अरविंद केजरीवाल को आम आदमी पार्टी ने नई दिल्ली विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है. आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों की आखिरी सूची आ जाने के बाद साफ हो गया है कि अरविंद केजरीवाल की न तो मनीष सिसोदिया की तरह सीट बदली जा रही है, न ही उनके एक से ज्यादा सीटों से लड़ने की कोई संभावना बच रही है.
नई दिल्ली से तीन बार विधानसभा चुनाव जीत चुके अरविंद केजरीवाल के लिए इस बार मुकाबला काफी मुश्किल लग रहा है. क्योंकि, इस बार अरविंद केजरीवाल को अलग तरह की चुनौती मिल रही है.
अभी तक तो कांग्रेस उम्मीदवार संदीप दीक्षित से ही मुकाबला था, अब बीजेपी के टिकट पर प्रवेश वर्मा का भी नई दिल्ली विधानसभा सीट से ही चुनाव लड़ना पक्का माना जा रहा है.
संदीप दीक्षित और प्रवेश वर्मा में दो कॉमन बातें हैं. एक, दोनो ही दिल्ली से लोकसभा सांसद रह चुके हैं, और दो, दोनो ही दिल्ली के पूर्व 'मुख्यमंत्रियों के बेटे' हैं - और अब आम आदमी पार्टी नई दिल्ली सीट के लिए खास कैंपेन की तैयारी कर रही है, जिसमें अरविंद केजरीवाल को 'दिल्ली का बेटा' के तौर पर प्रोजेक्ट किये जाने की कोशिश बताई जा रही है.
केजरीवाल के लिए 'खेला' करना आसान नहीं है
नई दिल्ली सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार संदीप दीक्षित की बात करें, तो अपनी मां शीला दीक्षित की हार का बदला लेने का बेहतरीन मौका है. 2013 में अरविंद केजरीवाल ने पहले ही चुनाव में शीला दीक्षित को शिकस्त दे डाली थी - और पहली बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बन गये थे, विडंबना ये थी कि वो कांग्रेस के सपोर्ट से ही सीएम बने थे.
शीला दीक्षित के बाद अरविंद केजरीवाल कांग्रेस की किरण वालिया और बीजेपी की नूपुर शर्मा को भी हरा चुके हैं. अब शीला दीक्षित के बेटे संदीप से उनके मुकाबला होने जा रहा है.
और अब ये भी मालूम हुआ है कि बीजेपी नई दिल्ली सीट से पूर्व सांसद प्रवेश वर्मा को मैदान में उतारने जा रही है. जैसे संदीप दीक्षित दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे हैं, प्रवेश वर्मा भी दिल्ली के मुख्यमंत्री रह चुके साहिब सिंह वर्मा के बेटे हैं - खास बात ये है कि अरविंद केजरीवाल के दोनो ही प्रतिद्वंद्वी दिल्ली से सांसद रह चुके हैं. संदीप दीक्षित 2014 से पहले, और प्रवेश वर्मा उसके बाद. दोनो ही 10-10 साल सांसद रहे हैं.
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सामने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जैसी चुनौती खड़ी हो गई है. 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी ने टीएमसी छोड़कर बीजेपी में चले गये शुभेंदु अधिकारी की चुनौती स्वीकार करते हुए नंदीग्राम से चुनाव लड़ गई थीं, लेकिन हार गईं.
ममता बनर्जी अपना चुनाव तो हार गईं, लेकिन तृणमूल कांग्रेस की जीत पक्की कर डाली थी - और मुख्यमंत्री बनने के बाद उपचुनाव लड़कर विधायक बनी थीं - क्या अरविंद केजरीवाल भी ऐसा कर पाएंगे?
नई दिल्ली में 'दिल्ली का बेटा' कैंपेन
लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी ने दिल्ली के सात सांसदों में से 6 के टिकट काट दिये थे, और उनमें प्रवेश वर्मा भी शामिल हैं. अबप लग रहा है कि प्रवेश वर्मा को लोकसभा चुनाव में इसी वजह से नहीं उतारा गया था. बीजेपी ने सिर्फ मनोज तिवारी को तीसरी बार चुनाव लड़ाया था, और वो जीते भी.
नई दिल्ली विधानसभा सीट पहले गोल मार्केट का हिस्सा हुआ करती थी. 2008 में परिसीमन के बाद नई दिल्ली विधानसभा सीट अस्तित्व में आई. शीला दीक्षित ने 1998, 2003 और 2008 में इस इलाके से विधानसभा का चुनाव जीता, और मुख्यमंत्री बनी रहीं.
2013 से नई दिल्ली सीट से जीतते आ रहे, अरविंद केजरीवाल हाल तक दिल्ली के मुख्यमंत्री हुआ करते थे, और आम आदमी पार्टी की तरफ से कहा गया है कि चुनाव जीतने पर भी वही मुख्यमंत्री बनेंगे.
देखा जाये तो नई दिल्ली सीट इस हिसाब से वीआईपी सीट बन चुकी है. जो भी नई दिल्ली से विधायक चुना जाता है, दिल्ली का मुख्यमंत्री भी बनता है - तो क्या प्रवेश वर्मा के साथ भी ऐसा हो सकता है?
2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में सांसद मनोज तिवारी के दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष थे, लेकिन एक अजीब बात देखने को मिली थी. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बार बार अरविंद केजरीवाल को प्रवेश वर्मा से बहस करने के लिए ललकार रहे थे - और इस बार तो प्रवेश वर्मा दिल्ली विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाये जाने की बात हो रही है, वैसे बीजेपी ने अभी तक औपचारिक रूप से ऐसा नहीं किया है.
पिछले चुनाव में यही प्रवेश वर्मा और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर कदम कदम पर अरविंद केजरीवाल को घेर रहे थे. तब सीएए के खिलाफ शाहीन बाग में धरना और विरोध प्रदर्शन भी चल रहा था, और अरविंद केजरीवाल का नाम जोड़कर टार्गेट किया जा रहा था.
तभी एक चुनावी सभा में अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी के कैंपेन पर ऐसे रिएक्ट किया कि बाजी ही पटल गई. अरविंद केजरीवाल ने कहा कि बीजेपी वाले मुझे आतंकवादी बोल रहे हैं. और पूछा, क्या ये सही है? ऐसे में कौन युवा राजनीति में आने की हिम्मत करेगा?
और फिर बोले, 'आज मैं अपने दिल्लीवालों पर छोड़ता हूं... आप मुझे अपना बेटा मानते हो या आतंकवादी मानते हो? 8 फरवरी को जब आप वोट देने जाना, तब बटन दबाने से पहले जरूर सोचना... अगर आप मुझे अपना बेटा समझते हो, तो सिर्फ झाड़ू को वोट दे देना... और अगर मुझे आतंकवादी समझते हो तो कमल पर वोट दे देना.'
और अरविंद केजरीवाल की बस इसी अपील ने पूरे कैंपेन का मिजाज ही बदल डाला, और अरविंद केजरीवाल ने फिर से भारी बहुमत से जीत हासिल की. सिर्फ 5 सीटें 2015 के मुकाबले कम मिली थी. 2015 में आम आदमी पार्टी ने 70 में से 67 सीटें जीती थी.
अब नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र में आम आदमी पार्टी अलग तरीके से कैंपेन शुरू करने जा रही है - 'दो सीएम के बेटे और एक दिल्ली का बेटा'.
मृगांक शेखर