पहलगाम हमले के बाद देश का माहौल अत्यंत संवेदनशील और राष्ट्रवादी बना हुआ है. देश की जनता पाकिस्तान के खिलाफ कठोर कार्रवाई और राष्ट्रीय एकता की अपेक्षा कर रही है. प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने भी पहलगाम हमले के लिए पाकिस्तान की निंदा की है. पर सिद्धारमैया, वडेट्टीवार, राबर्ड वाड्रा और अजय राय जैसे नेताओं के विवादास्पद बयानों और सोशल मीडिया पर नकारात्मक प्रचार ने यह धारणा बनाई कि पार्टी पाकिस्तान के खिलाफ एक्शन नहीं चाहती है. सवाल यह उठता है कि क्या कांग्रेस देश के माहौल को पूरी तरह समझ नहीं पा रही या न चाहते हुए भी उसके नेताओं से गलतियां हो जा रही हैं. खासकर जब असदुद्दीन ओवैसी जैसे नेताओं ने इस माहौल का बेहतर उपयोग किया है. क्या कांग्रेस वास्तव में कन्फ्यूज है?
पहलगाम हमले के बाद देश का माहौल
पहलगाम हमले के बाद देश में तीव्र राष्ट्रवादी प्रतिक्रिया उत्पन्न की है. देश का हर व्यक्ति चाहता है कि मोदी सरकार पाकिस्तान को सबक सिखाए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार बोल चुके हैं कि पहलगाम अटैक से जुड़े लोगों को ऐसी सजा दी जाएगी जो अकल्पनीय होगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हमलावरों को पृथ्वी के छोर तक पीछा करके सजा देने वाले बयान के पीछे इन्हीं राष्ट्रवादी भावनाओं को संतुष्ट करना रहा है.
चूंकि यह हमला सामान्य पर्यटकों पर हुआ है इसलिए आम लोगों के बीच इनके प्रति बहुत संवेदना है. इन पर्यटकों के बल पर ही भारत सरकार ये साबित करती थी कश्मीर में सब कुछ सामान्य हो रहा है. देश के हर हिस्से से आए पर्यटकों का क्रूरता से आतंकियों का शिकार होना भारत की कश्मीर में शांति की कथा को चुनौती की तरह था. जिससे जनता में आक्रोश बढ़ना स्वभाविक है. भारत सरकार ने हमले के लिए लश्कर-ए-तैयबा को जिम्मेदार बताया है. जिसे पाकिस्तान समर्थित माना जाता है. जाहिर है कि पूरे देश में जनता और राजनीतिक दलों ने एकजुट होकर पाकिस्तान पर कठोर कार्रवाई की मांग की है. यही कारण रहा कि सरकार ने सिंधु जल संधि का निलंबन और सीमा बंदी जैसे कदम उठाए हैं.
पर दुर्भाग्य से देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस के नेताओं ने ऐसी बयानबाजी की है जो न पार्टी के लिए ठीक है और न ही देश की सुरक्षा के लिहाज से ही सही है. कांग्रेस के कई नेताओं के बयान का दुरुपयोग पाकिस्तान भारत को बदनाम करने के लिए कर रहा है.
कांग्रेस की प्रतिक्रिया
कांग्रेस ने पहलगाम हमले की निंदा की और सरकार के साथ एकजुटता दिखाई. कांग्रेस कार्य समिति (CWC) ने 24 अप्रैल 2025 को एक आपात बैठक बुलाई, जिसमें हमले की निंदा की गई और पीड़ितों को श्रद्धांजलि दी गई. कांग्रेस ने हमले के तुरंत बाद सर्वदलीय बैठक की मांग की, जिसे सरकार ने स्वीकार किया. राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस बैठक में हिस्सा लिया और सरकार को समर्थन देने का वादा किया. लेकिन पार्टी के कुछ नेताओं के बयानों ने जो भद पिटवाई है उसका खामियाजा आगामी चुनावों में देखने को मिल सकता है. राहुल गांधी ने हमले के बाद अपनी अमेरिका यात्रा रद्द की और घायलों व पीड़ित परिवारों से मिलने कश्मीर गए. पार्टी ने कैंडल मार्च निकाला. पर कांग्रेस के कुछ खास लोग सारी मेहनत पर पानी फेरना चाहते हैं.
- कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा, पाकिस्तान के साथ युद्ध की जरूरत नहीं है, सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करना चाहिए. इस बयान को पाकिस्तानी मीडिया ने सकारात्मक रूप से कवर किया, जिससे बीजेपी ने कांग्रेस पर पाकिस्तान समर्थक होने का आरोप लगाया.
- महाराष्ट्र के कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने हमले में धार्मिक आधार पर हत्या के दावों पर सवाल उठाया, यह कहते हुए कि आतंकवादियों के पास धर्म पूछने का समय नहीं होता. इसे बीजेपी ने पाकिस्तान का बचाव करार दिया.
-प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा ने सुझाव दिया कि हमले में गैर-मुस्लिमों को निशाना बनाया गया क्योंकि आतंकवादी मानते हैं कि भारत में मुस्लिमों के साथ बुरा व्यवहार हो रहा है. इस बयान ने विवाद को और बढ़ाया.
- कांग्रेस ने एक पोस्टर जारी किया, जिसमें पीएम मोदी को गायब बताया गया, यह सुझाव देते हुए कि वे हमले के बाद जनता से संवाद नहीं कर रहे. बीजेपी ने इसे पाकिस्तान की लाइन पर चलने वाला कदम कहा.
- 4 मई 2025 को लखनऊ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, अजय राय ने पहलगाम हमले के संदर्भ में केंद्र सरकार की आतंकवाद विरोधी नीति पर सवाल उठाते हुए एक प्रतीकात्मक विरोध प्रदर्शन किया.अजय राय ने एक राफेल विमान के खिलौना मॉडल पर नींबू और मिर्ची लटकाकर प्रदर्शन किया. उन्होंने कहा कि सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च करके राफेल विमान मंगवाए थे, लेकिन आज वे सिर्फ हैंगर में खड़े हैं. उन पर तो नींबू और मिर्ची लटकी हुई हैं. क्या ये लड़ाकू विमान केवल नजरबट्टू बनाकर रख दिए गए हैं. जाहिर है कि अजय राय के इन बयानों को पाकिस्तान ने हाथों हाथ लिया.
हालांकि इन विवादास्पद बयानों के बाद, कांग्रेस नेतृत्व ने अपने नेताओं को पार्टी लाइन का पालन करने की चेतावनी दी. जयराम रमेश ने स्पष्ट किया कि सिद्धारमैया और अन्य नेताओं के बयान पार्टी की आधिकारिक स्थिति को प्रतिबिंबित नहीं करते. पार्टी ने नेताओं को अनुशासनात्मक कार्रवाई की धमकी भी दी. पर पार्टी को जो डैमेज होना था वो हो चुका था.
3. क्या कांग्रेस माहौल को समझ नहीं पा रही?
सवाल उठता है कि कांग्रेस माहौल को पूरी तरह समझ नहीं पा रही या इसके पीछे पार्टी में आंतरिक समन्वय की कमी है. क्योंकि जिस तरह कांग्रेस के बड़े नेताओं ने पहलगाम अटैक के बाद सरकार का साथ दिया है वह अभूतपूर्व रहा है. गायब वाले कार्टून पर भी जिस तरह केसी वेणुगोपाल ही नहीं राहुल गांधी और प्रियंका गांधी आदि तुरंत एक्शन मोड में दिखे वह कांग्रेस की परंपरा से अलग रहा .30 अप्रैल 2025 की रात, कांग्रेस ने इस पोस्टर को अपने आधिकारिक X हैंडल से डिलीट कर दिया. कहा जा रहा है कि यह कदम प्रियंका गांधी वाड्रा और केसी वेणुगोपाल के दबाव में उठाया गया. सुप्रिया श्रीनेत को इस पोस्टर को हटाने और पार्टी लाइन से हटने के लिए फटकार भी लगाई गई.
इस ट्वीट के बाद केसी वेणुगोपाल ने एक सर्कुलर जारी किया, जिसमें सभी नेताओं को पहलगाम हमले पर कांग्रेस कार्य समिति (CWC) के प्रस्ताव और सरकार के साथ एकजुटता के रुख का पालन करने को कहा गया. प्रियंका गांधी ने इस सर्कुलर को रीट्वीट किया, जो एक दुर्लभ अनुशासनात्मक कदम था.
कांग्रेस के बड़े नेताओं का रुख देखकर ऐसा नहीं लगता है कि पार्टी देश के माहौल को समझ नहीं रही है. पर कांग्रेस पार्टी का बरसों पुराना संगठन इतना कमजोर हो चुका है जिसके चलते नेतृत्व की बातें पार्टी के निचले लेवल तक पहुंच ही नहीं पाती हैं. दूसरे ये भी है कि पार्टी के अधिकतर लोगों को लगता है कि मोदी और बीजेपी को जितना घेरेंगे उतना ही हाईकमान को अच्छा लगेगा. पूर्व में कांग्रेस राष्ट्रवादी भावनाओं को पूरी तरह से अपनाने में संकोच दिखाती रही है. इसलिए अधिकतर कांग्रेसियों को लगता है कि एंटी राष्ट्रवाद हमारे बड़े नेताओं को पसंद आता है.
संयम श्रीवास्तव