'घुटने नहीं टेके भारत...' टैरिफ वॉर में इंडिया के साथ तो आया अमेरिकी एक्सपर्ट लेकिन आगाह भी किया

साउथ एशिया इंस्टीट्यूट के निदेशक माइकल कुगलमैन ने कहा कि भारत के लिए यह अहम है कि वह अपना रुख साफ रखे और किसी भी तरह की धमकी के आगे घुटने नहीं टेके. 

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भारत पर अमेरिकी टैरिफ को लेकर क्या बोले एक्सपर्ट (Photo: ANI) भारत पर अमेरिकी टैरिफ को लेकर क्या बोले एक्सपर्ट (Photo: ANI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 12 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 11:25 AM IST

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगा दिया है. इसके बाद से दोनों देशों के बीच गतिरोध बना हुआ है. इस पूरे घटनाक्रम पर एक्सपर्ट का कहना है कि अमेरिका की ओर से भारत पर भारी-भरकम टैरिफ लगाना और रूस से भारत की तेल और रक्षा खरीद पर जुर्माना लगाना एक रणनीतिक दबाव का हिस्सा है.

साउथ एशिया इंस्टीट्यूट के निदेशक माइकल कुगलमैन (Michael Kugelman) ने कहा कि ट्रंप भारत को रूस से सस्ते तेल की खरीद कम करने के लिए दबाव डाल रहे हैं. भारत को इन टैरिफ का जवाब देना होगा. भारत के लिए यह अहम है कि वह अपना रुख साफ रखे और किसी भी तरह की धमकी के आगे घुटने नहीं टेके.

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उन्होंने कहा कि कपड़ा निर्यात में बांग्लादेश, पाकिस्तान और वियतनाम भारत के प्रतिस्पर्धी देश हैं और चूंकि इन देशों पर भारत की तुलना में कम टैरिफ लगा है तो भारत को इससे नुकसान हो सकता है. अगर भारत ने अपनी नीति में बदलाव नहीं किया तो उसे नुकसान हो सकता है. मुझे यकीन है कि भारत ने पहले से ही इसके समाधान पर विचार कर रखा होगा.

कुगलमैन ने सुझाव दिया कि भारत को इस टैरिफ संकट का जवाब यूरोपीय संघ और आसियान जैसे बाजारों के साथ मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) को तेजी से आगे बढ़ाकर देना चाहिए. इससे अमेरिकी टैरिफ से होने वाले नुकसान की भरपाई हो सकती है.

उन्होंने कहा कि मुझे यकीन है कि भारत ने पहले ही समाधान के तरीकों पर विचार कर लिया होगा. टैरिफ के प्रभावों को कम करने के लिए भारत को यूरोपीय यूनियन जैसे नए साझेदारों के साथ नई ट्रेड डील पर फोकस करना होगा. भारत के लिए जरूरी है कि वह यूरोपीय संघ जैसे अन्य प्रमुख निर्यातकों के साथ व्यापार समझौते को अंतिम रूप दे. हम जानते हैं कि हाल में इस पर बातचीत हुई है. यह संभावित खतरे को कम कर सकता है जो इन टैरिफ से पैदा हो सकता है.

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आसिम मुनीर की न्यूक्लियर धमकी पर कुगलमैन ने कहा कि जिस संदर्भ में सेना प्रमुख ने ये टिप्पणी की वह एक निजी और ऑफ द रिकॉर्ड समारोह था. ऑपरेशन सिंदूर के बाद से पाकिस्तान का यही रुख रहा है कि वह शांति का समर्थन करता है जबकि भारत आक्रामक के रूप में देखता है. पाकिस्तान यहां तक कि उसका शीर्ष नेतृत्व भारत के सिंधु जल संधि को निलंबित करने के निर्णय से चिंतित है.

कुगलमैन ने परमाणु हथियारों के संभावित उपयोग के बारे में कहा कि मुनीर की टिप्पणियां पाकिस्तान की लंबे समय से चली आ रही 'नो फर्स्ट यूज पॉलिसी' के विपरीत है. मुनीर ने जो संकेत दिए हैं, उसके आधार पर अगर पाकिस्तान को मजबूरी हुई तो वह परमाणु हथियारों का उपयोग कर सकता है.

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