टारगेट नंबर 2: लादेन का चंदा, कसाब की ट्रेनिंग... भारत ने एयरस्ट्राइक में मुरीदके के जिस लश्कर कैंप को उड़ाया उसकी पूरी डिटेल

लाहौर से लगभग 33 किलोमीटर दूर ऐतिहासिक ग्रैंड ट्रंक रोड पर स्थित मुरीदके लश्कर-ए-तैयबा का हेडक्वार्टर है. इसे 'मरकज़-ए-तैयबा' कहा जाता है. इस परिसर में मस्जिद और गेस्ट हाउस के निर्माण के लिए लादेन ने एक करोड़ रुपये की मदद की थी. 

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ओसामा बिन लादेन और कसाब ओसामा बिन लादेन और कसाब

अरविंद ओझा

  • नई दिल्ली,
  • 07 मई 2025,
  • अपडेटेड 12:02 PM IST

भारतीय सेना ने मंगलवार देर रात बड़ी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर एयरस्ट्राइक की. ये तीनों सेनाओं की ज्वॉइंट कार्रवाई थी, जिसे ऑपरेशन सिंदूर नाम दिया गया है. भारतीय सेना ने पाकिस्तान के जिन नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया है. उनमें मुरीदके भी है, जहां लश्कर का हेडक्वार्टर है, जिसे बनाने में ओसामा बिन लादेन ने एक करोड़ रुपये दान किए थे.

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लाहौर से लगभग 33 किलोमीटर दूर ऐतिहासिक ग्रैंड ट्रंक रोड पर स्थित मुरीदके लश्कर-ए-तैयबा का हेडक्वार्टर है. इसे 'मरकज़-ए-तैयबा' कहा जाता है. इस परिसर में मस्जिद और गेस्ट हाउस के निर्माण के लिए लादेन ने एक करोड़ रुपये की मदद की थी. 

पाकिस्तान के आईएसआई की ओर से अजमल कसाब सहित 2008 मुंबई आतंकी हमले के सभी दोषियों को यहीं ट्रेनिंग दी गई थी. बता दें कि यह परिसर जैश के बहावलपुर हेडक्वार्टर की तरह लश्कर का वैचारिक, लॉजिस्टिक और ऑपरेशनल सेंटर है, जहां पाकिस्तान और कश्मीर से सैकड़ों भर्तियां लाई जाती हैं और उन्हें आतंकी अभियानों के लिए प्रशिक्षित किया जाता है.

करीब 200 एकड़ में फैला यह परिसर दुनिया के सबसे बड़े आतंकी ठिकानों में से एक माना जाता है. इसकी स्थापना 1980 के दशक के अंत में हाफिज सईद ने ISI की मदद और बाहरी फंडिंग से की थी.

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सैटेलाइट इमेज से पता चलता है कि मरकज़ एक आधुनिक सुविधाओं वाली टाउनशिप है. इसका मुख्य केंद्र एक मस्जिद है, जिसके चारों ओर स्कूल, प्रशिक्षण केंद्र और खुले मैदान हैं, जहां जंग के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है. इस परिसर में अस्पताल, कार्यालय, बैंक और अन्य व्यावसायिक इकाइयां भी हैं.

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