पश्चिम बंगाल की कृष्णानगर लोकसभा सीट पर 23 मई को मतगणना के बाद चुनाव के नतीजे घोषित कर दिए गए हैं. इस सीट पर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के उम्मीदवार महुआ मोइत्रा ने 63218 वोटों से जीत दर्ज की है. उन्होंने अपने नजदीकी प्रतिद्वंदी और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रत्याशी कल्याण चौबे को मात दी है. वहीं तीसरे नंबर पर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) से झा शांतनु रहे.
कब और कितनी हुई वोटिंग
कृष्णानगर सीट पर लोकसभा चुनाव के चौथे चरण के तहत 29 अप्रैल को वोट डाले गए और कुल 83.77 फीसदी मतदान हुआ.
कौन-कौन उम्मीदवार
कृष्णानगर लोकसभा सीट पर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) से झा शांतनु और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) से महुआ मोइत्रा जबकि कांग्रेस ने इंताज अली शाह चुनाव मैदान में उतरे. वहीं बीजेपी की ओर से कल्याण चौबे चुनाव लड़े.
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2014 का जनादेश
कृष्णानगर से पिछले चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार तपस पॉल जीते थे. उन्होंने इससे पहले 2009 के चुनाव में भी जीत दर्ज की थी. बंगाल में पिछली बार तृणमूल कांग्रेस को 35.16 फीसदी, बीजेपी को 26.4 फीसदी, माकपा को 29.45 फीसदी और कांग्रेस को 5.99 फीसदी वोट मिले थे. 2014 के चुनावों में तृणमूल कांग्रेस बंगाल में 34 सीटों पर जीतने में कामयाब रही, जबकि कांग्रेस को 4, माकपा और बीजेपी को 2-2 सीटों पर जीत मिली थी.
सामाजिक ताना-बाना
जनगणना 2011 के मुताबिक कृष्णानगर संसदीय सीट की आबादी 20,89,516 है. इसमें 87.34% आबादी गांवों में रहती है जबकि 12.66% लोग शहरों में रहते हैं. कृष्णानगर की कुल आबादी में अनुसूचित जाति और जनजाति का अनुपात क्रमशः 22.57 और 1.69 प्रतिशत का है. 2017 की मतगणना सूची बताती है कि इस लोकसभा सीट पर 15,51,663 मतदाता हैं जो 1800 मतदान केंद्रों पर मतदान करते हैं. 2014 के लोकसभा चुनावों में यहां 84.56% वोटिंग हुई थी जबकि 2009 में यह आंकड़ा 85.5% था. कृष्णानगर लोकसभा सीट के अंतर्गत सात विधानसभा सीटें आती हैं. इसमें तेहत्ता, पलासीपारा, कालीगंज, नक्क्षीपारा, छपरा, कृष्णानगर उत्तर, शांतिपुर और नवादीप शामिल हैं.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
कृष्णानगर एक समय मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी का गढ़ माना जाता था. यह सीट चौथे लोकसभा चुनाव यानी 1967 में अस्तित्व आई थी. तब से लेकर अब तक इस सीट पर 13 लोकसभा चुनाव हो चुके हैं और माकपा ने यहां से 9 बार जीत हासिल की है. 1967 में इस सीट पर पहली बार आम चुनाव हुआ था. उस दौरान निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरे हरिपद चट्टोपध्याय ने जीत हासिल की थी.
माकपा के टिकट पर चुनाव लड़ने वाली कृष्णपदा दास ने 1977, 1980 और 1984 तक लगातार लोकसभा सदस्य चुनी जाती रहीं. 1989 के चुनावों में माकपा के टिकट पर अजॉय मुखोपध्याय चुनाव मैदान में उतरे और सांसद चुने गए. वह 1991, 1996 और 1998 तक लोकसभा सदस्य चुने जाते रहे.
साल 1999 में ऐसा पहली बार हुआ कि इस सीट पर भगवा पार्टी परचम लहराने में कामयाबी रही थी. इस चुनाव में बीजेपी के सत्यव्रत सांसद चुने गए थे. 2004 के चुनावों में माकपा ने फिर वापसी की और पार्टी नेता ज्योतिर्मय सिकदर ने जीत हासिल की. लेकिन 2009 के चुनावों में तृणमूल कांग्रेस के तपस पॉल ने जीत हासिल की और 2014 में मोदी लहर के बावजूद वह अपनी जीच सुनिश्चित करने में कामयाब रहे.
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सना जैदी