प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने लोकसभा चुनाव 2024 के तीसरे चरण तक कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की तुलना में दोगुने से ज्यादा चुनावी रैलियों को संबोधित किया है. राहुल और प्रियंका गांधी वाड्रा की चुनावी जनसभाओं को जोड़ने के बाद भी पीएम की रैलियों के आंकड़े ज्यादा हैं.
नरेंद्र मोदी ने 31 मार्च से 5 मई के बीच 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 83 चुनावी रैलियों को संबोधित किया. वहीं, दूसरी तरफ वायनाड कांग्रेस सांसद राहुल गांधी से जुड़ा हुआ यह आंकड़ा 40 है. इस डेटा का जानकारी India Today द्वारा विश्लेषण किए गए सार्वजनिक आंकड़ों से पता चलता है.
एनालिसिस में सार्वजनिक रैलियां और रोड शो शामिल थे, जिनमें पीएम मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और राहुल गांधी और उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा शामिल थीं. चारों नेता अपनी-अपनी पार्टियों के स्टार प्रचारक हैं.
पहले तीन चरणों के दौरान, अमित शाह ने 66 चुनावी कार्यक्रमों में भाग लिया, जबकि प्रियंका 29 रैलियों में मुख्य वक्ता थीं. पीएम मोदी की रैली (83) राहुल और प्रियंका की कुल रैलियों से 69 ज्यादा थी.
चुनावी चरणों के आधार पर क्या कहता है आंकड़ा?
तीनों चरणों के दौरान अपने तूफानी चुनावी दौरों से पीएम नरेंद्र मोदी ने दबदबा बनाए रखा है.
31 मार्च से शुरू होने वाले पहले फेज के 18 दिनों में पीएम मोदी ने 31 रैलियों को संबोधित किया. इसके बाद राहुल गांधी ने 21, अमित शाह ने 18 और प्रियंका गांधी ने 9 रैलियों को संबोधित किया.
हालांकि, प्रधानमंत्री ने 18 अप्रैल से 24 अप्रैल के बीच दूसरे चरण में बढ़त खो दी. इस दौरान, अमित शाह 29 रैलियों/रोड शो (अपने गृह निर्वाचन क्षेत्र गांधीनगर सहित) के साथ चार्ट में टॉप पर रहे, जबकि राहुल गांधी आठ रैलियों के साथ सबसे निचले स्थान पर थे. प्रधानमंत्री ने 16 रैलियां कीं और वहीं प्रियंका गांधी 10 ऐसे कार्यक्रमों में शामिल हुईं.
दूसरे चरण में एक और गौर करने वाली चीज देखने को मिली है. इस दौरान यह देखने को मिला कि दोनों पार्टियों के शीर्ष नेताओं, मोदी और राहुल ने अमित शाह और प्रियंका गांधी को पीछे छोड़ दिया है.
तीसरे चरण में पीएम मोदी 36 रैलियों के साथ फिर टॉप पर रहे, उनके बाद शाह (29), राहुल (11) और प्रियंका (10) रहे.
राजनीतिक दलों को पहले चरण के प्रचार के लिए 18 दिन, दूसरे चरण के लिए 7 दिन और तीसरे चरण के लिए 11 दिन का वक्त मिला.
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फोकस में राज्य
India Today की एनालिसिस से पता चलता है कि जहां बीजेपी नेताओं ने उत्तर भारत में हिंदी पट्टी पर फोकस किया है, वहीं भाई-बहन राहुल और प्रियंका ने केरल, कर्नाटक, तेलंगाना और तमिलनाडु जैसे दक्षिणी राज्यों में मतदाताओं को टार्गेट किया है.
12 रैलियों के साथ, पहले तीन चरणों के दौरान प्रधान मंत्री मोदी की लिस्ट में महाराष्ट्र टॉप पर नजर आया, जिसे एक स्विंग स्टेट माना जाता है. नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश में 10 रैलियों को संबोधित किया, जो लोकसभा में सबसे ज्यादा 80 सांसद भेजता है. उसके बाद कर्नाटक और राजस्थान में आठ, बिहार और पश्चिम बंगाल (छह), और मध्य प्रदेश और गुजरात (छह) हैं.
83 रैलियों में से करीब 17 फीसदी रैलियां केरल (2), तमिलनाडु (3), कर्नाटक (8), और तेलंगाना (1) हुईं. दूसरी तरफ, हिंदी भाषी राज्यों में 40 रैलियां आयोजित की गईं. गृह मंत्री अमित शाह के लिए भी यही बात लागू होती है. एनालिसिस से पता चलता है कि उनकी लगभग 16.6 फीसदी रैलियां दक्षिणी राज्यों में हुईं.
इसके उलट, राहुल गांधी की 58 फीसदी रैलियां और प्रियंका की 33 फीसदी रैलियां दक्षिण भारत में आयोजित की गईं. राहुल और प्रियंका ने केरल में क्रमशः सबसे ज्यादा 13 और 6 चुनावी जनसभाओं को संबोधित किया.
हालांकि वे मिलकर काम करते दिखे, लेकिन प्रियंका गांधी अपनी उत्तर-दक्षिण पहुंच के बीच संतुलन बनाती दिखीं. दोनों कांग्रेस नेताओं ने कर्नाटक और महाराष्ट्र में चार-चार रैलियों को संबोधित किया.
क्या कहता है स्ट्राइक रेट?
चुनाव शुरू होते ही पीएम मोदी (73 वर्ष) ने हर रोज ज्यादा रैलियों को संबोधित किया, जबकि राहुल गांधी द्वारा एक दिन में संबोधित की जाने वाली रैलियों की औसत संख्या में गिरावट देखी गई.
पहले फेज में प्रधानमंत्री का दैनिक औसत 1.72, दूसरे चरण में 2.28 और तीसरे चरण में 3.27 था. नरेंद्र मोदी के रैलियों के औसत में लगातार बढ़ोतरी नजर आती है.
राहुल गांधी (53 वर्ष) के लिए, हर रोज रैलियों की संख्या पहले चरण के लिए 1.16, दूसरे चरण के लिए 1.14 और तीसरे चरण के लिए 1 थी. उनका स्ट्राइक रेट पहले चरण के लिए अमित शाह की हर रोज 1 रैली, दूसरे चरण के लिए 2.71 और तीसरे चरण के लिए 2.63 से कम है.
(इंडिया टुडे रिसर्च टीम के डॉली चिंगखम और अभिनव राजवंश के इनपुट के साथ)
शुभम तिवारी / आकाश शर्मा / बिदिशा साहा