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दलदल, सांप, बिच्छू वाले सर क्रीक बॉर्डर की कहानी, जिसे लेकर राजनाथ सिंह वे पाकिस्तान को दी चेतावनी

aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 02 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 2:34 PM IST
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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी दी है. उन्होंने कहा कि अगर उसने सर क्रीक क्षेत्र में कोई भी हिमाकत की तो उसे ऐसा करारा जवाब मिलेगा कि उसका इतिहास और भूगोल दोनों बदल जाएगा. असल में, यह जगह गुजरात (भारत) के कच्छ क्षेत्र को पाकिस्तान के सिंध प्रांत से अलग करती है.
Photo: ITG
 

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देश के जवान भारत के हर बॉर्डर पर सीना ताने खड़े हैं ताकि भारत माता और यहां रहने वाला हर शख्स बिना किसी डर के जी पाए. आतंकवादियों को मुँहतोड़ जवाब देने वाले जवान तपती धूप, कड़ाके की ठंड, बारिश में भी देश की रक्षा के लिए बॉर्डर से पीछे हटने का नाम नहीं लेते हैं. सर क्रीक भी ऐसी ही एक जगह है. इस जगह पर पाकिस्तान की हमेशा से नज़र रहती है. यह एक ऐसी जगह है जहाँ तैनाती के लिए स्पेशल कमांडो को भेजा जाता है.
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भारत और पाकिस्तान के बीच सर क्रीक क्षेत्र का विवाद बहुत पुराना है. यह विवाद 1960 के दशक से दोनों देशों के बीच पनप रहा है और लंबित है. यह क्षेत्र गुजरात और सिंध प्रांत के बीच स्थित है और समुद्री सीमांकन से जुड़ा हुआ है.
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इस जगह की रक्षा करना अपने आप में एक अनूठा चैलेंज है. यहाँ धरती और पानी में दलदल का साम्राज्य है. सीमा प्रहरियों को कहीं भी ऐसी चुनौतियों का सामना नहीं करना पड़ता. यहाँ का क्लाइमेट बदलता रहता है. सांप-बिच्छू कभी भी दिख जाते हैं, लेकिन भारतीय जवान यहाँ आसानी से अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं. दुख-तकलीफ भूलकर वे हर समय मुस्कुराते हुए चलते रहते हैं.
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यहां पर क्रीक क्रोकोडाइल कमांडोज़ को तैनात किया गया है. इन कमांडोज़ को विशेष काम के लिए तैनात किया जाता है ताकि बॉर्डर एरिया को अच्छी तरह से डोमिनेट किया जा सके. दोनों देशों के बीच अपने चैनल की अंतर्राष्ट्रीय बाउंड्री को लेकर डिस्प्यूट सेटल नहीं हो पाया है. सभी भारतीय जवान अपनी ड्यूटी के प्रति डेडिकेटेड हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि इस इलाके से कोई भी हमला न हो.
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यहां तैनात जवान दलदल, कीचड़ और गहरे पानी में बॉर्डर की रक्षा करते हैं. यह भारत के सबसे चुनौतीपूर्ण सरहदों में से एक है, जहाँ लगभग 4050 वर्ग किलोमीटर दलदल में सीमा की तैनाती की जाती है. यह एक ऐसी सरहद है, जहाँ ज़मीन का हिस्सा दिन में दो बार पानी के नीचे चला जाता है और जब उभरता है तो नया रूप लेकर.
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यह बॉर्डर ख़तरनाक इसलिए है, क्योंकि पांव के नीचे ज़मीन की कोई गारंटी नहीं है. कहां धरती ठोस है और कहां अचानक आपको निगलने को आतुर, पता नहीं चलता. यहां पर गर्म हवाएं चलती हैं और छोटे-छोटे क्रीक हैं, जिनमें नावों का जाना संभव नहीं है, इसलिए जवान पैदल ही इसे पार करते हैं.
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यहां तापमान बहुत तेज़ी से बदलता है. गर्मी के मौसम में उमस जानलेवा हो जाती है. यहां के पानी में नमक महसूस होता है. अगर आप नाव से जा रहे हैं और पानी आपकी त्वचा को लगता है, तो उससे जलन भी होती है. इस इलाके में ठोस ज़मीन पर चौकी (पोस्ट) बनाना संभव नहीं है, क्योंकि यह सब दलदल और पानी वाला क्षेत्र है. इसलिए तैरती हुई चौकियां (Floating BOPs) बनाई गई हैं, जो पानी में ही रहती हैं. जवान नावों से इन चौकियों तक पहुंचते हैं और वहां से पेट्रोलिंग करते हैं.
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बीएसएफ की एक स्पेशल यूनिट है जो दलदली और खाड़ी वाले क्षेत्रों में तैनात रहती है. इन्हें क्रीक क्रोकोडाइल कमांडोज़ कहते हैं. ये पानी और दलदल दोनों जगहों पर काम करने में माहिर हैं. इनकी ट्रेनिंग बहुत कठिन होती है, ताकि वे किसी भी हालात में पेट्रोलिंग कर सकें. भारत ने इस क्षेत्र में स्मार्ट फेंसिंग लगाई है. इसमें कैमरे और लेज़र लगे हैं, ताकि दुश्मन घुसपैठ न कर सके. यह तकनीक दलदली इलाकों में सुरक्षा को और मजबूत बनाती है. पुरुषों के साथ यहाँ महिला जवान भी तैनात रहती हैं.
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