26/11 मामले में बरी व्यक्ति को चरित्र प्रमाण पत्र नहीं देने पर महाराष्ट्र सरकार को बॉम्बे HC की फटकार

मुख्य न्यायाधीश एस. चंद्रशेखर और जस्टिस गौतम ए. अंखड़ की खंडपीठ ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार से इस मामले में कानूनी प्रावधानों के बारे में पूछा. पब्लिक प्रोसिक्यूटर मंकुंवर देशमुख ने 2013 के जीआर का उल्लेख किया, जिसके तहत गंभीर अपराधों का सामना करने वाले व्यक्तियों को पीसीसी नहीं दिया जा सकता. इस पर बॉम्बे कोर्ट ने कहा, 'आपका जीआर गैरकानूनी है.'

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 बम्बई उच्च न्यायालय. (File Photo: PTI) बम्बई उच्च न्यायालय. (File Photo: PTI)

विद्या

  • मुंबई,
  • 19 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 6:50 PM IST

बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र गवर्नमेंट को कड़ी फटकार लगाते हुए 2014 में जारी उसके एक सरकारी आदेश (Government Resolution) को गैरकानूनी करार दिया. यह आदेश नागरिकों को उनके आपराधिक रिकॉर्ड के आधार पर चरित्र प्रमाण पत्र (पुलिस क्लीयरेंस सर्टिफिकेट- PCC) देने के लिए वर्गीकृत करता है. हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी 26/11 आतंकी हमले में बरी हुए फहीम अरशद मोहम्मद यूसुफ अंसारी की याचिका पर सुनवाई के दौरान की.

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जानें क्या है पूरा मामला?

फहीम अंसारी ने पुलिस क्लीयरेंस सर्टिफिकेट (पीसीसी) के लिए आवेदन किया था, जो ऑटो-रिक्शा या टैक्सी चलाने के लिए आवश्यक पुलिस सर्विस व्हीकल (PSV) बैज प्राप्त करने के लिए जरूरी है. यह बैज उन्हें ठाणे में अपनी आजीविका कमाने में मदद करेगा. हालांकि, पुलिस ने अंसारी के खिलाफ नकारात्मक रिपोर्ट दी, जिसमें दावा किया गया कि वह प्रतिबंधित संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के सदस्य थे. इस वजह से उन्हें पीसीसी नहीं दिया गया, जिसके कारण वह पुलिस सर्विस व्हीकल  बैज प्राप्त नहीं कर सके और उनकी आजीविका प्रभावित हुई.

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फहीम अंसारी का पक्ष

फहीम अंसारी ने बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि वह 26/11 आतंकी हमले के मामले में सभी आरोपों से बरी हो चुके हैं. उन्होंने एक अन्य मामले में सजा काट ली है और अब वह पीसीसी प्राप्त करना चाहते हैं ताकि रोजगार शुरू कर सकें. महाराष्ट्र सरकार ने एक हलफनामे में अंसारी की याचिका का विरोध किया. हलफनामे में कहा गया कि अंसारी को 2008 के उत्तर प्रदेश के रामपुर सीआरपीएफ कैंप पर ग्रेनेड हमले के मामले में 10 साल की सजा हुई थी, जिसमें सात सीआरपीएफ जवान और एक नागरिक मारे गए थे.

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महाराष्ट्र सरकार ने दावा किया कि यह हमला लश्कर-ए-तैयबा ने किया था, और फहीम अंसारी इसमें सक्रिय रूप से शामिल थे. सरकार ने यह भी कहा कि 26/11 मामले में अंसारी को संदेह का लाभ देकर बरी किया गया था, लेकिन कोर्ट ने उनकी एलईटी से संबंध की आशंका जताई थी. इसके अलावा, सरकार ने 2013 के जीआर का हवाला दिया, जिसमें गंभीर आपराधिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों को चरित्र प्रमाण पत्र देने से मना किया गया है.

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बॉम्बे हाई कोर्ट की टिप्पणी

मुख्य न्यायाधीश एस. चंद्रशेखर और जस्टिस गौतम ए. अंखड़ की खंडपीठ ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार से इस मामले में कानूनी प्रावधानों के बारे में पूछा. पब्लिक प्रोसिक्यूटर मंकुंवर देशमुख ने 2013 के जीआर का उल्लेख किया, जिसके तहत गंभीर अपराधों का सामना करने वाले व्यक्तियों को पीसीसी नहीं दिया जा सकता. इस पर बॉम्बे कोर्ट ने कहा, 'आपका जीआर गैरकानूनी है.' पब्लिक प्रोसिक्यूटर मंकुंवर देशमुख ने यह भी दावा किया कि फहीम अंसारी के खिलाफ कुछ गोपनीय रिपोर्ट्स हैं, जिसके आधार पर उन्हें प्रमाण पत्र नहीं दिया जा सकता. बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 20 सितंबर के लिए निर्धारित की है. 

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