दावा: जगुआर डील के लिए मिशेल के बाप ने जगजीवन के परिवार को लंदन में कराई थी शॉपिंग

Deception in High Places किताब के लेखक निकोलस गिल्बी ने बताया कि 1978 में जगुआर फाइटर जेट्स सौदे से पहले वोल्फगैंग मैक्स मिशेल ने तत्कालीन रक्षा मंत्री जगजीवन राम और उनके परिवार की लंदन में मेजबानी की थी.

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प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर

गीता मोहन

  • नई दिल्ली,
  • 28 दिसंबर 2018,
  • अपडेटेड 8:37 PM IST

Deception in High Places किताब के लेखक निकोलस गिल्बी ने अगस्ता वेस्टलैंड मामले में कई खुलासे किए हैं. इंडिया टुडे को दिए इंटरव्यू में उसने कहा कि सिर्फ क्रिश्चियन मिशेल नहीं, उसके पिता वोल्फगैंग मैक्स मिशेल भी भारत में हथियारों के सौदे में बिचौलिए की भूमिका निभा चुके हैं.

गिल्बी के मुताबिक, 1978 में जगुआर फाइटर जेट्स सौदे से पहले वोल्फगैंग मैक्स मिशेल ने तत्कालीन रक्षा मंत्री जगजीवन राम और उनके परिवार की लंदन में मेजबानी की थी और हैरोड्स में उनकी शॉपिंग के बिल (करीब 800 पाउंड) का भी भुगतान किया था. खास बात है लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष और सेवानिवृत्त IFS अधिकारी मीरा कुमार अपने पिता तत्कालीन रक्षा मंत्री जगजीवन राम की यात्रा के समय लंदन में भारतीय उच्चायोग में तैनात थीं.

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गिल्बी को मिले ब्रिटेन के विदेश कार्यालय के दस्तावेजों से पता चलता है कि मिशेल सीनियर ने दावा किया था कि उन्होंने 1978 में लंदन की यात्रा के दौरान जगजीवन राम के साथ दोपहर का भोजन किया था. उन्होंने सीनियर मिशेल को भरोसा दिलाया था कि भारत जगुआर सौदे पर हस्ताक्षर करेगा. बाद में भारत और ब्रिटेन के बीच यह समझौता (जगुआर फाइटर जेट्स सौदा) हुआ था.

सीबीआई ने भी सीनियर मिशेल के बारे में किया था खुलासा

सीबीआई ने क्रिश्चियन मिशेल पर अपनी एक प्रेस विज्ञप्ति में उल्लेख किया था कि वोल्फगैंग मिशेल 1980 के दशक में भारतीय क्षेत्र में ब्रिटेन की कंपनी अगस्ता वेस्टलैंड का सलाहकार था. साथ ही वह भारतीय बाजार में काम करने वाली तीन कंपनियों को बढ़ावा देने का भी काम करता था. मिशेल जूनियर ने भी अपने को हेलीकॉप्टर कंपनी का "ऐतिहासिक सलाहकार" बताया था, जिसके पास विमान, सैन्य ठिकानों और पायलटों के तकनीकी संचालन का ज्ञान था.

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क्रिश्चियन मिशेल की चिट्ठी से आई थी सामने

इससे पहले क्रिश्चियन जेम्स मिशेल एक चिट्ठी सामने आई थी. फिनमेकैनिका कंपनी के CEO जुगेपी ओरसी को लिखी गई इस चिट्ठी में कहा गया था कि उन्होंने (मिशेल ने) सत्ताधारी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व द्वारा तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर दबाव बनवाया था. 28 अगस्त, 2009 को लिखी गई इस चिट्ठी के अनुसार, मिशेल को अगस्ता वेस्टलैंड डील से जुड़ी सभी जानकारियां प्रधानमंत्री कार्यालय, रक्षा मंत्रालय समेत सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों से मिल रही थीं. इतना ही नहीं उसे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और तत्कालीन अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन की मुलाकात के बारे में भी पता था.

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