बीजेपी अध्यक्ष के चुनाव में क्यों हो रही देरी? ये दो राज्य हैं कारण, संगठन और सरकार में बड़े बदलाव की तैयारी

नए अध्यक्ष के चयन के बाद पार्टी के लगभग 50 फीसदी राष्ट्रीय महासचिवों को बदला जा सकता है. युवा चेहरों को संगठन में जगह देने की योजना पर काम हो रहा है. कुछ वरिष्ठ नेताओं को केंद्र सरकार से हटाकर संगठन में लाया जा सकता है.

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जेपी नड्डा और प्रधानमंत्री मोदी (फाइल फोटो) जेपी नड्डा और प्रधानमंत्री मोदी (फाइल फोटो)

हिमांशु मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 16 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 9:55 PM IST

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव को लेकर देरी होती नजर आ रही है. पार्टी सूत्रों के अनुसार, यह चुनाव अब अगले महीने तक टल सकता है. जबकि यह चुनाव इस साल जनवरी में ही होना था.

इस देरी की सबसे बड़ी वजह उत्तर प्रदेश और गुजरात में प्रदेश अध्यक्षों का चुनाव न होना बताया जा रहा है. जब तक इन दो महत्वपूर्ण राज्यों में संगठन का नेतृत्व तय नहीं होता, तब तक राष्ट्रीय अध्यक्ष का चयन भी लटका रह सकता है.

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अध्यक्ष के चुनाव के बाद संगठन में हो सकते हैं बड़े फेरबदल

बीजेपी अध्यक्ष के चुनाव के बाद पार्टी के संगठन में बड़े पैमाने पर फेरबदल किए जा सकते हैं. जानकारी के मुताबिक, पार्टी की सर्वोच्च निर्णायक संस्था पार्लियामेंट्री बोर्ड में भी कुछ कद्दावर नेताओं को शामिल किया जा सकता है.

पार्टी फिलहाल ऐसे नेता की तलाश में है, जो न केवल संगठन को मजबूती से संभाल सके, बल्कि पार्टी को चुनावी दृष्टिकोण से भी दिशा दे सके. सूत्रों का कहना है कि इस बार अध्यक्ष चयन में राजनीतिक संदेश देने से ज्यादा संगठनात्मक मजबूती को प्राथमिकता दी जा रही है.

बदले जा सकते हैं 50 फीसदी राष्ट्रीय महासचिव

नए अध्यक्ष के चयन के बाद पार्टी के लगभग 50 फीसदी राष्ट्रीय महासचिवों को बदला जा सकता है. युवा चेहरों को संगठन में जगह देने की योजना पर काम हो रहा है. कुछ वरिष्ठ नेताओं को केंद्र सरकार से हटाकर संगठन में लाया जा सकता है.

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सूत्रों के अनुसार, आगामी बिहार विधानसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने मंत्रिपरिषद में फेरबदल कर सकते हैं. मौजूदा मंत्रिपरिषद में 9 पद रिक्त हैं. एनडीए में हाल ही में शामिल हुए सहयोगी दल AIADMK को भी मंत्रिपरिषद में प्रतिनिधित्व मिल सकता है.

जिला अध्यक्षों के चुनाव में 60 वर्ष की आयु सीमा तय
 
बीजेपी ने संगठनात्मक चुनावों में जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को महत्व दिया है. जिला अध्यक्षों के चुनाव में 60 वर्ष की आयु सीमा तय की गई थी, हालांकि कुछ अपवाद भी देखने को मिले. इसी तरह संगठन में उन्हीं कार्यकर्ताओं को प्रमुख जिम्मेदारियां दी गईं, जो कम से कम 10 वर्षों से सक्रिय हैं.

हालांकि केरल से राज्यसभा सांसद राजीव चंद्रशेखर इस नीति का अपवाद माने जा रहे हैं, जिन्हें संगठन में अहम जिम्मेदारी दी गई. फिलहाल पार्टी में नए अध्यक्ष को लेकर सहमति नहीं बन सकी है, लेकिन माना जा रहा है कि चुनाव के बाद संगठन और सरकार- दोनों में बड़े बदलावों की तस्वीर साफ हो जाएगी.

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