अब कुल्लू के मिनी इजरायल के अवैध होटलों पर चला हथौड़ा

मिनी इजरायल के नाम से प्रसिद्ध हो चुके कसोल में कुल 48 अवैध होटल चिन्हित किए गए हैं. कसोल इजराइल से आने वाले पर्यटकों में काफी लोकप्रिय है जो यहां आकर कई महीनों तक रुकते हैं.

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अवैध निर्माण अवैध निर्माण

परमीता शर्मा / मनजीत सहगल

  • कुल्लू ,
  • 26 जून 2018,
  • अपडेटेड 12:16 PM IST

हिमाचल प्रदेश के कसौली में अवैध होटल गिराए जाने के बाद अब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल कुल्लू और कांगड़ा के अवैध होटलों गिराने में जुट गया है. एक अनुमान के मुताबिक इन दो जिलों में 1400 से अधिक गैरकानूनी होटल हैं जिनमें से ज्यादातर होटल कुल्लू जिले के मनाली में बनाए गए हैं. सरकारी सूत्रों के मुताबिक कुल्लू में कुल 1362 अवैध होटल हैं जो मनाली के अलावा कसोल, तोश और मणिकरण में बनाए गए हैं.

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मिनी इजरायल के नाम से प्रसिद्ध हो चुके कसोल में कुल 48 अवैध होटल चिन्हित किए गए हैं. कसोल इजराइल से आने वाले पर्यटकों में काफी लोकप्रिय है जो यहां आकर कई महीनों तक रुकते हैं. कसोल में कई ऐसे रेस्टोरेंट और खाने-पीने की जगहें हैं जहां पर सिर्फ इजराइलियों का ही स्वागत होता है. इन रेस्टोरेंट्स और होटल्स में इजराइल के कई परंपरागत पकवान भी परोसे जाते हैं. इस चलन से कई बार कुछ विवाद भी पैदा हुए जब रेस्टोरेंट मालिकों ने भारतीयों को रेस्टोरेंट में आने से रोका.

इस वक्त कसोल सहित कई जगहों पर पर्यटन सीजन चरम पर है लेकिन कसोल में तनाव है. प्रशासन ने अवैध होटलों को सील करने के लिए धारा 144 लगा दी है ताकि कसौली जैसी घटना दोबारा न हो. कसोल में अवैध होटलों को पहले सील किया जाएगा और उसके बाद उन पर हथौड़ा चलेगा. प्रशासन अवैध होटल सील करने की प्रक्रिया मंगलवार से शुरू करेगा.

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कुल्लू के एसडीएम अमित गुलेरिया के मुताबिक प्रशासन ने अवैध होटलों को सील करने के लिए तीन टीमें गठित की हैं और इस क्षेत्र में धारा 144 लगा कर लोगों को अपने हथियार जमा करने को कहा गया है.

केवल होटल ही नहीं रेस्टोरेंट में भी अवैध निर्माण

अवैध निर्माण सिर्फ होटलों में ही नहीं बल्कि कई रेस्टोरेंट्स के संचालन में भी हुआ है. एक ओर जहां ज्यादातर अवैध होटलों में अनधिकृत मंजिलों का निर्माण कर दिया गया वहीं कुछ होटल और रेस्टोरेंट सरकारी जमीन पर बना दिए गए हैं. स्थानीय प्रशासन पहले होटलों की साइट प्लान से संबंधित भवन का मिलान करेगा और गड़बड़ी पाए जाने के बाद संबंधित रेस्टोरेंट और होटल को सील कर दिया जाएगा.

एनजीटी के आदेशों पर हो रही इस कार्रवाई से कसोल के होटल और रेस्टोरेंट मालिकों में हड़कंप मच गया है. कई होटल मालिकों ने प्रशासन की कार्रवाई से पहले ही अवैध निर्माण को गिरा दिया है. कसोल में स्वयं अवैध निर्माण गिराने वाले होटल मालिक किशन ठाकुर के मुताबिक प्रशासन ने उनको अवैध निर्माण गिराने का समय नहीं दिया. उनको अवैध निर्माण तोड़ने के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं और जो उपलब्ध हैं वह मनमाना पैसा वसूल कर रहे हैं.

एक अन्य होटल मालिक गुलाब बिष्ट के मुताबिक उन्होंने पहले ही अपना अवैध निर्माण गिरा दिया है बावजूद इसके उनके पूरे होटल को सील किया जा रहा है, जिससे उनको आर्थिक नुकसान होगा क्योंकि इस वक्त पर्यटन सीजन चल रहा है और उनके होटल में कई गेस्ट ठहरे हुए हैं.

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कसोल के अलावा मनाली, मणिकरण और तोश में भी अवैध निर्माण को सील करने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है. धर्मशाला के मक्लिओडगंज में भी 55 होटलों को अवैध निर्माण को लेकर नोटिस जारी किए गए हैं.

अवैध होटलों से विदेश मंत्रालय भी परेशान, राज्य सरकार को लिखी चिट्ठी

धर्मशाला के मक्लिओडगंज में अवैध होटल किस तरह से परेशानी का सबब बन रहे हैं इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा रहा है कि विदेश मंत्रालय ने बकायदा हिमाचल प्रदेश सरकार को एक पत्र लिखकर अवैध निर्माण हटाने के लिए कहा है. अवैध निर्माण के चलते मक्लिओडगंज में बने विदेश मंत्रालय के कार्यालय का संचालन करने में दिक्कत आ रही है.

गौरतलब है कि अवैध होटलों में पार्किंग की सुविधा नहीं है. मक्लिओडगंज आने वाले पर्यटक सड़कों पर ही अपने वाहन खड़े कर देते हैं जिससे सड़क जाम हो जाती है और विदेश मंत्रालय के कर्मचारियों को कार्यालय आने जाने में दिक्कत होती है.

अवैध होटल निर्माण को लेकर सरकार के हाथ- पांव फूले

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कसौली गोली कांड के बाद, हिमाचल प्रदेश को फरमान जारी किया था कि वह सभी अवैध होटलों को चिन्हित करके उनको गिरा दें. बता दें कि कसौली गोली कांड में एक महिला टाउन प्लानर की हत्या कर दी गई थी.

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एनजीटी के आदेशों के बाद हिमाचल प्रदेश सरकार के अधिकारी पशोपेश में हैं क्योंकि 16 जुलाई से पहले कम से कम 500 होटलों को सील करने का लक्ष्य रखा गया है ताकि 16 जुलाई को अवैध निर्माण के मामले की सुनवाई के दौरान सरकार अपना पक्ष रख सके.

सरकार के हाथ-पांव इसलिए भी फूल रहे हैं क्योंकि इस अवैध निर्माण के लिए खुद सरकारी कर्मचारी और अधिकारी जिम्मेदार हैं. राज्य के रिश्वतखोर अधिकारियों ने आंखें मूंद कर अवैध निर्माण होने दिया लेकिन जब एनजीटी का डंडा पड़ा तो आनन फानन में अवैध निर्माण गिराने और सील करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई.

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