अमित शाह ने बताया अपना रिटायरमेंट प्लान, इन दो चीजों पर रहेगा पूरा फोकस

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बताया, "जब मैं देश का गृह मंत्री बना, तो सबने मुझसे कहा कि मुझे बहुत अहम विभाग दिया गया है, लेकिन जिस दिन मुझे सहकारिता मंत्री बनाया गया, मुझे लगा कि मुझे गृह मंत्रालय से भी बड़ा विभाग मिला है, जो देश के किसानों, गरीबों, गांवों और पशुओं के लिए काम करता है."

Advertisement
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 09 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 5:49 PM IST

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने बुधवार को कहा कि सार्वजनिक जीवन से रिटायर होने के बाद, मैं खुद को पूरी तरह से वेदों, उपनिषदों और प्राकृतिक खेती के लिए समर्पित करने की योजना बना रहे हैं. अमित शाह ने गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान की सहकारी समितियों से जुड़ी महिलाओं के साथ 'सहकार-संवाद' में बोलते हुए ये बातें कहीं.

Advertisement

अमित शाह ने कहा, "मैंने फैसला किया है कि रिटायरमेंट के बाद, मैं अपनी बची जिंदगी वेदों, उपनिषदों और प्राकृतिक खेती को समर्पित करूंगा. रासायनिक उर्वरकों से उगाया गया गेहूं अक्सर कई स्वास्थ्य समस्याओं की वजह बनता है. प्राकृतिक खेती न केवल शरीर को रोगमुक्त बनाने में मदद करती है, बल्कि एग्रीकल्चरल प्रोडक्टिविटी भी बढ़ाती है."

'जब मैं देश का गृह मंत्री बना...'

केंद्रीय गृह मंत्री ने एक मंत्री के रूप में अपने सफ़र के बारे में भी बात की और कहा कि सहकारिता मंत्रालय उनके लिए कितना ख़ास है. अमित शाह ने कहा, "जब मैं देश का गृह मंत्री बना, तो सबने मुझसे कहा कि मुझे बहुत अहम विभाग दिया गया है, लेकिन जिस दिन मुझे सहकारिता मंत्री बनाया गया, मुझे लगा कि मुझे गृह मंत्रालय से भी बड़ा विभाग मिला है, जो देश के किसानों, गरीबों, गांवों और पशुओं के लिए काम करता है."

Advertisement

'सहकार-संवाद' कार्यक्रम के दौरान, अमित शाह ने स्वर्गीय त्रिभुवन काका के नाम पर त्रिभुवन सहकारिता विश्वविद्यालय की आधारशिला रखी. उन्होंने भारत के सहकारिता आंदोलन की सच्ची नींव रखने का श्रेय त्रिभुवन काका को दिया.

यह भी पढ़ें: रांची में 27वीं क्षेत्रीय परिषद बैठक की अध्यक्षता करेंगे अमित शाह, पूर्वी भारत के विकास पर होगा मंथन

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा, "ऐसा इसलिए मुमकिन हुआ है क्योंकि मैं देश भर में जहां भी मैं जाता हूं, देखता हूं कि कैसे छोटे परिवारों की महिलाओं ने अपने बच्चों को एजुकेट किया है और उनकी जिंदगी में बदलाव लाया है." 

अमित शाह ने आगे कहा, "आज, जहां भी सहकारी समितियां स्थापित हैं, वहां लोग ₹1 करोड़ तक कमा रहे हैं, यह सब त्रिभुवन काका के दूरदर्शी विचारों की वजह से ही मुमकि हुआ है. फिर भी, उन्होंने कभी भी अपना नाम बनाने के लिए कुछ नहीं किया."

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement