'इस सरकार के सारे इंजन फेल...', दिल्ली में क्लाउड सीडिंग फेल होने पर केजरीवाल ने साधा निशाना

दिल्ली में प्रदूषण से राहत के लिए की गई क्लाउड सीडिंग असफल रही, जिस पर सीएम अरविंद केजरीवाल ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि इस सरकार के सारे इंजन फेल हैं. वैज्ञानिकों ने क्लाउड सीडिंग फेल होने के पीछे की असल वजह बताई है.

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मंगलवार को कृत्रिम बारिश के लिए हुई क्लाउड सीडिंग पर बोले केजरीवाल (File Photo: ITG) मंगलवार को कृत्रिम बारिश के लिए हुई क्लाउड सीडिंग पर बोले केजरीवाल (File Photo: ITG)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 29 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 10:59 AM IST

दिल्ली के प्रदूषण से निपटने के लिए क्लाउड सीडिंग के जरिए कृत्रिम बारिश कराने की कोशिश फेल होने पर आम आदमी पार्टी (AAP) के प्रमुख अरविंद केजरीवाल का पहला रिएक्शन आया है. केजरीवाल ने सीधे तौर पर दिल्ली सरकार पर निशाना साधा और कहा कि इस सरकार के सभी इंजन फेल हैं.

दिल्ली के मुख्यमंत्री और AAP प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में क्लाउड सीडिंग के बाद कृत्रिम बारिश न होने पर कहा, "दरअसल इस सरकार के सारे इंजन ही फेल हैं." उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया में आगे कहा, "ये सरकार ही पूरी तरह से फेल है."

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उन्होंने यह बयान सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए दिया. केजरीवाल ने आजतक की खबर को रीशेयर करते हुए कहा, "दरअसल इस सरकार के सारे इंजन ही फ़ेल हैं। ये सरकार ही पूरी तरह से फ़ेल है."

क्यों फेल हो गई क्लाउड सीडिंग?

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली इस वक्त घने प्रदूषण की परत में घिरी हुई है और सरकार आर्टिफिशियल रेन (कृत्रिम वर्षा) को अंतिम उपाय के रूप में देख रही थी. हालांकि, मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि फिलहाल क्लाउड सीडिंग के लिए यह सही समय नहीं है.

यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग (यूके) के नेशनल सेंटर फॉर एटमॉस्फेरिक साइंस के रिसर्च साइंटिस्ट डॉ. अक्षय देओरास कहते हैं कि क्लाउड सीडिंग ऐसी तकनीक है, जिससे उन्हीं बादलों से बारिश कराई जा सकती है, जिनमें पहले से पर्याप्त नमी मौजूद हो. उनके अनुसार, यह तकनीक साफ आसमान से बारिश नहीं करा सकती.

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यह भी पढ़ें: 'इंद्र का क्रेडिट चुराएगी सरकार', दिल्ली में क्लाउड सीडिंग के बाद भी नहीं हुई बारिश तो AAP हमलावर

इस प्रक्रिया में पहले उन बादलों की पहचान की जाती है, जिनसे वर्षा की संभावना होती है. इसके बाद विमान से सिल्वर आयोडाइड, सोडियम क्लोराइड या कैल्शियम क्लोराइड जैसे रसायन बादलों के भीतर छोड़े जाते हैं, जिससे जलवाष्प छोटे-छोटे बूंदों में संघनित होकर वर्षा का रूप ले लेती है.

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