Shirdi: शिरडी लोक सभा सीट से हार का स्वाद चख चुके हैं दलित नेता रामदास अठावले

Shirdi Loksabha constituency 2019 के लोक सभा चुनाव 2019 में सबकी नजरें लगी हुई हैं. लोक सभा चुनावों के लिहाज से महाराष्ट्र की श‍िरडी सीट क्यों है खास,  इस आर्टीकल में पढ़ें...

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शिरडी लोक सभा सीट (Demo Photo) शिरडी लोक सभा सीट (Demo Photo)

श्याम सुंदर गोयल

  • नई द‍िल्ली,
  • 02 फरवरी 2019,
  • अपडेटेड 4:14 PM IST

महाराष्ट्र की शिरडी लोक सभा सीट (शिर्डी लोकसभा मतदारसंघ) 2008 में आस्तित्व में आई और 2009 में इस सीट पर पहला लोक सभा चुनाव हुआ. भले ही यहां की विधानसभा सीटों पर कांग्रेस-एनसीपी और बीजेपी का वर्चस्व है लेकिन लोक सभा सीट पर 2009 से शिवसेना के उम्मीदवार जीतते आए हैं. यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. 2019 के लोक सभा चुनाव में देखने वाली बात होगी कि इस बार भी यही समीकरण रहता है या फिर कुछ उलटफेर हो सकता है. वर्तमान में इस सीट से सांसद श‍िवसेना के सदाशिव लोखंडे हैं.

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शिरडी लोक सभा सीट में 6 विधानसभा सीट आती हैं. शिरडी लोक सभा सीट पर, विधानसभा सीट के मिजाज के हिसाब से कांग्रेस-एनसीपी का वर्चस्व है. कोपरगांव और नेवासा में बीजेपी, अकोले में एनसीपी, संगमनेर, शिरडी और श्रीरामपुर में कांग्रेस के विधायक हैं.

श‍िरडी लोक सभा सीट का राजनीत‍िक इत‍िहास...

शिरडी लोक सभा 1952 से 2008 तक कोपरगांव संसदीय क्षेत्र का हिस्सा रही थी. 2009 में इस सीट से पहली बार शिवसेना के भाऊसाहेब वाकचौरे और 2014 में शिवसेना के ही सदाशिव लोखंडे सांसद बने.

2009 और 2014 में जीत-हार का गण‍ित

2009 के लोक सभा चुनाव में शिवसेना के उम्मीदवार भाऊसाहेब वाकचौरे को 359,921 वोट मिले. वहीं, दूसरे स्थान पर आरपीआई (ए) के दलित नेता रामदास अठावले रहे जिन्हें 227,170 वोट मिले. 2014 के लोक सभा चुनाव में शिवसेना के सदाशिव लोखंडे भारी वोटों से जीतकर संसद पहुंचे. इन्हें 532,936 वोट मिले. वहीं, दूसरे स्थान पर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे भाऊसाहेब वाकचौरे रहे जिन्हें 333,014 वोट मिले. वाकचौरे पिछले लोक सभा चुनाव में शिवसेना के टिकट पर लड़कर संसद पहुंचे थे. तीसरे स्थान पर आप पार्टी के नितिन उदमाले रहे जिन्हें 11,580 वोट मिले थे.

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फेमस दल‍ित राजनेता रामदास अठावले को जब करना पड़ा था हार का सामना...

रिपब्लिक पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले) के राष्ट्रीय अध्यक्ष, रामदास अठावले  वर्तमान में मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री हैं. अपनी वाकपटुता के लिए ये संसद में फेमस हैं. दलित नेता के रूप में देश भर में इनका सम्मान हैं. अठावले 1999 से 2009 तक दो बार पंढरपुर लोक सभा सीट से सांसद रहे. महाराष्ट्र सरकार में भी यह मंत्री रहे.  इन्हीं रामदास अठावले को 2009 में शिवसेना के उम्मीदवार भाऊसाहेब वाकचौरे के हाथों हार मिली थी. बाद में वे बीजेपी-शिवसेना गठबंधन के साथ चले गए. 2014 में राज्यसभा के माध्यम से संसद पहुंचे और मोदी सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री बने.

वर्तमान सांसद का प्रोफाइल...

वर्तमान सांसद सदाशिव लोखंडे बीजेपी के टिकट पर तीन बार के विधायक और शिवसेना के टिकट पर एक बार के सांसद हैं. लोखंडे ने अपना राजनीतिक करियर 1995 में अहमदनगर जिले की कर्जत विधानसभा सीट से विधायक बनकर शुरू किया. उसके बाद 1999 और 2004 में बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़कर विधायक बने. 2014 में सदाशिव ने शिवसेना में चले गए और लोक सभा का चुनाव लड़ा. शिरडी लोक सभा में इन्हें भारी जीत मिली. लोखंडे ने भाऊसाहेब वाकचौरे को हराया जिन्होंने कांग्रेस के टिकट पर इस चुनाव को लड़ा था. इससे पहले 2009 में वाकचौरे शिवसेना के टिकट पर इसी सीट से सांसद का चुनाव जीते थे.     

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संसद में प्रदर्शन...

लोखंडे 10वीं पास हैं और खेती, समाजसेवा के व्यवसाय से जुड़े हुए है. इनकी 2004 में 45 लाख संपत्त‍ि थी जो 2014 में बढ़कर 3 करोड़ रुपये हो गई. इनके ऊपर 1 आपराध‍िक केस दर्ज है. संसद में इनकी उपस्थित‍ि 74 फीसदी रही. इन्होंने 20 बहसों में ह‍िस्सा ल‍िया और 536 प्रश्न संसद में पूछे. ये 5 प्राइवेट मेंबर्स ब‍िल्स लेकर भी आए. इनके संसदीय क्षेत्र में 25 करोड़ रुपये का प्रावधान है ज‍िसमें से उन्होंने अपने बजट का 81.02 फीसदी खर्च क‍िया है.

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