प्रशांत किशोर को EC का नोटिस, दो राज्यों की वोटर लिस्ट में मिला नाम, तीन दिन में मांगा जवाब

प्रशांत किशोर का नाम बिहार और पश्चिम बंगाल दोनों की वोटर लिस्ट में पाया गया. निर्वाचन आयोग ने तीन दिन में जवाब देने को कहा है. दो जगह नाम दर्ज करना कानून के खिलाफ है और इसमें जेल या जुर्माने का खतरा होता है. वहीं, प्रशांत का कहना है कि ये चुनाव आयोग की गलती है.

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प्रशांत किशोर को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया (Photo: ITG) प्रशांत किशोर को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया (Photo: ITG)

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 28 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 7:23 PM IST

Prashant Kishor Dual voter ID row: जन सुराज पार्टी के मुखिया प्रशांत किशोर को निर्वाचन आयोग (EC) का नोटिस मिला है क्योंकि उनके नाम दो अलग-अलग राज्यों की वोटर लिस्ट में दर्ज पाए गए हैं. आयोग ने उन्हें इस बात का जवाब देने के लिए तीन दिन का समय दिया है.

सासाराम के करगहर विधानसभा क्षेत्र के रिटर्निंग ऑफिसर ने बताया कि प्रशांत किशोर का नाम बिहार की वोटर लिस्ट के साथ-साथ पश्चिम बंगाल की वोटर लिस्ट में भी है. पश्चिम बंगाल के भवानीपुर क्षेत्र में उनकी वोटर एंट्री संत हेलेन स्कूल के मतदान केंद्र पर दर्ज है. वहीं, बिहार के करगहर क्षेत्र में भी उनका मतदाता पहचान पत्र नंबर 1013123718 है.

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कानून के हिसाब से, किसी भी व्यक्ति का नाम एक से ज्यादा विधानसभा या लोकसभा क्षेत्र की वोटर लिस्ट में नहीं हो सकता. ऐसा करने पर जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1960 के तहत एक साल तक जेल या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है. इसलिए आयोग ने तीन दिनों के अंदर उनका जवाब मांगा है कि उन्होंने ऐसा क्यों किया.

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निर्वाचन आयोग यह सुनिश्चित करता है कि वोटर सूची साफ-सुथरी और सही हो. अगर किसी व्यक्ति का नाम दो जगह दर्ज होता है तो वह नियमों का उल्लंघन होता है. अधिनियम के तहत इसमें कड़ी सजा का प्रावधान है. इसीलिए आयोग ने प्रशांत किशोर से जल्दी जवाब मांगा है ताकि मामले की जांच हो सके और आवश्यक कार्रवाई की जा सके.

चुनाव आयोग की गलती, हम क्या करें: प्रशांत किशोर

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आजतक ने जब दो राज्यों की वोटर लिस्ट में नाम होने को लेकर सवाल पूछा तो प्रशांत किशोर ने कहा, 'जब वह 2021 में बंगाल विधानसभा चुनाव करवाने गए थे तो उस समय का वो कार्ड है. अब वह यहां के वोटर हैं. पिछले तीन साल से. ये चुनाव आयोग की गलती है. इसमें हम क्या कर सकते हैं. हम करगहर से वोटर हैं और हमारे पास उसका ईपीआईसी नंबर है. मेरा पास यहां का रसीद और वोटर आईडी है.'

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प्रशांत किशोर को दो राज्यों की वोटर लिस्ट में नाम होने पर नोटिस मिलने का राजनीतिक असर कई तरह से हो सकता है. 

पहला तो उनके राजनीतिक विश्वसनीयता पर असर पड़ सकता है. उनकी छवि निष्पक्ष और भरोसेमंद होने की है. ऐसे में वोटर लिस्ट में दो जगह नाम होने से विपक्ष इसे उनकी छवि खराब करने के लिए इस्तेमाल कर सकता है. 

इसके अलावा वोटर लिस्ट में नाम दो जगह होने का आरोप विपक्ष को मौका देगा कि वे प्रशांत किशोर और उनकी पार्टी पर हमला तेज कर दे. अन्य दल इसे चुनाव मैदान में प्रचार के दौरान हिस्सा बना सकते हैं.

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