भारत में सरोगेसी पर बैन से अमेरिकी जोड़ा परेशान, अपने 8 भ्रूण वापस पाने के लिए HC से लगाई गुहार

एक अमेरिकी जोड़े ने मुंबई के एक अस्पताल में रखे अपने आठ भ्रूणों (Embryos) को उन्हें वापस सौंपे जाने की मांग की है. उन्होंने ये कदम भारत सरकार की ओर से हाल में किराए की कोख (कॉमर्शियल सरोगेसी) पर बैन लगाए जाने के बाद उठाया है.

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भारत में सरोगेसी पर बैन के बाद से परेशान है अमेरिकी जोड़ा भारत में सरोगेसी पर बैन के बाद से परेशान है अमेरिकी जोड़ा

मोनिका शर्मा / BHASHA / खुशदीप सहगल

  • मुंबई,
  • 18 अक्टूबर 2016,
  • अपडेटेड 11:57 PM IST

बॉम्बे हाईकोर्ट ने अमेरिका के एक जोड़े की याचिका पर केंद्रीय परिवार कल्याण विभाग और विदेश व्यापार के महानिदेशक को पक्ष बनाए जाने का आदेश दिया है. इस अमेरिकी जोड़े ने मुंबई के एक अस्पताल में रखे अपने आठ भ्रूणों (Embryos) को उन्हें वापस सौंपे जाने की मांग की है. उन्होंने ये कदम भारत सरकार की ओर से हाल में किराए की कोख (कॉमर्शियल सरोगेसी) पर बैन लगाए जाने के बाद उठाया है.

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जस्टिस शांतनु केमकर की अगुआई वाली बेंच ने ये आदेश देने के साथ इस मामले में 24 अक्टूबर को अगली सुनवाई तय की है. बेंच का मानना है कि आयात और निर्यात के नियम विदेशी कारोबार के महानिदेशक की ओर से तय किए जाते हैं इसलिए उन्हें पार्टी बनाया जाना चाहिए. साथ ही याचिका भ्रूणों को लेकर है इसलिए परिवार कल्याण विभाग का पक्ष भी मामले में सुना जाना चाहिए.

याचिकाकर्ता के वकील आशुतोष कुंभकोनी ने दलील दी कि सरकार को इश्तहारी रुख नहीं दिखाना चाहिए बल्कि समस्या का समाधान निकालना चाहिए. वकील ने अमेरिकी जोड़े की तरफ से कहा, "ये हमारे भ्रूण हैं और इनका सरकार क्या करेगी. हम उन्हें इस देश के नियमों के हिसाब से और सक्षम अधिकारियों की अनुमति मिलने के बाद यहां लाए थे. अब सरोगेसी पर भारत में प्रतिबंध लगा दिया गया है इसलिए हम उन्हें वापस चाहते हैं."

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इससे पहले अमेरिकी जोड़े की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने प्रतिवादियों को नोटिस जारी किए थे. साथ ही इस मुद्दे पर सरकार की नीति को स्पष्ट करने के लिए कहा था.

पिछले महीने याचिका पर सुनवाई के दौरान बेंच ने जोड़े से पूछा था कि उन्होंने ये याचिका कैसे दाखिल की जबकि संविधान इसका अधिकार सिर्फ भारतीय नागरिकों को ही देता है.

यद्यपि वकील कुंभकोनी ने दलील दी कि संविधान का अनुच्छेद 21 ये अधिकार हर नागरिक को देता है, यहां तक कि विदेशी नागरिक को भी. वकील ने कहा, ये इसलिए क्योंकि जीने के अधिकार में ही शामिल है बच्चे को जन्म देने का अधिकार. इसलिए अमेरिकी जोड़े को हाईकोर्ट में ऐसी याचिका दाखिल करने का अधिकार है.

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