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बुढ़ापे में नहीं रहे पैसों की तंगी, इसलिए रामायण के हनुमान ने साइन की फिल्म

aajtak.in
  • 24 अप्रैल 2020,
  • अपडेटेड 12:25 PM IST
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रामानंद सागर की रामायण में हनुमान की भूमिका निभाने वाले दारा सिंह के बारे में कम ही लोग ये बात जानते हैं कि शुरुआत में फिल्मों को लेकर उनका कोई खास रुझान नहीं था. दारा सिंह का पहला प्यार कुश्ती और अखाड़ा ही था. वो हफ्ते के सात दिन वर्जिश और अखाड़े को देते थे और बचा हुआ एक दिन का वक्त वो आराम किया करते थे.

एक इंटरव्यू में दारा सिंह ने बताया कि आज जो क्रिकेट के खिलाड़ियों का नाम है वो उस दौर में कुश्ती करने वाले पहलवानों का नाम हुआ करता था.

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दारा सिंह ने बताया, "उस दौर में एक फिल्म आई थी जिसका नाम था हरकुलिस. एक भारतीय प्रोड्यूसर मेरे पास आए और मेरे साथी को अपना कार्ड देकर चले गए.

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दारा सिंह ने बताया, "मैं उस वक्त घर पर नहीं था. मैं वापस आया तो मेरे साथी ने मुझे कार्ड दिया कि एक प्रोड्यूसर आपके लिए ये कार्ड दे गए हैं और फोन करने को कहा है. वो आपसे फिल्म में काम करवाना चाहते हैं."

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दारा सिंह का फिल्म में काम करने को लेकर कोई मन नहीं था इसलिए न तो उन्होंने उस तरफ दिलचस्पी दिखाई और न उस प्रोड्यूसर को फोन किया. दारा सिंह ने बताया कि वो प्रोड्यूसर एक हफ्ते बाद वापस आए और मुझसे कहा कि लड़के लड़कियां हमारे पीछे घूमते हैं कि काम दे दो. मैं आपके पीछे एक हफ्ते से घूम रहा हूं.

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प्रोड्यूसर के जोर देने पर दारा सिंह ने कहा कि आप मुझे फिल्म में काम करवाने को लेकर सीरियस हो तो ये बताओ कि एक्टिंग कौन करेगा? प्रोड्यूसर ने जवाब दिया कि वो हम करवा लेंगे.

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प्रोड्यूसर ने बताया कि हमारे निर्देशक ने आपको कुश्ती लड़ते हुए देखा है और फिल्म में ज्यादा काम कुश्ती लड़ने का है. दारा सिंह ने तब सोचा कि बुढ़ापे में अगर उनका हाल भी बाकी पहलवानों जैसा हो गया तो हालत बड़ी बुरी हो जाएगी. दारा ने सोचा कि क्यों न इस काम को आजमा कर देखा जाए क्यों न कोई नई लाइन खुल जाए और बुढ़ापा सेफ हो जाए.

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दारा सिंह ने बताया कि गामा पहलवान की बुढ़ापे में बहुत बुरी हालत हुई थी. उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र के एक मशहूर पहलवान बुढ़ापे में तांगा चलाया करते थे. दारा सिंह ने बताया कि जब फिल्म पूरी हुई तो निर्देशक के हिसाब वो अच्छी नहीं बनी थी लेकिन वो फिल्म हिट हो गई. इसके बाद दो तीन और प्रोड्यूसर मेरे पास आए. इसके बाद मैंने फिल्मों के काम को गंभीरता से लेना शुरू किया कि इस काम को सीखना चाहिए.

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