ़ाकर हर महीने ₹2000 कर दी जाएगी. पेंशन राशि बढ़ाये जाने को जन सुराज की बड़ी जीत बताते हुए प्रशांत किशोर दावा कर रहे हैं कि बिहार की जनता असली बदलाव के लिए तैयार है.
क्या ये नीतीश कुमार का मास्टरस्ट्रोक है?
अब ये बिहार के लोगों को तय करना होगा कि जिस पार्टी की सरकार ने अगले ही महीने से बढ़ी हुई राशि देना शुरू किया है, चुनावों में उसके साथ जाना है या फिर, जो मिल रही रकम से ज्यादा देने का वादा कर रहा है उसके साथ. ये भी समझना होगा कि जो राजनीतिक दल बढ़ाकर पैसे देने के बात कर रहे हैं, वे अब ऐसे दावे क्यों कर रहे हैं?
अब तक तो यही देखने को मिला है कि लोगों ने चुनावी वादों के बजाय मौजूदा व्यवस्था पर ज्यादा भरोसा किया है. मध्य प्रदेश में चुनावों से पहले ही तत्कालीन सरकार ने पैसे ट्रांसफर करने शुरू कर दिये थे, जबकि कांग्रेस भी वैसी ही या उससे बेहतर स्कीम का वादा कर रही थी, लेकिन लोगों को ज्यादा भरोसा बीजेपी पर हुआ. और, दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी मिलता जुलता असर ही देखने को मिला. दिल्ली में तत्कालीनी आम आदमी पार्टी की सरकार ने भी वादा कर रखा था, और बीजेपी ने भी. चूंकि सत्ता में होते हुई भी आम आदमी पार्टी की सरकार पैसे नहीं दे पाई, इसलिए लोगों को बीजेपी के चुनावी वादे पर ज्यादा भरोसा बना - और दिल्ली में बीजेपी की सरकार बनवा दी.
अब भी सवाल सिर्फ यही नहीं है कि क्या नीतीश कुमार के पेंशन राशि बढ़ाने का फैसला वाकई मास्टरस्ट्रोक है? सवाल ये भी है कि क्या ऐसा करने से नीतीश कुमार के प्रति नाराजगी खत्म हो जाएगी? क्या ये नीतीश कुमार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर की काट है? क्या नीतीश कुमार पर अब चिराग पासवान के कैंपेन का कोई असर नहीं हो सकेगा? क्या नीतीश कुमार को समेट डालने की बीजेपी और आरजेडी की सारी कवायद बेकार साबित हो सकती है?
मृगांक शेखर