टारगेट नंबर 8: लश्कर के इस कैंप को उड़ाकर भारत ने लिया 26/11 मुंबई हमले का बदला, जानिए कितना खतरनाक था

Operation Sindoor Target Number 8: शवाई नाला कैंप लश्कर-ए-तैयबा का एक प्रमुख और महत्वपूर्ण आतंकी ट्रेनिंग सेंटर था, जो साल 2000 में एक्टिव हुआ था. यह उन कैंपों में से एक था जहां कम उम्र के युवाओं का माइंड वॉश करके भर्ती किया जाता था और आतंक फैलाने के लिए ट्रेनिंग दी जाती थी.  इस कैंप ने 26/11 के मुंबई हमलों में शामिल आतंकियों, जैसे अजमल कसाब को भी ट्रेनिंग दी थी.

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लश्कर-ए-तैयबा का मुजफ्फराबाद में शवाई नाला कैंप लश्कर-ए-तैयबा का मुजफ्फराबाद में शवाई नाला कैंप

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 09 मई 2025,
  • अपडेटेड 5:30 PM IST

Operation Sindoor Target Number 8: आज हर भारतीय 'ऑपरेशन सिंदूर' की सफलता पर गर्व कर रहा है. भारत ने पाकिस्तान में नौ आतंकी ठिकानों को उड़ाकर पहलगाम, पुलवामा, पठानकोट, मुंबई 26/11 समेत कई आतंकी हमलों का बदला लिया है. नौ आतंकी ठिकानों में पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर (PoJK) के मुजफ्फराबाद में लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का आतंकी ठिकाना, शवाई नाला कैंप शामिल हैं. बताया जाता है कि मुंबई 26/11 आतंकी हमले में शामिल अजमल कसाब ने इसी कैंप में ट्रेनिंग ली थी.

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कहां है लश्कर का शवाई नाला आतंकी कैंप?
शवाई नाला कैंप मुजफ्फराबाद-नीलम सड़क पर चेलाबंदी पुल के पास, मुजफ्फराबाद, PoJK में स्थित है. इसे हुजैफा बिन यमन और बैत-उल-मुजाहिदीन कैंप के नाम से भी जाना जाता है. कैंप में एक फायरिंग रेंज, ट्रेनिंग ग्राउंड, लश्कर का मदरसा और करीब 40 कमरे शामिल हैं. इसके अलावा, यहां आतंकी कमांडरों और प्रशिक्षकों के लिए आवासीय सुविधाएं भी हैं.

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25 साल से चल रहा था लश्कर-ए-तैयबा का शवाई नाला कैंप
शवाई नाला कैंप लश्कर-ए-तैयबा का एक प्रमुख और महत्वपूर्ण आतंकी ट्रेनिंग सेंटर था, जो साल 2000 में एक्टिव हुआ था. यह उन कैंपों में से एक था, जहां कम उम्र के युवाओं का माइंड वॉश करके भर्ती किया जाता था और आतंक फैलाने के लिए ट्रेनिंग दी जाती थी. इस कैंप ने 26/11 के मुंबई हमलों में शामिल आतंकियों, जैसे अजमल कसाब को भी ट्रेनिंग दी थी.

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आतंकियों को दी जाती थी ट्रेनिंग
लश्कर के दौरा-ए-आम ट्रेनिंग आतंकी कैंप में धार्मिक कट्टरता, फिजिकल ट्रेनिंग, जीपीएस और नक्शा पढ़ने की टेक्निक, साथ ही राइफल और ग्रेनेड जैसे हथियारों को चलाना सिखाया जाता था. लश्कर प्रमुख हाफिज सईद पहले यहां नए आतंकियों का स्वागत करता था. शुरुआती ट्रेनिंग के बाद, आतंकियों को अन्य लश्कर कैंपों में आगे के प्रशिक्षण के लिए भेजा जाता था. समय-समय पर यहां स्पेशल वेपन्स की ट्रेनिंग और ट्रेंड कमांडरों के लिए रिफ्रेशर कोर्स भी आयोजित किए जाते थे.

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पाकिस्तानी सेना और ISI की भूमिका
सूत्रों का यहां तक कहना है कि इस कैंप में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी (आईएसआई) ट्रेनिंग के लिए पाकिस्तानी सेना के प्रशिक्षकों को उपलब्ध कराती है, जो लश्कर आतंकियों को हथियार चलाने की ट्रेनिंग देते थे. यह कैंप पाकिस्तानी समर्थन के साथ आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण केंद्र है.

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200-250 आतंकियों वाला कैंप
शवाई नाला कैंप में 200-250 आतंकियों के ठहरने की क्षमता है. सामान्य तौर पर, यहां 50-100 आतंकी विभिन्न आतंकी गतिविधियों और प्रशिक्षण में शामिल रहते हैं. 2023 से इस कैंप में गतिविधियों में तेजी आई है, और अधिक आतंकियों को समायोजित करने के लिए निर्माण कार्य भी चल रहे हैं. यह कैंप भारत में घुसपैठ से पहले आतंकियों के लिए एक स्टेजिंग कैंप के रूप में भी काम करता है. यहां प्रशिक्षित आतंकी उत्तरी कश्मीर की सीमा से सटे अथमुकाम, लीपा, दुदनियाल, तेजियन और केल जैसे लॉन्चिंग ठिकानों में भेजे जाते हैं.

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लश्कर कमांडर अबू दुजाना के पास थी कैंप की कमान
शवाई नाला कैंप की कमान लश्कर कमांडर अबू दुजाना के पास थी, जिन्हें कमर भाई सहायता करता था. कमर भाई आतंकियों के ट्रेनिंग प्रोग्राम की देखरेख करता था. इसके अलावा कई लश्कर कमांडर समय-समय पर इस कैंप का दौरा करते थे. लश्कर की संस्था जमात-उद-दावा का कार्यालय, जो चेला बंदी, मुजफ्फराबाद में स्थित है, इस कैंप के संचालन में सहायता करता था.

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इंटरनेशनल लेवल पर आतंकी संगठन घोषित
लश्कर-ए-तैयबा को कई देशों, जैसे ब्रिटेन (2001), अमेरिका (2001), भारत (2002) और ऑस्ट्रेलिया (2003) ने आतंकी संगठन घोषित किया है. 2008 के मुंबई हमलों के बाद, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1267 के तहत लश्कर को प्रतिबंधित संगठन की सूची में शामिल किया गया. इसके बावजूद, शवाई नाला कैंप जैसे ठिकाने आतंकी गतिविधियों को संचालित करते रहे.

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भारत का हमला
7 मई 2025 की रात भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत शवाई नाला कैंप को निशाना बनाया. इस सटीक हमले में लश्कर का यह महत्वपूर्ण प्रशिक्षण केंद्र पूरी तरह नष्ट कर दिया गया. यह हमला 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जवाब था, जिसमें 26 लोग मारे गए थे.

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