लवलेश की बाजू पर पट्टी, हाथ जोड़कर बैठा सनी... कस्टडी में अतीक-अशरफ के हत्यारोपी

बांदा में लवलेश तिवारी के घर का पता चल गया है. वो शहर कोतवाली के क्योतरा इलाके का रहने वाला है. उसके पिता ने आजतक से बात करते हुए कहा कि हमसे उसका कोई मतलब नहीं था. वह कभी-कभी ही घर आता-जाता था. 5-6 दिन पहले ही बांदा आया था. लवलेश इससे पहले एक मामले में जेल भी जा चुका है.

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अतीक अशरफ के तीनों हत्यारोपी अतीक अशरफ के तीनों हत्यारोपी

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 16 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 7:53 PM IST

प्रयागराज में अतीक अहमद और अशरफ की हत्या करने वाले तीनों अपराधियों को कोर्ट ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. पुलिस हिरासत में बैठे लवलेश की बाजू पर पट्टी बंधी दिखी, जबकि सनी हाथ जोड़कर बैठा है. तीनों को हिरासत में लेकर जब पूछताछ की गई तो उन्होंने अपना गुनाह कबूल किया और इस हत्याकांड को अंजाम देने का कारण भी बताया. इन तीनों का क्रिमिनल बैकग्राउंड है. ये तीनों आरोपी यूपी के अलग-अलग जिलों के रहने वाले हैं. अतीक हत्याकांड में शामिल सनी हमीरपुर, अरुण उर्फ कालिया कासगंज और लवलेश तिवारी बांदा जिले का रहने वाला है.

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पहले भी जेल जा चुका है लवलेश 
बांदा में लवलेश तिवारी के घर का पता चल गया है. वो शहर कोतवाली के क्योतरा इलाके का रहने वाला है. उसके पिता ने आजतक से बात करते हुए कहा कि हमसे उसका कोई मतलब नहीं था. वह कभी-कभी ही घर आता-जाता था. 5-6 दिन पहले ही बांदा आया था. लवलेश इससे पहले एक मामले में जेल भी जा चुका है. लवलेश के खिलाफ चार पुलिस केस हैं. इनमें पहले मामले में उसे एक महीने की सजा हुई थी. दूसरा मामला लड़की को थप्पड़ मारने का था, उसमें डेढ़ साल की जेल हुई थी. तीसरा मामला शराब से जुड़ा हुआ था, इसके अलावा एक और मामला है.

सनी सिंह के खिलाफ 15 केस दर्ज 
सनी सिंह हमीरपुर जिले के कुरारा कस्बे का रहने वाला है. वो कुरारा पुलिस थाने का हिस्ट्रीशीटर है, जिसकी हिस्ट्रीशीट नंबर 281A है. उसके खिलाफ करीब 15 केस दर्ज हैं. उसके भाई पिंटू ने बताया कि वो बीते 10 साल से अपने घर नहीं आया है. सनी के पिता जगत सिंह और मां की मौत हो चुकी है.

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सनी के तीन भाई थे, जिनमें से एक की मौत हो चुकी है और दूसरा भाई पिंटू घर पर रहता है और चाय की दुकान चलाता है. भाई ने बताया कि ये ऐसे ही घूमता-फिरता रहता था और फालतू के काम करता रहता था. हम उससे अलग रहते हैं, वो बचपन में ही घर से भाग गया था.

अरुण के खिलाफ कई मामले 
अतीक-अशरफ हत्याकांड में कासगंज का अरुण उर्फ कालिया भी शामिल था. वो सोरों थाना क्षेत्र के बघेला पुख्ता का रहने वाला है. अरुण के पिता का नाम हीरालाल बताया जा रहा है. वो छह साल से बाहर रह रहा था. उसके माता-पिता की मौत करीब 15 पहले हो चुकी थी. अरुण ने जीआरपी थाने में तैनात पुलिसकर्मी की हत्या कर दी थी, जिसके बाद से ही वो फरार है. अरुण के दो छोटे भाई भी हैं, जिनके नाम धर्मेंद्र और आकाश हैं, जोकि फरीदाबाद में रहकर कबाडे का काम करते हैं.

मर्डर के बाद सरेंडर 
अतीक और अशरफ की हत्या करने के बाद तीनों ही हमलावरों ने तत्काल सरेंडर कर दिया था. मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने उन्हें गिरफ्तार किया. मौके से तीन बंदूक कारतूस मिले हैं. आरोपियों के पास से एक कैमरा, एक माइक आईडी भी बरामद हुई है. घटना के बाद से यूपी में हाई अलर्ट घोषित किया गया है. संवेदनशील इलाकों में पुलिस की गश्ती बढ़ा दी गई है. पुलिस का प्रयास है कि किसी भी तरह से माहौल न बिगड़ने दिया जाए.

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अतीक गैंग का सफाया करना चाहते थे आरोपी
FIR पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि हम लोग अतीक और अशरफ गैंग का सफाया करना चाहते थे. प्रदेश में अपना नाम करना चाहते थे ताकि भविष्य में लाभ हो. हम लोग पुलिस के घेरे के अनुमान नहीं लगा पाए और हत्या करके भाग नहीं पाए क्योंकि पुलिस की तेज कार्रवाई से हमलोग पकड़े गए. हम दोनों को मारने की फिराक में थे मीडियापर्सन बनकर, लेकिन सही समय और मौका नहीं मिल पाया, आज मौका मिला तो हमने घटना को अंजाम दे दिया.

हत्या में तुर्की निर्मित पिस्टल का इस्तेमाल 
इन अपराधियों ने अतीक और अशरफ की हत्या में जिगाना मेड पिस्टल का इस्तेमाल किया था. यह पिस्टल तुर्की में बनती है और गैरकानूनी तरीके से बॉर्डर क्रॉस कर इसे यहां लाया जाता है. भारत में इस पिस्टल पर बैन लगा हुआ है. इसकी कीमत करीब 6 से 7 लाख रुपये है.

 

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