दिल्ली के रानी झांसी रोड पर हुए अग्निकांड के अनाज मंडी में एक फैक्ट्री में रविवार सुबह लगी भीषण आग में अब तक 43 लोगों की मौत हो चुकी है. मौके पर पहुंचे दमकल कर्मियों ने कई लोगों की जान बचाई. वहीं कई लोग बाद में मृत पाए गए. इस भायनक हादसे में बचे मोहम्मद अफजल ने आजतक से खास बातचीत की. जिसमें उसने बताया कि इस हादसे में कैसे बचाई उसने अपनी जान.
आजतक की अफजल से बातचीत
मोहम्मद अफजल के मुताबिक जब आग लगी तब सुबह के 4 बज रहे थे. उसके कमरे में तब करीब 11 लोग और सो रहे थे. अफजल के मुताबिक वो तीसरे फ्लोर पर 2 घंटे तक फंसा रहा, और खिड़की की दरार से सांस लेने की कोशिश करता रहा, इस दौरान मुंह को कपड़े से अफजल ने ढंका हुआ था.
आगे उसने बताया कि इसके बाद जब फायर टेंडर ने खिड़की तोड़कर उतारने की कोशिश की, जमीन पर उतरने से पहले एक गर्म लोहे से हाथ चिपक जाने की वजह से अफजल नीचे जमीन पर गिर गया. जमीन पर गिरने के बाद अफजल कुछ दूर जाकर बैठ गया. अफजल के मुताबिक धुएं की वजह से तबीयत बिगड़ गई थी.
इसके बाद अफजल हार न मानते हुए खुद पैदल चलकर नबी करीम इलाके में अपने चाचा के घर गया. अफजल के चाचा ने हाथ में जख्म देखकर उसे लेडी हार्डिंग अस्पताल भेज दिया. फिलहाल डॉक्टर्स की एक टीम अफजल की सेहत पर नजर बनाए हुए हैं.
इस अग्निकांड में गई कई लोगों की जान
बता दें इस हादसे में कई लोगों की जान चली गई. इस भयावह अग्निकांड में ज्यादातर लोगों की मौत दम घुटने से हुई है. कुछ घायलों को अस्पतालों में भर्ती कराया गया है जहां डॉक्टरों की टीम इलाज में जुटी है.
बताया जा रहा है कि जहां ये फैक्ट्री चल रही है वह रिहायशी इलाका है और फैक्ट्री को एनओसी भी नहीं मिली थी. 500-600 गज के फ्लोर एरिया में यह फैक्ट्री चल रही थी जिसमें ग्राउंड से ऊपर चार मंजिल बनी थी. इसमें कई तरह की फैक्ट्रियां चलती थीं. बिल्डिंग में स्कूल बैग बनाने और पैकिंग का काम होता था.
यही नहीं पीड़ितों के परिजनों ने बताया कि फैक्ट्री में काम करने वाले ज्यादातर नौजवान थे जिनकी उम्र 20-30 साल रही होगी. इस फैक्ट्री का सिस्टम कुछ ऐसा बनाया गया था कि मजदूर वहीं काम करते थे और रहने-खाने-सोने की व्यवस्था फैक्ट्री में ही थी. इसीलिए घटना के वक्त भी ज्यादातर मजदूर सो रहे थे और उन्हें आग की जानकारी भी नहीं मिली.
पंकज जैन