पुणे में गठबंधन का नया मॉडल किसके लिए होगा सबसे मुफीद, समझें कैसे बदल गए सारे समीकरण

महाराष्ट्र की सियासत में पुणे नगर निगम चुनाव में गठबंधन का एक नया मॉडल सामने उभरकर आया है. बीजेपी और शिंदे की जोड़ी किस्मत आजमा रही है तो पवार परिवार एक साथ खड़ा है. ऐसे में ठाकरे बदर्स के साथ कांग्रेस चुनावी मैदान में किस्मत आजमा रही है. ऐसे में देखना होगा कि किसका फॉर्मूला हिट रहता है.

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पुणे में पवार परिवार साथ तो ठाकरे ब्रदर्स से कांग्रेस की बनी बात (Photo-ITG) पुणे में पवार परिवार साथ तो ठाकरे ब्रदर्स से कांग्रेस की बनी बात (Photo-ITG)

कुबूल अहमद

  • नई दिल्ली,
  • 31 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 2:05 PM IST

महाराष्ट्र में बीएमसी सहित 29 नगर निगम चुनाव ने गठबंधन की सियासत को ताश के पत्ते की तरह फेंटकर रख दिया है. 2024 के लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में जो नहीं हुआ, वो नगर निगम के चुनाव में हो रहा है. इसके चलते सारे समीकरण को उलट-पुलट गए है. ऐसे में पुणे में गठबंधन का एक मॉडल उभरा है, जिससे भविष्य की राजनीतिक दशा और दिशा तय होनी है.

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पुणे के नगर निगम चुनाव में गठबंधन की पॉलिटिक्स का नया सियासी प्रयोग उभरकर सामने आया, जिसके चलते तीन गठबंधन हो गए हैं. राज्य में अभी तक दो गठबंधन थे, बीजेपी के नेतृत्व वाली महायुति और शिवसेना (यूबीटी) के नेतृत्व वाली महाविकास अघाड़ी, लेकिन पुणे के निगम चुनाव में तीसरा गठबंधन भी बन गया है.

बीजेपी और एकनाथ शिंदे की शिवसेना एक साथ किस्मत आजमा रही हैं तो अजित पवार की एनसीपी से किनारा कर लिया. ऐसे में अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार की पार्टी से हाथ मिला लिया है. मुंबई में उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के गठबंधन पर महायुति से अलग होने वाले कांग्रेस ने पुणे उसी ठाकरे ब्रदर्स के साथ हाथ मिला लिया है.

महाराष्ट्र में लड़े साथ नहीं बनी अब बात

महाराष्ट्र के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में दो बड़े गठबंधन किस्मत आजमा रहे थे, जिसमें एक महायुति और दूसरा महा विकास अघाड़ी था. महायुति में बीजेपी, शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी एक साथ मैदान में थी तो दूसरी तरफ महाविकास अघाड़ी में कांग्रेस, उद्धव ठाकरे की शिवेसना (यूबीटी) और शरद पवार की एनसीपी शामिल थी, लेकिन नगर निगम चुनाव में यह दोनों ही गठबंधन बिखर गए हैं.

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महायुति में बीजेपी और शिंदे 29 नगर निगम चुनाव में से 15 में दोनों एक साथ हैं, लेकिन 14 शहरों में एक-दूसरे के खिलाफ किस्मत आजमा रहे हैं. महायुति के तीसरे पार्टनर अजित पवार की एनसीपी पूरी अलग चुनाव लड़ रही है. इस तरह महाविकास अघाड़ी के तीनों गठबंधन अलग-अलग नगर निगम में अलग फॉर्मूले के साथ चुनाव लड़ रहे हैं.

पुणे में गठबंधन का नया सियासी प्रयोग

पुणे नगर निगम चुनाव में गठबंधन का एक नया मॉडल सामने आया है. महायुति के तीनों दल मिलकर 2024 का लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़े थे, लेकिन महानगर निगम चुनाव में ये तिकड़ी बिखर गई है. पुणे नगर निगम चुनाव में बीजेपी और शिंदे की शिवसेना एक साथ खड़ी है तो अजित पवार की एनसीपी अलग ही रास्ते पर चल रही.

बीजेपी और शिंदे की शिवसेना के बीच सीट बंटवारे को लेकर हलचल मची हुई है. पुणे की 165 सीटों में से बीजेपी ने शिंदे की शिवसेना को 16 सीटें दे रही है, लेकिन वह तैयार नहीं है. शिंदे 60 सीटों पर अपने कैंडिडेट उतार रखे हैं, जिसे सुलझान की बात चल रही है.

वहीं, दूसरी तरफ पवार परिवार के बीच गठबंधन का फॉर्मूला बन गया है. महायुति से अलग चुनाव लड़ रहे अजित पवार ने अपना अलग गठबंधन बना लिया है. अजित पवार की एनसीपी ने पुणे और पिंपरी चिंचवाड़ महानगर निगम का चुनाव अपने चाचा शरद पवार की एनसीपी (एसपी) के साथ लड़ने का फैसला किया है. पुणे महानगर निगम चुनाव की 165 सीटों में से 130 सीटें अजित पवार की पार्टी एनसीपी चुनाव लड़ रही है और 35 सीटों पर शरद पवार की एनसीपी किस्मत आजमा रही है.

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पुणे में कांग्रेस का दबदबा अब ठाकरे बंधुओं के साथ है. मुबंई के बीएमसी चुनाव में उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के गठबंधन से कांग्रेस ने किनारा लिया है, लेकिन पुणे चुनाव में ठाकरे ब्रदर्स के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही. ऐसा लगता है कि पुणे में एक अनोखा राजनीतिक समीकरण बन गया है. इस नए समीकरण के परिणाम और आयाम पुणे और पिंपरी-चिंचवड नगर निगम में देखने को मिलेंगे.

किसे गोगा नफा और किसे नुकसान

पुणे की नगर निगम पर फिलहाल बीजेपी का कब्जा था. 2017 में पुणे की 162 सीट पर चुनाव हुए थे, जिसमें से बीजेपी के 97, एनसीपी के 39, शिवसेना के 10, कांग्रेस के 10, मनसे के 2, AIMIM के एक और 3 निर्दलीय पार्षद चुने गए थे. बीजेपी पहली बार पुणे में अपना मेयर बनाने में सफल रही थी. यही वजह है कि बीजेपी एक बार फिर से पुणे पर अपना कब्जा बरकरार रखने की जुगत में है.

बीजेपी अपना सियासी वर्चस्व कायम रखने के लिए शिंदे के साथ हाथ मिला रखा है, लेकिन उसके बाद भी सियासी मनमुटाव जारी है. ऐसे में अजित पवार ने जिस तरह अपने चाचा शरद पवार के साथ सियासी केमिस्ट्री बनाई है, उसका असर सिर्फ पुणे ही नहीं बल्कि दूसरे इलाको में दिखेगी, क्योंकि एनसीपी का यह पुराना गढ़ रहा है और मौजूदा समय में अजित पवार प्रभारी मंत्री हैं.

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अजित पवार का अपने चाचा शरद पवार के साथ हाथ मिलेने का सियासी इम्पैक्ट ठाणे, पुणे, नासिक, छत्रपति संभाजीनगर और नागपुर में कई राज्यों के समीकरणों पर पड़ेगा. राज्य की राजनीति में भी एक नया मोड़ आने की संभावना है. मुंबई और पुण में उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे का गठबंधन पक्का हो चुका है. मुंबई में भले ही कांग्रेस अलग किस्मत आजमा रही हो, पर पुणे में जिस तरह ठाकरे ब्रदर्स के साथ आई है, यह प्रयोग भविष्य के राजनीतिक प्रयोगों की प्रस्तावना है.

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