'मेरा ये मतलब नहीं था...', किसानों पर दिए बयान पर बिहार के एडीजी कुंदन कृष्णन ने मांगी माफी

एडीजी कुंदन कृष्णन ने कहा था कि अप्रैल से जून के बीच बिहार में अपराध बढ़ जाते हैं, क्योंकि यह दो फसल सीजन के बीच का समय होता है और उस दौरान खेतिहर मजदूर बेरोजगार हो जाते हैं. उन्होंने यह भी जोड़ा था कि कुछ लोग इस समय ‘सुपारी किलिंग’ जैसे अपराधों में लिप्त हो जाते हैं. इस बयान को लेकर राजनीतिक हलकों और किसान संगठनों ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी.

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बिहार ADG ने अपने बयान को लेकर माफी मांगी है (फाइल फोटो) बिहार ADG ने अपने बयान को लेकर माफी मांगी है (फाइल फोटो)

रोहित कुमार सिंह

  • पटना,
  • 19 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 5:16 PM IST

बिहार में हाल ही में अपराध की बढ़ती घटनाओं और चंदन मिश्रा हत्याकांड को लेकर चर्चा में आए एडीजी (कानून-व्यवस्था) कुंदन कृष्णन को किसानों पर दिए गए बयान पर सफाई देनी पड़ी है. उन्होंने कहा कि उनका बयान तोड़-मरोड़कर पेश किया गया, जिससे किसान समुदाय की भावनाएं आहत हुई हैं, और यदि किसी को उनके शब्दों से ठेस पहुंची है तो वे क्षमाप्रार्थी हैं.

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दरअसल, बीते सप्ताह एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में एडीजी कुंदन कृष्णन ने कहा था कि अप्रैल से जून के बीच बिहार में अपराध बढ़ जाते हैं, क्योंकि यह दो फसल सीजन के बीच का समय होता है और उस दौरान खेतिहर मजदूर बेरोजगार हो जाते हैं. उन्होंने यह भी जोड़ा था कि कुछ लोग इस समय ‘सुपारी किलिंग’ जैसे अपराधों में लिप्त हो जाते हैं. इस बयान को लेकर राजनीतिक हलकों और किसान संगठनों ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी.

अब एडीजी की सफाई देनी पड़ी है. शनिवार को एक वीडियो जारी कर एडीजी कुंदन कृष्णन ने स्पष्ट किया कि मेरे बयान का मतलब यह कभी नहीं था कि किसान या अन्नदाता का अपराध से कोई संबंध है. मेरे मन में किसान भाईयों के लिए गहरा सम्मान है. मेरे पूर्वज भी किसान रहे हैं. मैं अपनी जड़ों से जुड़ा हूं और खेती-किसानी को हमेशा सम्मान की दृष्टि से देखता हूं.

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उन्होंने आगे कहा कि अगर मेरे बयान से किसी को भी ठेस पहुंची है, तो मैं उसके लिए माफी मांगता हूं. मेरा इरादा किसी का भी अपमान करने का नहीं था.

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बिहार के उपमुख्यमंत्री को भी देना पड़ा था बयान

बता दें कि एडीजी के बयान के बाद बिहार के उपमुख्यमंत्री और बीजेपी नेता विजय सिन्हा को भी सफाई देनी पड़ी थी. उन्होंने दो टूक कहा था कि किसान अपराधी नहीं, अन्नदाता होता है. किसान मेहनत करता है, खिलाता है, न कि अपराध करता है. जो लोग मुफ्त में खाते हैं, वही इस तरह की बातें करते हैं. हमने एडीजी का पूरा बयान नहीं सुना, पर जो भी कहा गया, वह उचित नहीं है. किसान का अपराध से कोई नाता नहीं है.

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