कल दलित संगठनों का भारत बंद, क्या अपने ही घेर रहे हैं BJP को

बीजेपी भी इस मामले पर फूंक-फूंककर कदम रख रही है. क्योंकि 2019 में लोकसभा चुनाव है और ऐसे में पार्टी यह नहीं चाहेगी कि दलित वर्ग उनसे नाराज हों.

Advertisement
दलित संगठनों का भारत बंद. दलित संगठनों का भारत बंद.

आदित्य बिड़वई

  • नई दिल्ली,
  • 08 अगस्त 2018,
  • अपडेटेड 12:30 PM IST

एससी/एसटी एक्ट को सख्त बनाने समेत कई मांगों को लेकर कल 9 अगस्त को ऑल इंडिया आंबेडकर महासभा (AIAM) ने भारत बंद का ऐलान किया है. कई दलित संगठन देशभर में अपनी मांगों को लेकर आवाज बुलंद करेंगे. हालांकि, एससी- एसटी बिल और संशोधन लोकसभा में पारित कर दिए गए. अब इसे राज्यसभा में पेश किया गया है.

बीजेपी भी इस मामले पर फूंक-फूंककर कदम रख रही है. क्योंकि 2019 में लोकसभा चुनाव है और ऐसे में पार्टी यह नहीं चाहेगी कि दलित वर्ग उनसे नाराज हों.

Advertisement

उधर, इस मुद्दे पर बीजेपी के अपने सहयोगी भी सरकार पर दबाव बना रहे हैं. कुछ पार्टी के लोग इसे रणनीति भी बता रहे हैं.

पार्टी के कई सांसदों का कहना है कि उच्च जाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के उनके पारंपरिक वोटरों ने प्रमोशन में दलितों को कोटा पर विरोध के बावजूद अब तक पार्टी का साथ दिया है.

वे आरोप लगाते रहे हैं कि दलितों तथा जनजातियों के अत्याचार के खिलाफ कानून का गलत इस्तेमाल होता है. एनडीए में शामिल एलजेपी के नेता राम विलास पासवान सहित अन्य दलित सांसद इस मुद्दे पर सरकार से जवाब मांग चुके हैं.

दरअसल, ये सभी सांसद एनजीटी के अध्यक्ष एके गोयल को हटाने की मांग कर रहे हैं. क्योंकि जस्टिस गोयल सुप्रीम कोर्ट के उन दो जजों में शामिल थे जिन्होंने अनुसूचित जाति एवं जनजाति उत्पीड़न रोकथाम अधिनियम के संबंध में आदेश दिया था.

Advertisement

जब केंद्र सरकार को विरोध की आंच में झुलसना पड़ा....

बता दें कि इसी साल 21 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम (एससी/एसटी एक्ट 1989) के तहत दर्ज मामलों में तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी. कोर्ट ने फैसला देते हुए कहा था कि सरकारी कर्मचारियों की गिरफ्तारी सिर्फ सक्षम अथॉरिटी की इजाजत के बाद ही हो सकती है.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ दो अप्रैल को दलित संगठन सड़कों पर उतरे थे. दलित समुदाय ने दो अप्रैल को 'भारत बंद' किया था. केंद्र सरकार को विरोध की आंच में झुलसना पड़ा. देशभर में हुए दलित आंदोलन में कई इलाकों में हिंसा हुई थी, जिसमें एक दर्जन लोगों की मौत हो गई थी.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement