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लॉकडाउन में बदहाली, दिल्ली के गेस्ट टीचर बेच रहे सब्जी, बना रहे पंक्चर

मानसी मिश्रा
  • 24 जून 2020,
  • अपडेटेड 1:38 PM IST
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देश में कोराेना वायरस संक्रमण के चलते लॉकडाउन लगाया गया था. ज्यादातर कामकाजी लोगों को वर्क फ्रॉम होम यानी घर से काम करने की सुविधा दी गई थी. लेकिन दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले गेस्ट टीचर्स के सामने इस लॉकडाउन ने बड़ी मुश्क‍िल खड़ी कर दी है. श‍िक्षकों को दो माह से सैलरी नहीं मिली है. अब वो मजबूरी में अपना पेट पालने के लिए सब्जी का ठेला लगाने से लेकर पंक्चर लगाने तक का काम कर रहे हैं.

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यहां तस्वीर में गलि‍यों में सब्जी बेचते दिख रहा शख्स भी दिल्ली के सरकारी स्कूल सर्वोदय बाल विद्यालय में बतौर इंग्ल‍िश के गेस्ट टीचर के पद पर तैनात हैं. वजीर सिंह ने aajtak.in से बातचीत में बताया कि मुझे बीते आठ मई से सैलरी नहीं मिली. हमारे सामने घर चलाने के लिए ये मजबूरी है. इसलिए ठेले पर सब्जी बेचता हूं.

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देवेश कुमार मेहरौली के सरकारी स्कूल में गेस्ट टीचर हैं. देवेश कहते हैं कि मेरी छोटी पंक्चर की दुकान है. अब कहीं जा नहीं सकते तो क्या खा नहीं सकते. बच्चे की फीस 15 से 16 सौ रुपये है. अब दूसरे को श‍िक्ष‍ित करते हैं तो अपने बच्चे को अश‍िक्ष‍ित तो नहीं छोड़ सकते.

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गेस्ट टीचर संजीव शर्मा भी इन दिनों खेतीबाड़ी कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि मैं नांगलोई के गवर्नमेंट ब्वॉयज सीनियर सेकेंड्री स्कूल में गेस्ट टीचर था. अप्रैल के बाद सैलरी नहीं आई तो अब घर का खर्च चलाना मुश्क‍िल हो रहा है. घर में पत्नी बच्चे, माता पिता के अलावा छोटे भाई हैं, सबकी जिम्मेदारी मेरे ऊपर है. सैलरी के नाम पर कहा जाता है कि अभी ऑर्डर नहीं आया.

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हालात के चलते गेस्ट टीचर्स फल बेचने से लेकर सब्जी बेचकर अपना और परिवार का पेट पाल रहे हैं. बता दें कि दिल्ली के 1,030 सरकारी स्कूलों में 20,000 से अधिक अतिथि शिक्षक कार्यरत हैं. प्रतिदिन 1,040 और 1,400 रुपये के बीच भुगतान किया जाता है, उनके अनुबंध हर साल नवीनीकृत होते हैं.

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अतिथ‍ि श‍िक्षक राकेश कुमार यादव और संजीव कुमार भी इसी तरह किराने की दुकान लगाकर या फल बेचकर अपनी आजीविका चला रहे हैं. ऑल इंडिया गेस्ट टीचर्स एसोसिएशन के सदस्य शोएब राणा का कहना है कि महामारी के ऐसे हालात में जब हर राज्य अपने कर्मचारियों को सैलरी दे रहा है, वहीं दिल्ली में हालात बदतर हैं. गेस्ट टीचर्स के सामने भूखों मरने की नौबत आ गई है.

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उन्होंने बताया कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में संविदा पर काम करने वाले गेस्ट टीचर्स को दैनिक आधार पर भुगतान किया जाता है. वित्त मंत्रालय ने हाल ही में एक आदेश जारी किया था जिसमें कहा था कि सभी राज्य व मंत्रालय अपने संविदा कर्मचारियों को वेतन दें, इसका अनुपालन नई दिल्ली म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन में किया जा चुका है. लेकिन दिल्ली के गेस्ट टीचर्स पर ये लागू नहीं हुआ है.

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शोएब राणा ने बताया कि अत‍िथि‍ श‍िक्षकों के साथ दिल्ली सरकार लगातार सौतेला व्यवहार करती है. हमें रविवार, गर्मी और सर्दियों की छुट्टियों, या किसी भी राष्ट्रीय अवकाश के लिए भुगतान नहीं किया जाता है. हम गेस्ट टीचर्स गर्मी की छुट्टी के दौरान भी काम खोजकर अपनी जीवि‍का का प्रबंध करते हैं. हमारी सरकार से मांग है कि जुलाई से स्कूल खुलें या न खुलें, गेस्ट टीचर्स को एक जुलाई से वेतन दिया जाए ताकि हमारे भूखे रहने की नौबत न आए. अपने कर्मचारियों का ध्यान रखना सरकारी की जिम्मेदारी होती है, सरकार अपनी जिम्मेदारी निभाए.

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