ऋषिगंगा नदी के ऊपरी क्षेत्र में एक झील बनने से त्रासदी ग्रस्त चमोली में भय का माहौल बन गया है. वहीं नई जानकारी यह मिली है कि रौंठी नाले के पास एक प्राकृतिक झील बन गई है. भूस्खलन के कारण बनी इस झील से पानी बहते हुए भी देखा गया है.
उपग्रह से मिली तस्वीरों में भी ऋषिगंगा नदी के ऊपर झील के बनने की पुष्टि हुई है. हालांकि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने लोगों से कहा है कि इससे घबराने की नहीं, बल्कि सावधान रहने की जरूरत है.
रावत ने कहा कि झील के बारे में पता चला है और हम उपग्रह की मदद से लगातार निगाह बनाए हुए हैं. यह झील 400 मीटर लंबी है लेकिन इसकी गहराई के बारे में अभी अनुमान नहीं है. अभी तक झील की जो स्थिति है उसके बारे में सावधान रहने की जरूरत है. घबराने की जरूरत नहीं है.
बता दें कि उत्तराखंड के वैज्ञानिकों को ऋषिगंगा नदी के छह किलोमीटर ऊपर एक झील मिली है लेकिन अभी यह पता नहीं चल पाया है कि इससे निचले इलाकों की बसावट को कोई खतरा है या नहीं.
इस झील का पता लगाने वाले वाडिया इंस्टीटयूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के निदेशक कलाचंद साईं ने बताया कि संस्थान के वैज्ञानिकों के एक दल ने रविवार को आई आपदा के अगले दिन ऋषिगंगा के ऊपरी क्षेत्र के हवाई सर्वेक्षण के दौरान वहां एक झील देखी थी. उन्होंने कहा कि झील का निर्माण संभवत: हाल में हुए हिमस्खलन के कारण हुआ होगा.
साईं ने बताया कि हमारे वैज्ञानिक झील के आकार, उसकी परिधि और उसमें मौजूद पानी की मात्रा का परीक्षण कर रहे हैं जिससे यह पता लगाया जा सके कि इससे खतरा कितना बड़ा और कितना तात्कालिक है.
चमोली की जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया के मुताबिक झील के निरीक्षण के लिए भारतीय भूगर्भ सर्वेंक्षण की एक आठ सदस्यीय टीम गठित की गई है. उन्होंने बताया कि वैज्ञानिकों का यह टीम ऋषिगंगा के ऊपरी क्षेत्र का निरीक्षण कर जिला प्रशासन को जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट देगी.
इस बीच, ऋषिगंगा के जलस्तर में उतार चढ़ाव को देखते हुए चमोली जिला प्रशासन ने चेतावनी जारी कर लोगों को सूर्यास्त के बाद नदी किनारे नहीं जाने की सलाह दी है.
जितेंद्र बहादुर सिंह