बीएमसी सहित 29 नगर निगमों के ये चुनाव महाराष्ट्र की राजनीति के लिए कितना अहम हैं?

महाराष्ट्र के मुंबई की बीएमसी सहित 29 नगर निगम चुनाव का ऐलान हो गया है. 15 जनवरी को मतदान है. इस चुनाव में सभी दलों की साख दांव पर लगी है. बीजेपी के नेतृत्व वाले महायुति ट्रिपल इंजन की सरकार बनाना चाहती है तो उद्धव ठाकरे अपना आखिरी किला बचाए रखना चाहते हैं. ऐसे में महाराष्ट्र की सियासत में नगर निगम चुनाव कितना अहम है?

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महाराष्ट्र में बीएमसी सहित 29 नगर निगम चुनाव में किसका क्या दांव पर लगा (Photo-ITG) महाराष्ट्र में बीएमसी सहित 29 नगर निगम चुनाव में किसका क्या दांव पर लगा (Photo-ITG)

कुबूल अहमद

  • नई दिल्ली,
  • 16 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 12:35 PM IST

महाराष्ट्र के निर्वाचन आयोग ने सोमवार को मुंबई की बीएमसी सहित प्रदेश की सभी 29 नगर निगमों में चुनाव का ऐलान कर दिया है. इन सभी नगर निगम चुनावों के लिए 15 जनवरी 2026 को वोट डाले जाएंगे, जबकि नतीजे अगले दिन 16 जनवरी को घोषित होंगे. बीएमसी का चुनाव सिर्फ सत्तापक्ष की महायुति के लिए ही नहीं, बल्कि विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी के लिए भी किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है.

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प्रदेश में भले ही 29 नगर निगमों के लिए चुनाव हो रहे हैं, लेकिन सबसे ज़्यादा निगाहें मुंबई के बीएमसी पर हैं. बीएमसी देश का सबसे अमीर नगर निगम है, जिसका बजट कई राज्यों से भी बड़ा होता है. बीजेपी लंबे समय से बीएमसी पर काबिज़ होने के लिए बेताब है तो उद्धव ठाकरे के अगुवाई वाली शिवसेना (यूबीटी) अपना सियासी दबदबा बनाए रखने की जद्दोजहद में जुटी है.

महाराष्ट्र की 29 नगर निगम में चुनाव

महाराष्ट्र में कुल 29 नगर निगम शहर हैं, जहां पर चुनाव होने हैं. इसमें मुंबई, नवी मुंबई, ठाणे, कल्याण-डोंबिवली, वसई-विरार, भिवंडी, मीरा-भायंदर, उल्हासनगर और पनवेल हैं. इसके अलावा पश्चिम महाराष्ट्र क्षेत्र की सांगली, पिंपरी-चिंचवड़, पुणे, कोल्हापुर, सोलापुर और इचलकरंजी नगर निगम हैं. उत्तर महाराष्ट्र क्षेत्र में नासिक, अहिल्यानगर, धुले, जलगाँव और मालेगांव सीट है.

मराठवाड़ा क्षेत्र में छत्रपति संभाजीनगर, लातूर, नांदेड़-वाघला, परभणी और जालना हैं. विदर्भ में नागपुर, अकोला, चंद्रपुर और अमरावती नगर निगम सीट है. इन सभी 29 नगर निगमों के वार्ड पार्षद का चुनाव होगा, उसके बाद मेयर का चुनाव किया जाएगा.

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जानिए कब से टल रहे थे निकाय चुनाव

मुंबई में आखिरी बार नगर निगम का चुनाव 2017 में हुए थे. इस तरह मुंबई के बीएमसी में कार्यकाल 2022 में खत्म हो गया था, लेकिन आरक्षण के चलते चुनाव टल रहा था. सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही राज्य निर्वाचन आयोग को 31 जनवरी, 2026 से पहले इलेक्शन कराने का ऑर्डर दे रखा था. इसके चलते मुंबई, पुणे, ठाणे, नागपुर, नवी मुंबई और छत्रपति संभाजीनगर समेत राज्य के कुल 29 जरूरी शहरों में नगर निगम चुनाव का ऐलान किया गया है.

महाराष्ट्र के जिन 29 नगर निगम के चुनावों का ऐलान हुआ है, इनमें से 27 नगर निगमों का कार्यकाल पहले ही खत्म हो चुका है. मुंबई समेत 18 नगर निगमों का कार्यकाल 2022 में खत्म हो गया था, जबकि 4 नगर निगमों का कार्यकाल 2023 में ही खत्म हो गया था.

बीएमसी चुनाव पर सभी की निगाहें क्यों

मुंबई के नगर निगम जिसे बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के नाम से जाना जाता है. बीएमसी में 227 पार्षद सीटें हैं, जिन पर चुनाव होने हैं. बीएमसी को पूरे एशिया में सबसे अमीर नगर निकाय माना जाता है. 2026 के लिए बीएमसी का वार्षिक बजट 74,427 करोड़ रुपये है. इसीलिए बीएमसी पर कब्जे की लड़ाई जबरदस्त होने वाली है.

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1996 से बीएमसी पर शिवसेना का कब्जा है, उससे पहले कांग्रेस का मेयर चुना जाता रहा है. पिछले तीन दशक से उद्धव ठाकरे की पार्टी का मेयर चुना जाता रहा है. इस बार लड़ाई कांटे की होने वाली है, क्योंकि राज्य का सियासी सीन बदल गया है. बीजेपी किसी भी सूरत में बीएमसी पर अपना कब्जा जमाना चाहती है. 2017 में सिर्फ चंद सीटों से शिवसेना से पीछे रह गई थी. ऐसे में इस बार उसकी कोशिश ट्रिपल इंजन की सरकार बनाने की है.

बीएमसी सहित 29 नगर निगम चुनाव का ऐलान होने के साथ ही सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि बीजेपी महायुति गठबंधन के रूप में चुनाव लड़ेगी. अधिकतर जगह बीजेपी-शिवसेना (शिंदे गुट) का गठबंधन होगा तो कुछ जगह पर बीजेपी-एनसीपी (अजित पवार गुट) मिलकर चुनाव लड़ेंगे. पुणे और पिंपरी-चिंचवड़ में एनसीपी और बीजेपी के बीच मुकाबला होगा. इससे समझा जा सकता है कि नगर निगम चुनाव को लेकर कितनी संजीदा है. 

ठाकरे बंधु की एकता की अग्निपरीक्षा

महाराष्ट्र नगर निगम चुनाव में उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के बीच गठबंधन हो सकता है. उद्धव ठाकरे के लिए नगर निगम का चुनाव अपने सियासी वजूद को बचाए रखने और पार्टी की शक्ति, विरासत साबित करने का आखिरी मौका है.  उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे की दोस्ती को देखते हुए कांग्रेस ने कई जगह पर अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है. कांग्रेस का बीएमसी पर लंबे समय तक कब्जा रहा है तो मौजूदा समय में शिवसेना का वर्चस्व कायम है.

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बीएमसी चुनाव में अगर महा विकास अघाड़ी के तीनों दल इस बात पर राजी होते हैं कि वे मिलकर बीएमसी का चुनाव लड़ेंगे तो निश्चित रूप से सीटों के बंटवारे में बहुत मुश्किल पेश आएगी और तीनों ही दलों में बगावत होनी तय है. एनसीपी के लिए भले ही कोई दिक्कत न हो, लेकिन कांग्रेस के लिए काफी मुश्किल होगी. इसके अलावा राज ठाकरे के साथ उद्धव ठाकरे के बीच अगर गठबंधन होता है तो उत्तर भारतीय वोटों के छिटकने का खतरा है.

227 सीटों वाली बीएमसी में सीटों के बंटवारे में कांग्रेस को अपेक्षा के मुताबिक सीटें नहीं मिल पाएंगी. ऐसे बहुत सारे नेता टिकट पाने से वंचित रह जाएंगे जो 2017 के बीएमसी चुनावों में अपने दलों की ओर से चुनाव लड़ चुके हैं. इसीलिए कांग्रेस बीएमसी चुनाव में शिवसेना से अलग चुनाव लड़ने की राह तलाश रही है.

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