Happy Krishna Janmashtami: श्री मद्भगवत गीता आज भी अध्यात्म और जीवन दर्शन का सबसे उत्तम सामंंजस्य माना जाता है. महाभारत के युद्ध के समय जब अर्जुन अपने ही लोगों को रण में सामने खड़ा पाते हैं तो वो हथियार डाल देते हैं. उसी वक्त उनके सारथी बने भगवान कृष्ण उन्हें उपदेश देते है. उन्हें कर्म व धर्म के सच्चे ज्ञान से अवगत कराते हैं.
भारतीय परम्परा के अनुसार गीता का स्थान वही है जो उपनिषद् और धर्मसूत्रों का है. भारतीय धर्मशास्त्र में उपनिषदों को गौ (गाय) और गीता को उसका दुग्ध कहा गया है. इस प्रकार से उपनिषदों की जो अध्यात्म विद्या थी, उसको गीता सर्वांश में स्वीकार करती है.
उपनिषदों की अनेक विद्याएं जैसे संसार के स्वरूप के संबंध में अश्वत्थ विद्या, अनादि अजन्मा ब्रह्म के विषय में अव्ययपुरुष विद्या, परा प्रकृति या जीव के विषय में अक्षरपुरुष विद्या और अपरा प्रकृति या भौतिक जगत के विषय में क्षरपुरुष विद्या गीता में हैं. इस प्रकार वेदों के ब्रह्मवाद और उपनिषदों के अध्यात्म, इन दोनों की विशिष्ट सामग्री गीता में संनिविष्ट है. लेकिन, क्या आपको पता है कि सिर्फ भगवत गीता नहीं नहीं बल्कि 300 से ज्यादा विभिन्न प्रकार के भगवत गीता उपलब्ध हैं.
श्रीमद्भगवत गीता के अलावा ये गीता भी बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती हैं जो असल में गीता का ही अलग अलग रूप हैं. जो असल में ज्ञान तत्व को दर्शाती हैं.
यथार्थ गीता
अष्टावक्र गीता
अवधूत गीता
कपिल गीता
श्रीराम गीता
श्रुति गीता
उद्धव गीता
वैष्णव गीता
कृषि गीता
इसके अलावा गीता पर अनेक अचार्यों एवं विद्वानों ने टीकाएं की हैं, विभिन्न संप्रदायों के अनुसार उनकी संक्षिप्त सूची इस प्रकार है :
अद्वैत - शांकराभाष्य, श्रीधरकृत सुबोधिनी, मधुसूदन सरस्वतीकृत गूढ़ार्थदीपिका
विशिष्टाद्वैत
यामुनाचार्य कृत गीता अर्थसंग्रह, जिसपर वेदांतदेशिककृत गीतार्थ-संग्रह रक्षा टीका है.
रामानुजाचार्यकृत गीताभाष्य, जिसपर वेदांतदेशिककृत तात्पर्यचंद्रिका टीका है
द्वैत - मध्वाचार्य कृत गीताभाष्य, जिसपर जयतीर्थकृत प्रमेयदीपिका टीका है, मध्वाचार्यकृत गीता-तात्पर्य निर्णय.
शुद्धाद्वैत - वल्लभाचार्य कृत तत्वदीपिका, जिसपर पुरुषोत्तमकृत अमृततरंगिणी टीका है.
कश्मीरी टीकाएं- 1. अभिनवगुप्तकृत गीतार्थ संग्रह 2. आनंदवर्धनकृत ज्ञानकर्मसमुच्चय.
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