चुनाव आयोग देश में वोटर लिस्ट का शोधन पहली बार नहीं कर रहा: सुप्रीम कोर्ट

तमिलनाडु, पुदुच्चेरी और पश्चिम बंगाल में वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. कोर्ट ने चुनाव आयोग से जवाब मांगा है. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि यदि प्रक्रिया में खामियां हैं तो सुधार करें. अगली सुनवाई 26 नवंबर को होगी.

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पश्चिम बंगाल में एसआईआर के खिलाफ टीएमसी (File Photo- ITG) पश्चिम बंगाल में एसआईआर के खिलाफ टीएमसी (File Photo- ITG)

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 12 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 9:29 AM IST

बिहार में वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण यानी SIR के बाद तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में भी शुरू की गई SIR प्रक्रिया को सुप्रीम  कोर्ट में चुनौती दी गई है. सुप्रीम कोर्ट ने नई याचिकाओं पर नोटिस जारी कर निर्वाचन आयोग से जवाब मांगा है. दोनों राज्यों से दो-दो याचिकाएं आई हैं. तमिलनाडु और पुदुच्चेरी में SIR को DMK और CPIM ने चुनौती दी है, जबकि पश्चिम बंगाल SIR को TMC की सांसद डोला बनर्जी और पश्चिम बंगाल कांग्रेस कमेटी ने चुनौती दी है.

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सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने टिप्पणी  की है कि आप लोग ऐसा दिखा रहे हैं कि देश में पहली बार वोटर लिस्ट बन रही है. यह काम एक संवैधानिक संस्था (चुनाव आयोग) कर रही है. अगर इसमें कोई कमी है तो निर्वाचन आयोग को बताइए. वो उसमें सुधार कर देंगे. आप लोग इतने आशंकित क्यों हैं? 

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हमें लगता है SIR की प्रक्रिया में आने वाली कमियों को ठीक करेंगे, उन्हें ( ECI) को जवाब देना होगा. जो भी कोर्ट आता है, वह यथास्थिति बनाए रखने की ही बात करता है. इसके साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि हम इस मामले पर नोटिस जारी कर रहे हैं. आप अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करिए और अगर हम उससे संतुष्ट होंगे तो इस प्रक्रिया को रद्द कर देंगे.

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दो हफ्ते बाद अगली सुनवाई

इन याचिकाओं पर अगली सुनवाई दो हफ़्ते बाद होगी. गौर किया जाए कि इन राज्यों में SIR के सिलसिले में गणना फॉर्म जमा करने के बाद ड्राफ्ट डाटा तैयार करने का काम 6 दिसंबर को पूरा हो जाएगा. 9 दिसंबर को ड्राफ्ट लिस्ट जारी कर दी जाएगी. 
याचिकाकर्ताओं के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि किसान और खेतिहर मजदूर इन दिनों अपने खेतों में व्यस्त हैं. इसलिए SIR किए जाने का यह सही समय नहीं है. जबकि पश्चिम बंगाल में इंटरनेट कनेक्टिविटी की समस्या है, इसलिए वहां SIR सिर्फ़ एक महीने में नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा प्रक्रिया शुरू हो चुकी है.

इससे पहले कम से कम प्रक्रिया के दौरान नोटिस दिया गया था लेकिन अब उन्होंने इस प्रक्रिया को बदल दिया है. हम इस प्रक्रिया के खिलाफ नहीं है लेकिन जैसा दिख रहा है वैसा नहीं है हमारे भी कुछ सुझाव है.

कपिल सिब्बल ने कहा ऐसा पहले कभी नहीं हुआ, यह एक महीने में पूरी होने वाली प्रक्रिया नहीं है. पहले इसमें 3 साल का समय लगा था. आखिरकार होगा यही कि लाखों लोग फिर इलेक्टरल रोल से बाहर हो जाएंगे. उन्होंने कहा कि रोल के प्रकाशन से पहले लाखों फॉर्मों का डिजिटलीकरण नहीं किया जा सकता है. यह आखिरकार एक हास्यास्पद कवायद होगी.

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उन्होंने आगे कहा कि बंगाल मे तो स्थित और भी बुरी होगी क्योंकि वहां कई ऐसे इलाके हैं, जहां कोई कनेक्टिविटी नहीं है. ऐसे क्षेत्र हैं, जहां कोई संपर्क नहीं है. आप वहां 5G और 4G नेटवर्क ही काम नहीं करते, वहां आप इन सभी चीजों को कहां अपलोड करेंगे? हमारे पास दस्तावेज़ जमा करने की कोई समय सीमा नहीं है, जो नोटिस देगा, नोटिस किस प्रारूप का होगा; कौन सा प्रारूप आदि कुछ भी स्पष्ट नहीं है.

यह भी पढ़ें: SIR का खौफ या... बंगाल में बुजुर्ग ने फांसी लगाकर दी जान, अब तक 17 लोगों की मौत

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि कोई भी हाईकोर्ट SIR मामले की सुनवाई नहीं करेगा. पश्चिम बंगाल में SIR को TMC और कांग्रेस ने चुनौती दी है. तमिलनाडु और पुदुच्चेरी में DMK और वाम दलों ने SIR का विरोध किया है, जबकि AIADMK ने SIR  का समर्थन किया है. याचिकाकर्ताओं की आपत्तियों पर निर्वाचन आयोग के जवाब दाखिल करने के बाद अगली सुनवाई 26 नवंबर को होगी.

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