बिहार विधानसभा चुनाव के लिए महागठबंधन के बाद नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने भी अपना घोषणापत्र जारी कर दिया है बीजेपी नेता और उपमुख्यमंत्री (डिप्टी सीएम) सम्राट चौधरी ने एनडीए का 'संकल्प पत्र' जारी करते हुए महागठबंधन की तरह ही सरकारी नौकरियों पर खासा जोर दियाएनडीए ने एक करोड़ सरकारी नौकरी और रोजगार देने का वादा किया तो साथ ही अति पिछड़ा वर्ग को साधने के लिए एक समिति बनाने का भरोसा दिलाया.
एनडीए ने अति पिछड़ा वर्ग के लिए भी बड़ी घोषणा की है. सम्राट चौधरी ने कहा कि एनडीए अति पिछड़ा वर्ग को 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देगा. इसके अलावा, अति पिछड़ा वर्ग के सामाजिक समरसता और आर्थिक उत्थान के लिए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया जाएगा. इस समिति की सिफारिशों पर सरकार अति पिछड़ा वर्ग के कल्याण के लिए काम करेगी.
बिहार की चुनावी जंग में एनडीए ही नहीं महागठबंधन की नज़र भी अतिपिछड़ी जातियों पर है, क्योंकि इस वर्ग को साथ लिए बिना सत्ता पर विराजमान होना संभव नहीं है. इसीलिए महागठबंधन ने अतिपिछड़ी जातियों के लिए अलग से घोषणा पत्र जारी किया तो एनडीए ने अति पिछड़ा वर्ग के लिए एक समिति बनाने का ऐलान किया है.
अति पिछड़ा वर्ग के लिए एनडीए का दांव
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एनडीए ने शुक्रवार को अपना संयुक्त घोषणापत्र जारी किया. एनडीए के इस घोषणापत्र में महिलाओं और युवाओं को साधने के साथ-साथ अतिपिछड़ी जातियों का विश्वास जीतने के लिए बड़ा दांव चला है. सम्राट चौधरी ने कहा कि एनडीए अतिपिछड़ी जाति को मुख्य धारा में लाने के लिए 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने का काम करेगी.
एनडीए की तरफ से सम्राट चौधरी ने ऐलान किया कि सुप्रीम कोर्ट के एक रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की जाएगी, जो अति पिछड़ा वर्ग में शामिल जातियों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति का आकलन कर सरकार को उनके कल्याण की सलाह देने का काम करेगी. इस तरह से वे अति पिछड़ा वर्ग को मुख्य धारा में लाने का काम करेंगे. अति पिछड़ा वर्ग के युवाओं के लिए स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम शुरू करने का भी ऐलान किया है.
अति पिछड़ा वर्ग के मसीहा माने जाने वाले जननायक कर्पूरी ठाकुर के नाम से एनडीए ने बिहार में किसान सम्मान निधि का भी ऐलान किया है. सम्राट चौधरी ने कहा कि कर्पूरी ठाकुर सम्मान निधि के तौर पर तीन हजार रुपये बिहार सरकार देगी. 6 हजार केंद्र सरकार देती है. इसके अलावा बिहार में मत्स्य योजना के तहत केंद्र सरकार 4500 और राज्य सरकार 4500 रुपये देगी. इस तरह एनडीए ने अति पिछड़ा वर्ग के लिए वादे किए हैं.
अति पिछड़ा वर्ग पर महागठबंधन मेहरबान
बिहार में महागठबंधन ने अति पिछड़ा वर्ग के लिए अलग से एक घोषणा पत्र जारी किया था, जिसमें 10 बड़े वादे किए हैं. महागठबंधन ने अति पिछड़ा वर्ग से जो वादे किए हैं, उसमें अति पिछड़ा अत्याचार निवारण अधिनियम पारित करने के अलावा कई वादे किए हैं. जैसे: पंचायत और नगर निकाय में आरक्षण 20 फीसदी से बढ़ाकर 30 फ़ीसदी करना.
आबादी के हिसाब से आरक्षण बढ़ाने के लिए विधानमंडल से पारित कानून को संविधान की नौवीं अनुसूची में डालना. नियुक्तियों में 'नॉट फाउंड सूटेबल' (एनएफएस) को अवैध घोषित करना. अल्प या अति समावेशन से संबंधित मामलों को कमेटी बनाकर निपटाना. अति पिछड़ा, एससी, एसटी और पिछड़ा वर्ग के सभी भूमिहीनों को शहर में 3 और गांव में 5 डेसिमल आवासीय भूमि देना.
महागठबंधन ने प्राइवेट स्कूल में आरक्षित सीटों का आधा हिस्सा अति पिछड़ा, एससी, एसटी और पिछड़ा वर्ग के बच्चों को दिया जाएगा. 25 करोड़ रुपये तक के सरकारी ठेकों में अति पिछड़ा, एससी, एसटी और पिछड़ा वर्ग के लिए 50 फ़ीसदी आरक्षण.
निजी शिक्षण संस्थानों में आरक्षण. इसके अलावा महागठबंधन की तरफ से अति पिछड़ा वर्ग से आने वाले मुकेश सहनी को डिप्टी सीएम का चेहरा घोषित कर रखा है. इस घोषणा के बाद एनडीए खेमे में खासकर जेडीयू में बेचैनी दिख रही थी और अब एनडीए ने भी अपने घोषणा पत्र में अतिपिछड़ी जातियों पर खास फोकस किया है.
EBC के हाथो में बिहार की सत्ता की चाबी
बिहार की सियासत में मोस्ट बैकवर्ड को सबसे अहम फैक्टर माना जाता है, जिसे अतिपिछड़ी जाति के नाम से जाना जाता है. बिना अति पिछड़ा वर्ग को साधे सत्ता की दहलीज तक कोई भी दल नहीं पहुंच सकता है. बिहार में इन वर्गों की आबादी 36 फीसदी है, जिसमें करीब 112 जातियां शामिल हैं. इनमें केवट, लुहार, कुम्हार, कानू, धीमर, रैकवार, तुरहा, बाथम, मांझी, सहनी, प्रजापति, बढ़ई, सुनार, कहार, धानुक, नोनिया, राजभर, नाई, चंद्रवंशी, मल्लाह जैसी जातियां आती हैं.
अति पिछड़ा वर्ग की आर्थिक और सामाजिक स्थिति कमज़ोर है. ये छोटी-छोटी जातियां, जिनकी आबादी कम है, लेकिन चुनाव में 'फिलर' के तौर पर ये काफी अहम हो जाती हैं. जब ये किसी दूसरे वोटबैंक के साथ जुड़ जाती हैं तो एक बड़ी ताक़त बन जाती हैं. इसीलिए सभी दलों की कोशिश अतिपिछड़ी जाति के वोट को पाने की है.
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बिहार में अतिपिछड़ी जाति को साधकर ही नीतीश कुमार 20 सालों से सत्ता पर काबिज हैं, लेकिन अब उनकी पकड़ कमजोर पड़ी है. महागठबंधन अपना वोट बेस बढ़ाने की कोशिश कर रहा है. अति पिछड़ा उसमें एक ऐसा जाति समूह है जिस पर सबकी नज़र है.
महागठबंधन ने उसको अपने पाले में रखने की कोशिश की है. तेजस्वी अब उन्हें साधने की कवायद में हैं. इसीलिए तेजस्वी यादव ने निषाद समाज से आने वाले मुकेश सहनी को डिप्टी सीएम का चेहरा बनाया है. इसके जरिए अति पिछड़ा वर्ग के मछुआरों की जातियों को साधने का दांव चला है.
महागठबंधन ने वादा किया है कि बिहार के नाई, कुम्हार, बढ़ई, लोहार, माली और मोची जैसी मेहनतकश जातियों के स्वरोजगार, आर्थिक उत्थान और उन्नति के लिए 5 साल के लिए 5 लाख की एकमुश्त ब्याज रहित राशि प्रदान की जाएगी. तेजस्वी यादव ने कहा कि इस पैसे से इस वर्ग के लोग अपने लिए औज़ार, इत्यादि खरीदेंगे. महागठबंधन और तेजस्वी के सियासी दांव को देखते हुए एनडीए ने अति पिछड़ा वर्ग को 10 लाख रुपये और एक समिति बनाने का वादा किया है.
अति पिछड़ा वर्ग के लिए महागठबंधन की तरफ से जारी घोषणा पत्र के बाद अति पिछड़ा संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने कहा था कि नीतीश सरकार अति पिछड़ों के लिए घोषणा करके भी अपने वादे पूरे नहीं कर रही थी, ऐसे में महागठबंधन ने पांच डेसिमल ज़मीन, पंचायती राज में आरक्षण, ठेका में आरक्षण के वादे बहुत अहम हैं. ऐसे में देखना है कि अति पिछड़ा वर्ग किसके साथ जाता है?
कुबूल अहमद