MCD उपचुनाव के नतीजों में मैसेज तो सभी के लिए है, लेकिन अरविंद केजरीवाल के लिए दिल्लीवालों का खास संदेश है. खास तौर पर, तब भी जबकि अरविंद केजरीवाल खुद ही नहीं, बल्कि उनके करीबी साथी यानी आम आदमी पार्टी के बड़े नेताओं ने भी एमसीडी उपचुनाव से दूरी बनाए रखी.
देखा जाए तो आम आदमी पार्टी ने उपचुनाव में अपनी तीनों सीटें गंवा दी है, लेकिन ध्यान देने वाली बात ये भी है कि पार्टी ने तीन सीटें जीती भी है. तकनीकी तौर पर हिसाब बराबर जरूर कह सकते हैं, लेकिन व्यावहारिक तौर पर नहीं. आम आदमी पार्टी को तीन सीटें इसलिए मिली हैं, क्योंकि बीजेपी वे सीटें हार गई है.
अरविंद केजरीवाल के लिए अच्छी खबर ये है कि एमसीडी उपचुनाव से दूरी बना लेने के बावजूद बीजेपी को उपचुनाव में दो सीटों का नुकसान हुआ है. एमसीडी के 12 वार्डों में हुए उपचुनाव में बीजेपी ने 7 सीटें जीती हैं. पहले बीजेपी के पास इनमें से 9 सीटें थीं. नतीजों की बात करें, तो एक सीट पर कांग्रेस को जीत मिली है, और एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार को जीत हासिल हुई है.
एमसीडी में अब कौन कितने पानी में?
1. पिछले एमसीडी चुनाव में आम आदमी पार्टी ने बीजेपी को शिकस्त देते हुए जीत का परचम लहराया था. ये तभी की बात है जब गुजरात में भी बीजेपी को चैलेंज करते हुए आम आदमी पार्टी विधानसभा की 5 सीटें जीत ली थी.
2022 में हुए एमसीडी चुनाव में आम आदमी पार्टी को 134 सीटें, बीजेपी को 104 और कांग्रेस को सिर्फ 9 वार्डों में जीत मिल पाई थी.
2. उपचुनाव से पहले बीजेपी के पास 116 पार्षद, आम आदमी पार्टी के पास 98 पार्षद, IVP यानी इंद्रप्रस्थ विकास पार्टी के पास 15 पार्षद, कांग्रेस के 8 पार्षद और एमसीडी में एक पार्षद निर्दलीय था.
3. एमसीडी उपचुनाव के नतीजे आने के बाद बीजेपी के पार्षदों की संख्या बढ़कर 123 पहुंच गई है. आम आदमी पार्टी के 101 पार्षद हो गए हैं. आईवीपी के 15 पार्षद, कांग्रेस के 9 पार्षद.
4. नंबर के हिसाब से दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के लिए एमसीडी उपचुनावों के नतीजे भले ही अच्छे न हों, लेकिन राहत की बात ये है कि शालीमार बाग-बी से बीजेपी उम्मीदवार अनीता जैन चुनाव जीत गई हैं. असल में, रेखा गुप्ता विधायक और मुख्यमंत्री बनने से पहले शालीमार बाग-बी से ही पार्षद हुआ करती थीं.
5. रेखा गुप्ता के लिए राहत भरी खबर ये भी है कि द्वारका-बी वार्ड में भी बीजेपी को जीत मिली है. असल में, पश्चिमी दिल्ली की बीजेपी सांसद कमलजीत सहरावत भी पहले द्वारका-बी वार्ड से पार्षद थी.
आम आदमी पार्टी को कितना नफा, कितना नुकसान?
1. MCD के जिन 12 वार्डों में चुनाव हुए हैं, उनमें से तीन पर आम आदमी पार्टी का कब्जा था. लेकिन, अब तीनों ही सीटें आम आदमी पार्टी गंवा चुकी है. दो सीटें तो आम आदमी पार्टी ने बीजेपी के हाथों गंवाई है, जबकि एक वार्ड हाथ से फिसलकर निर्दलीय उम्मीदवार के खाते में पहुंच गई है.
2. चांदनी महल वार्ड जो पहले आम आदमी पार्ट के पास था, अब वहां से निर्दलीय पार्षद मोहम्मद इमरान होंगे. मतलब, आम आदमी पार्टी को बीजेपी ही नहीं निर्दलीय उम्मीदवार से भी हार का सामना करना पड़ा है.
3. उपचुनाव से पहले आम आदमी पार्टी के पास चांदनी महल, चांदनी चौक और दिचाऊं कलां वार्डों में अपने पार्षद हुआ करते थे - अब तीनों वार्डों से आप का पत्ता साफ हो चुका है.
4. लेकिन, अच्छी बात ये है कि आम आदमी पार्ट अब मुंडका, दक्षिणपुरी और नारायणा वार्डों में बीजेपी को शिकस्त देकर जीत दर्ज कर लिया है. दिल्ली चुनाव की हार का हिसाब तो नहीं कह सकते, लेकिन आम आदमी पार्ट ने बीजेपी से मिला दर्द थोड़ा कम तो कर ही लिया है.
क्या सौरभ भारद्वाज की मेहनत रंग लाई?
साल की शुरुआत में भी दिल्ली चुनाव में बीजेपी के हाथों मिली हार के बाद अरविंद केजरीवाल विधानसभा आतिशी, और दिल्ली में संगठन की राजनीति सौरभ भारद्वाज के हवाले कर, विपश्यना के लिए पंजाब चले गए थे. तब से वो दिल्ली कभी कभार ही आते हैं, क्योंकि उनका ज्यादातर वक्त उन राज्यों में बीतता है, जहां विधानसभा के चुनाव होने हैं.
एमसीडी उपचुनाव में कमान आम आदमी पार्टी के दिल्ली संयोजक सौरभ भारद्वाज ने अपने हाथ में रखी थी, और पार्टी की जीत सुनिश्चित करने के लिए दुर्गेश पाठक सहित दिल्ली के और नेताओं को भी मोर्चे पर लगा रखा था. सभी ने खूब मेहनत भी की. जैसे सौरभ भारद्वाज ने अरविंद केजरीवाल को नहीं निराश किया है, दिल्ली के नेताओं ने भी सौरभ भारद्वाज को कमजोर नहीं पड़ने दिया है.
सौरभ भारद्वाज ने सोशल साइट X पर लिखा है, चुनाव छोटा था... आम आदमी पार्टी 3 पर थी, 3 पर रही... भाजपा बेईमानी करने के बाद भी 9 से 7 पर आई.
आप नेता सौरभ भारद्वाज आगे लिखते हैं, दिल्ली में भाजपा सरकार के पहले लिटमस टेस्ट में दो बातें सामने आई हैं... भाजपा नीचे आ रही है, भाजपा के बड़े बड़े नेताओं और सांसदों ने मंच से कहा - 'आप के पार्षद को चुनोगे तो हम काम नहीं करने देंगे', फिर भी भाजपा का नंबर घट गया.
क्या केजरीवाल को अब दिल्ली की फिक्र नहीं?
दिल्ली शराब नीति केस में जब अरविंद केजरीवाल जेल गए थे, तो मिलकर आने वाला आम आदमी पार्टी का हर नेता एक ही बात बोलता था. अरविंद केजरीवाल को जेल में भी दिल्लीवालों की ही फिक्र सताती है. मिलने पर वो अपना हाल बताने से पहले दिल्लीवालों के बारे में ही पूछते हैं. उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल का भी ऐसा ही बयान आया था.
अब तो लगता है जैसे अरविंद केजरीवाल को दिल्लीवालों की कोई फिक्र ही नहीं है. जैसे दिल्ली से वो बहुत दूर जा चुके हों. ये सवाल इसलिए भी उठ रहा है क्योंकि अरविंद केजरीवाल ही नहीं, उनके सीनियर साथी मनीष सिसोदिया भी उपचुनावों में नजर नहीं आए. करीब करीब यही हाल दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी और राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा का भी रहा.
1. एमसीडी के विनोद नगर वार्ड में भी उपचुनाव हुआ है. ये वार्ड पटपड़गंज विधानसभा में पड़ता है, जहां से मनीष सिसोदिया 2013 से 2025 तक विधायक रहे हैं.
2. दिल्ली के जिस राजेंद्र नगर से राघव चड्ढा विधायक बने थे, उसी इलाके के नारायणा वार्ड में भी उपचुनाव हुआ.
3. आतिशी की कालकाजी विधानसभा सीट से सटे ग्रेटर कैलाश वार्ड में भी उपचुनाव हुआ है.
4. राज्यसभा सांसद संजय सिंह तो यूपी में 'रोजगार दो, सामाजिक न्याय दो' यात्रा पर ही निकल गए हैं.
5. और, अरविंद केजरीवाल ने तो अभी अभी गोवा के लोगों को X पर हार्दिक बधाई दी है. गोवा में भी पंजाब और गुजरात के साथ ही 2027 में ही विधानसभा के लिए चुनाव होने हैं.
-सबसे बड़ा सवाल ये है कि अगर अरविंद केजरीवाल के लिए गुजरात का विसावदर उपचुनाव और लुधियाना वेस्ट उपचुनाव महत्वपूर्ण हो सकता है तो एमसीडी उपचुनाव क्यों नहीं?
-क्या दिल्ली चुनाव में हुई हार से वो अब तक उबर नहीं पाए हैं?
-क्या पंजाब में आम आदमी पार्टी की सत्ता बचाए रखने का डर और दबाव है?
-क्या गुजरात में कुछ और हासिल करने की कवायद चल रही है?
सवाल अपनी जगह हैं, लेकिन दिल्ली वालों ने अरविंद केजरीवाल को अपना मैसेज तो दे ही दिया है.
मृगांक शेखर