तरसती रही जनता और वापस कर दिया बजट का पैसा... झारखंड को इस बार क्यों चाहिए 'खर्चीली सरकार'

कम से कम आठ बड़ी योजनाएं हैं जहां 100 फीसदी धनराशि वापस कर दी गई है. यह तब है जब राज्य गरीबी के मामले में दूसरे स्थान पर है. नीति आयोग के अनुसार, तीन जिलों - पाकुड़, साहेबगंज और पश्चिमी सिंहभूम में लगभग आधी आबादी गरीब है. राज्य के 24 जिलों में से 12 जिलों में हर तीन में से कम से कम एक व्यक्ति बहुआयामी रूप से गरीब है.

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झारखंड सरकार खर्च नहीं कर पाई कल्याणकारी योजनाओं का पैसा झारखंड सरकार खर्च नहीं कर पाई कल्याणकारी योजनाओं का पैसा

सम्राट शर्मा

  • रांची,
  • 12 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 8:43 PM IST

झारखंड में चुनाव होने जा रहे हैं और राज्य की जनता को एक ऐसी सरकार की जरूरत है जो खर्च कर सके. आखिर क्यों? दरअसल झारखंड ने कई कल्याणकारी योजनाओं की घोषणा की, बजट आवंटित किया और पैसा बिना खर्च किए वापस कर दिया. सरकार ने उस बजट का एक बड़ा हिस्सा सरेंडर कर दिया. 

कम से कम आठ बड़ी योजनाएं ऐसी हैं जहां 100 फीसदी धनराशि वापस कर दी गई और यह तब है जब राज्य गरीबी के मामले में दूसरे स्थान पर है. नीति आयोग के अनुसार, तीन जिलों - पाकुड़, साहेबगंज और पश्चिमी सिंहभूम में लगभग आधी आबादी गरीब है. राज्य के 24 जिलों में से 12 जिलों में हर तीन में से कम से कम एक व्यक्ति बहुआयामी रूप से गरीब है.

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अधिकारियों के पास बचत का कोई कारण नहीं

अगस्त 2024 में जारी झारखंड के राज्य वित्त पर भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट में कहा गया है कि 24,634 करोड़ रुपये की कुल बचत में से, 22,909.40 करोड़ रुपये 27 अनुदानों से प्राप्त हुए थे, जिनमें से प्रत्येक की राशि 100 करोड़ रुपये या उससे अधिक थी. इसमें कहा गया है कि विभागीय अधिकारियों ने इतनी बड़ी बचत का कोई कारण नहीं बताया. 

हालांकि, इसमें उल्लेख किया गया है कि भारी बचत अवास्तविक बजट प्रस्तावों, खराब खर्च निगरानी तंत्र, कमजोर योजना कार्यान्वयन क्षमता और विभागों में कमजोर आंतरिक नियंत्रण का संकेत है.

2019 के बाद से हर साल महिलाओं, बाल विकास और सामाजिक सुरक्षा के लिए आवंटित बजट का 64 से 100 प्रतिशत तक उपयोग ही नहीं किया गया. कृषि, पेयजल और स्वच्छता में 65 प्रतिशत तक धनराशि भी इस्तेमाल नहीं हुई.

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सामाजिक और आर्थिक सेवाओं के लिए खर्च होने थे पैसे

ये अनुदान सामाजिक और आर्थिक सेवाओं से संबंधित थे और खर्च विकास उद्देश्यों के लिए किया जाना था. CAG की रिपोर्ट के अनुसार, 'हालांकि, सरकार साल-दर-साल प्रावधानों का उपयोग करने में असमर्थ रही, जिससे लक्षित लाभार्थी लाभों से वंचित हो गए. पिछले पांच वर्षों के दौरान बचत 64 से 100 प्रतिशत के बीच थी, क्योंकि विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों के कार्यान्वयन, पुनर्वास केंद्रों के निर्माण कार्यों, कामकाजी महिला छात्रावासों, आंगनवाड़ी केंद्रों आदि के लिए योजनाओं के लिए धनराशि प्रदान की गई थी, जिनका बिना कोई कारण बताए सरेंडर कर दिया गया.'

इसके अलावा, कुछ योजनाएं ऐसी भी हैं, जहां पूरी धनराशि सरेंडर कर दी गई. इन योजनाओं की कुल राशि 738.69 करोड़ रुपये है, जिसमें किसानों के लिए ऋण माफी योजनाओं का सबसे बड़ा हिस्सा 549.52 करोड़ रुपये है.

कई योजनओं की पूरी धनराशि कर दी वापस 

राष्ट्रीय बागवानी मिशन, मृदा स्वास्थ्य और उर्वरता की योजना, आईटी और उद्योग की स्थापना, किसान समृद्धि योजना, मृदा जल संरक्षण योजना, बीज और रोपण सामग्री पर उप-मिशन और गन्ना विकास की एक योजना जैसी अन्य योजनाएं थीं जिनमें कोई खर्च नहीं किया गया और पूरी धनराशि सरेंडर कर दी गई.

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