बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान समाप्त होने के बाद जारी किए गए एग्जिट पोल के अनुमानों (Poll of Polls) में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की सत्ता में बड़ी वापसी का संकेत मिला है.
विभिन्न एजेंसियों के एग्जिट पोल के संकलन के अनुसार, Polls of Polls में NDA बहुमत के आंकड़े को पार करते हुए 147 से अधिक सीटें जीत सकता है. 243 सीटों वाली बिहार विधानसभा में बहुमत का जादुई आंकड़ा 122 है. एग्जिट पोल के अनुमानों में NDA को 2020 की 125 सीटों की तुलना में बड़ा जनादेश मिलने की भविष्यवाणी की गई है.
सबसे बड़ी बात यह रही है कि प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी (JSP) का इस चुनाव में कोई खास असर नहीं दिख रहा है. लगभग सभी एजेंसियों, जिनमें Chanakya Strategies, Matrize, People’s Insight और P-Marq शामिल हैं, ने जन सुराज को 0 से 2 सीटों तक सीमित बताया है.
MATRIZE-आईएएनएस का एग्जिट पोल आया है उसमें एनडीए को 48 फीसदी महागठबंधन को 37 फीसदी तथा अन्य के खाते में 15 फीसदी वोट मिलने का अनुमान लगाया गया है. यानि एनडीए को जबरदस्त फायदा होता दिख रहा है. इस पोल के मुताबिक NDA को 147-167 तथा महागठबंधन को 70-90 सीटें मिलने तथा अन्य के खाते में 2-10 सीटें जाने का अनुमान है.
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हालांकि, विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि एग्जिट पोल हमेशा सटीक नहीं होते, इसलिए इन आंकड़ों को सतर्कता के साथ देखना चाहिए. एग्जिट पोल में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और कांग्रेस के नेतृत्व वाले महागठबंधन को दूर दूसरे स्थान पर रखा गया है.
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इस बीच, चुनावी राजनीति में कदम रखने वाले प्रशांत किशोर (PK) की जन सुराज पार्टी (JSP) ने पोलस्टर्स को प्रभावित नहीं किया है. चाणक्य स्ट्रैटेजीज़, मैट्रिज़, और पीपुल्स पल्स सहित सभी प्रमुख एजेंसियों ने उनकी पार्टी को दोहरे अंक तक भी पहुंचने का अनुमान नहीं लगाया है
चुनाव के प्रमुख मुद्दे और राजनीतिक विरासत
इस बार का चुनावी माहौल बेहद गर्म रहा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने कई रैलियों के जरिए ‘विकास बनाम जंगलराज’ की थीम को आगे रखा. उधर तेजस्वी यादव ने बेरोजगारी, महंगाई और सरकारी नौकरियों के वादों पर जनता से समर्थन मांगा.तेजस्वी में हर परिवार को एक सरकारी नौकरी और महिलाओं को ₹30,000 की सहायता जैसे बड़े लोक-लुभावन वादे किए.
राजनीतिक पर्यवेक्षकों के मुताबिक, यह चुनाव नीतीश कुमार के लिए भी ऐतिहासिक है, क्योंकि माना जा रहा है कि यह उनका आख़िरी विधानसभा चुनाव हो सकता है. वहीं, लालू प्रसाद यादव ने पहले ही पार्टी की कमान बेटे तेजस्वी यादव को सौंप दी है.
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