भारतीय वायुसेना के फाइटर पायलट्स को सिखाया जाता है- पहले विमान बचाने की कोशिश करो. अगर नहीं बचा सकते तो लोगों को बचाओ, आखिर में खुद को बचाओ. यही किया विंग कमांडर नमांश स्याल ने. दुबई एयर शो 2025. हर कोई भारत के तेजस को देखने आया था. नमांश स्याल ने आखिरी 2 सेकंड में जो किया, वो किसी फिल्म से कम नहीं – उन्होंने पंख सीधे किए, जेट की नाक को दर्शकों से दूर मोड़ा और जमीन पर लोगों को बचाने की पूरी कोशिश की... और वो शहीद हो गए, लेकिन सैकड़ों जिदगियां बचा गए.
ये सिर्फ एक विमान हादसा नहीं, एक बहादुर सैनिक का बलिदान था. तेजस भारत का अपना बनाया पहला आधुनिक लड़ाकू विमान है. 40 साल की मेहनत, हजारों इंजीनियरों का पसीना, आत्मनिर्भर भारत का सपना – सब इसमें समाया है. दुबई में ये विमान विदेशी ग्राहकों को अपनी क्षमता-ताकत दिखाने गया था. मिस्र, अर्जेंटीना, फिलीपींस, नाइजीरिया जैसे देश रुचि दिखा रहे थे. लेकिन अब सबके मन में एक ही सवाल है – प्रदर्शन में ही गिर जाए तो युद्ध में क्या होगा?
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ईमानदारी से कहें तो बहुत बड़ा झटका लगा है. जो देश 10-20 विमान खरीदने की बात कर रहे थे, वो अब डाउट में हैं. कोई भी सेना अपना पैसा और अपने पायलट की जान दांव पर नहीं लगाना चाहती. अगर आज की तारीख में कोई पूछे – तेजस लेंगे? तो जवाब आएगा – पहले दुबई वाला केस साफ हो जाए, फिर देखते हैं.
लेकिन क्या ये पहला मौका है जब किसी नए विमान का प्रदर्शन में हादसा हुआ और बिक्री रुक गई? बिल्कुल नहीं. एविएशन सेफ्टी नेटवर्क के मुताबकि 1999 में पेरिस एयर शो में रूस का Su-30 क्रैश हो गया था. सबने कहा रूस का गेम खत्म. लेकिन 2 साल बाद ही भारत ने 270 Su-30 खरीदे – आज तक हमारी वायुसेना की रीढ़ हैं.
एयरोस्पेस ग्लोबल न्यूज के अनुसार अमेरिका का F-35 आज दुनिया का सबसे महंगा प्रोजेक्ट है, 1.7 लाख करोड़ डॉलर. 2018 से 2025 तक इसके 11 हादसे हो चुके हैं. फिर भी 20 से ज्यादा देश लाइन में लगे हैं. F-16 के 650 से ज्यादा हादसे हुए हैं, फिर भी 25 देश उड़ा रहे हैं.
MiG-21: 1200+ हादसे
F-16: 650+
MiG-29: 206
F-15: 175
F/A-18: 143
Su-30: 23
Rafale: 4
Tejas: 2
(स्रोतः आर्मी रिकग्निशन, ग्लोबल सिक्योरिटी, यूएसएफ, एएसएन डेटाबेस, यूरेशियन टाइम्स, न्यूजवीक)
यानी हादसा होता है, सुधार होता है, विश्वास वापस आता है. बस देर नहीं लगनी चाहिए. क्योंकि मानव ही मशीन बनाता है. मानव से भी गलती हो सकती है और हर मशीन की अपनी क्षमता होती है.
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दुबई वाला हादसा नेगेटिव-जी मैन्यूवर के दौरान हुआ. तेजस का फ्लाई-बाई-वायर सिस्टम अभी भी क्वाड्रुप्लेक्स नहीं है. मतलब चार अलग-अलग चैनल नहीं हैं जो एक साथ फेल होने पर भी विमान को बचा लें. एक तरह का बचाव सिस्टम जो पायलट को विमान और खुद को बचाने का मौका देते हैं. राफेल, टाइफून, F-16 ब्लॉक 60, यहां तक कि JF-17 ब्लॉक-3 में भी क्वाड्रुप्लेक्स FBW है. तेजस में अभी ट्रिपल रिडन्डेंट है.
एक चैनल फेल हुआ या गड़बड़ हुआ तो पायलट के पास बचाने का वक्त ही नहीं बचा. दूसरी बड़ी कमज़ोरी – GE F404 इंजन का थ्रॉटल रिस्पॉन्स. यानी विपरीत माहौल में इंजन क्या इतनी ऊर्जा पा रहा है कि वो ताकत के साथ उड़ान भर सके. यानी नेगेटिव-जी में इंजन हवा कम ले पाता है, फ्लेम-आउट का खतरा बढ़ जाता है. मतलब इंजन बंद होने का खतरा. अमेरिका ने F-16 के लिए ये समस्या 1980 में ही सुलझा ली थी. तेजस में अभी तक नहीं हुई थी.
2 महीने में पूरी रिपोर्ट दुनिया के सामने रखो. अगर इंजन में दिक्कत थी, अगर फ्लाई-बाई-वायर सॉफ़्टवेयर में गड़बड़ थी, साफ-साफ बताओ. दुनिया टेक्निकल कमजोरी से ज्यादा, इसे दूर करने में हुई देरी से डरती है.
अगला प्रदर्शन 6 महीने में करो
तेजस Mk-1A को तैयार करो, पूरी दुनिया को बुलाओ – बेंगलुरु एयरो इंडिया में या पोखरण में. एक बार फिर से सुरक्षित, शानदार प्रदर्शन दिखाओ. लोग पुराना हादसा भूल जाएंगे. Aero India 2027 में ऐसा प्रदर्शन करो कि लोग दुबई भूल जाएं. चार तेजस एक साथ उड़ाकर दिखाओ. Mk-2 की पहली उड़ान करो.
अपना इंजन जल्दी लाओ
अभी तेजस अमेरिका के GE-F404 इंजन पर चलता है. अपना 110 kN वाला कावेरी इंजन या Safran के साथ नया प्रोजेक्ट पूरा करो. विदेशी ग्राहक यही पूछते हैं – इंजन अपना है या अमेरिका रोक देगा? अपना 110-120 kN इंजन 2030 तक हर हाल में तैयार करो.
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कीमत और रखरखाव को और आकर्षक बनाओ
तेजस की सबसे बड़ी ताकत है – ये सस्ता है, चलाने का खर्च कम है. गर्म रेगिस्तान से लेकर ठंडे पहाड़ तक उड़ सकता है. इसे और जोर-शोर से बताओ.
हादसा बस एक क्रिटिकल मोमेंट में हुआ टेक्निकल फेलियर हो सकता है. वरना उससे पहले नामांश ने जो मैन्युवर किए, जो भी कलाबाजियां दिखाईं, वो इस प्लेन पर पायलट का भरोसा दिखाने वाली थीं. गुवाहाटी में भी वो सक्सेसफुली ये सब परफॉर्म कर चुके थे. दुबई हादसे के अंत में वो प्लेन से बेहतर पायलट साबित हुए वरना नुकसान ज्यादा हो सकता था. अब हमें जल्द से जल्द बस ये साबित करना है कि हमारा प्लेन, कुशल पायलट्स की कैपेबिलिटी को मैच करेगा.
हादसा दुख देता है, लेकिन रास्ता नहीं रोकता. जापान ने ज़ीरो फाइटर बनाया, हारा, फिर उठा. अमेरिका ने F-35 में हजारों गलतियां कीं, आज भी कर रहा है, लेकिन हारा नहीं. रूस का Su-27 बार-बार गिरा, फिर भी दुनिया खरीदती है. तेजस इन सभी फाइटर पायलट की तुलना में अभी नया है. 40 साल का सफर, सिर्फ 40-50 विमान बने हैं. अमेरिका-रूस-फ्रांस ने हजारों-हजार विमान बनाए तब जाकर परफेक्ट हुए. हमें अभी 500-1000 तेजस बनाने हैं, तब कहीं हम विश्वास के साथ कह सकेंगे – ये दुनिया का सबसे भरोसेमंद छोटा लड़ाकू विमान है.
ऋचीक मिश्रा