Beating The Retreat: ब्रिटेन से जुड़ा है बीटिंग रिट्रीट का इतिहास, आजादी के 5 साल बाद हुई थी भारत में शुरुआत

बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी गणतंत्र दिवस का समापन समारोह है. बीटिंग रिट्रीट सेना का अपने बैरक में लौटने का प्रतीक भी माना जाता है. इस साल बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी में सभी स्वदेशी धुन बजाई जाएंगी. राजाओं के जमाने से इसे मनाया जा रहा है. आइए जानते हैं इसकी शरुआत कैसे हुई थी?

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Beating Retreat History Beating Retreat History

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 29 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 10:29 AM IST

Beating Retreat History: हर साल देश की राजधानी दिल्ली में देश की सेनाओं द्वारा बीटिंग रिट्रीट का आयोजन किया जाता है. इसे गणतंत्र दिवस समारोह का समापन मानते हैं. इस दिन दिल्ली के विजय चौक पर सेनाओं द्वारा परेड किए जाने का नजारा देखने और उन्हें सम्मान देने के लिए देश के राष्ट्रपति और कई लोग इस रिट्रीट में पहुंचते हैं. इस सेरेमनी के बाद सेनाएं अपने बैरक में वापस लौट जाती हैं. सिर्फ भारत ही नहीं, दुनिया के कई देशों में यह सेरेमनी होती है, जिसमें ब्रिटेन, कनाडा, अमेरिका समेत कई देश शामिल हैं. तो आइए जानते हैं भारत में इसकी शुरुआत कब और कैसे हुई?

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साल 1952 में हुई थी भारत की पहली बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी

देश की आजादी के 5 साल बाद यानी कि साल 1952 में भारत में इसकी शुरुआत हुई थी. पहली बीटिंग रिट्रीट में भारतीय सेना के मेजर रॉबर्ट ने सेनाओं के बैंड्स के डिस्प्लेस के साथ इस सेरेमनी को पूरा किया था लेकिन अगर दुनिया में इसकी शुरुआत की बात करें तो इतिहास के कई पन्नों को पलटना पड़ेगा, क्योंकि यह बात तब की है जब राजानों के सैनिकों द्वारा सूर्यास्त के बाद जंग बंद कर दी जाती थी. उस दौरान सूरज ढलते ही बिगुल बजता था और दोनों तरफ से सभी सैनिक पीछे हटकर अपने टैंट या महल में चले जाते हैं. बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी आइडिया यहीं से लिया गया था.

राजाओं ने शुरू किया था ये चलन

जानकारी के मुताबिक, 17वीं सदी में इंग्लैंड के जेम्स II ने शाम को जंग खत्म होन के बाद अपने सैनिकों को ड्रम बजाने, झंडा झुकाने और परेड करने का आदेश दिया था. उस वक्त इस समारोह को वॉच सेटिंग कहा जाता था. माना जाता है कि इस दिन से बीटिंग रिट्रीट की शुरुआत की गई थी. इस सेरेमनी में मुख्य अतिथि देश के राष्ट्रपति होते हैं. सभी सेनाएं अपनी परेड करती हैं और राष्ट्रपति को नेशनल सैल्यूट देती हैं. इसके बाद देश का राष्ट्रीय गीत यानी कि जन गन मन शुरू किया जाता है. इस दौरान सेनाएं बैंड के माध्यम से राष्ट्रीय गीत की धुन भी बजाती हैं और बाकी लोग सम्मान में बिना हिले सीधे खड़े होते हैं. इसके बाद रिट्रीट का बजता है और सेना के प्रमुख राष्ट्रपति के पास जाकर बैंड वापस ले जाने की परमिशन मांगते हैं. वहीं, जब बैंड वापस ले जाया जाता है जब सारे जहां से अच्छा की धुन बजती है. 

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इस साल बीटिंग रिट्रीट में बजेंगी स्वदेशी धुन

इस साल बीटिंग रिट्रीट इसलिए खास हैं क्योंकि, इस बार सेरेमनी में स्वदेशी धुन बजाई जाएंगी. सेनाओं के बैंड ने पहली बार महात्मा गांधी के मनपसंद गीत 'Abide With Me' की धुन बजाई थी. तभी से ये धुन हर साल बजाई जाती थी. हालांकि इस धुन को 2020 में हटा दिया गया है था फिर विवादों के कारण 2021 में दोबाा बजाया गया था. लेकिन इस साल बीटिंग रिट्रीट में स्वेदशी धुन ही बजाए जाएगी. इस साल कदम-कदम बढ़ाए जा, ऐ मेरे वतन के लोगों, फौलाद का जिगर, शंखनाद, भागीरथी धुन बजने वाली हैं. 

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