9 जुलाई 2025 को राजस्थान के चुरू जिले में भारतीय वायुसेना का एक जगुआर फाइटर जेट दुर्घटनाग्रस्त हो गया. यह हादसा रतनगढ़ तहसील के भानुदा गांव में हुआ, जहां दोपहर करीब 1:25 बजे यह विमान एक खेत में आग का गोला बनकर गिरा. यह जगुआर विमान दो सीटों वाला (ट्विन-सीटर) था. इसनेसूरतगढ़ वायुसेना बेस से उड़ान भरी थी. पायलट की स्थिति अभी तक स्पष्ट नहीं है. बचाव कार्य शुरू हो चुके हैं.
हादसे का विवरण
यह जगुआर फाइटर जेट भारतीय वायुसेना का एक महत्वपूर्ण लड़ाकू विमान है, जो सूरतगढ़ वायुसेना बेस से नियमित उड़ान पर था. रक्षा सूत्रों के अनुसार, यह विमान चुरू जिले के रतनगढ़ क्षेत्र में भानुदा गांव के पास एक खेत में क्रैश हो गया. प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि विमान हवा में अचानक असंतुलित हो गया. तेजी से नीचे गिरने से पहले आग का गोला बन गया. हादसे के बाद इलाके में धुएं का गुबार छा गया, जिससे स्थानीय लोग दहशत में आ गए.
यह भी पढ़ें: जिस एयर डिफेंस सिस्टम पर भरोसा कर PAK ऑपरेशन सिंदूर में पिटा, उसे अब चीन ने ईरान को दिया
जगुआर विमान क्या है?
जगुआर एक लड़ाकू विमान है, जिसे 1970 के दशक में ब्रिटेन और फ्रांस ने मिलकर बनाया था. भारतीय वायुसेना इसे 1979 से इस्तेमाल कर रही है. यह विमान जमीन पर हमला करने और हवाई रक्षा के लिए जाना जाता है.
यह भी पढ़ें: भारतीय नौसेना को मिला पहला स्वदेशी डाइविंग सपोर्ट वेसल ‘निस्तार’, समुद्र में रेस्क्यू ऑपरेशन होंगे और मजबूत
पहले भी हो चुके हैं जगुआर के हादसे
यह इस साल का तीसरा जगुआर विमान हादसा है, जो चिंता का विषय है. इससे पहले...
अप्रैल 2025: गुजरात के जामनगर के पास सुवर्डा गांव में एक जगुआर विमान क्रैश हुआ था. उस हादसे में दो पायलटों में से एक की मौत हो गई थी, जबकि दूसरा सुरक्षित इजेक्ट कर पाया था. यह हादसा रात के समय ट्रेनिंग मिशन के दौरान हुआ था.
मार्च 2025: हरियाणा के अंबाला एयरबेस से उड़ान भरने के बाद एक जगुआर विमान क्रैश हो गया था. उसमें पायलट सुरक्षित इजेक्ट कर पाया था.
इन हादसों की वजह ज्यादातर तकनीकी खराबी बताई गई है. चुरू में हुए इस हादसे की वजह भी तकनीकी खराबी हो सकती है, लेकिन अभी इसकी जांच शुरू नहीं हुई है.
हादसे की वजह और जांच
हादसे की सटीक वजह अभी स्पष्ट नहीं है. भारतीय वायुसेना ने इसकी जांच शुरू कर दी है. संभावित कारणों में शामिल हो सकते हैं...
वायुसेना और रक्षा मंत्रालय की टीमें मलबे की जांच करेंगी. ब्लैक बॉक्स (फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर) का विश्लेषण करेंगी. जांच के बाद ही हादसे की असल वजह सामने आएगी.
भारतीय वायुसेना के लिए चुनौती
जगुआर विमान भारतीय वायुसेना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, लेकिन इनके बार-बार क्रैश होने से सवाल उठ रहे हैं. ये विमान 40 साल से ज्यादा पुराने हैं. इन्हें आधुनिक बनाने की कोशिशें चल रही हैं. भारतीय वायुसेना अब नए विमानों, जैसे राफेल और स्वदेशी तेजस पर ज्यादा ध्यान दे रही है. फिर भी, जगुआर अभी भी कई मिशनों के लिए जरूरी हैं.
यह भी पढ़ें: Agni, K-9 Vajra, Rafale... भारत के 10 खतरनाक हथियार जिनके आगे बेबस हो जाएगा पाकिस्तान
आइए जानते हैं इसकी ताकत...
जगुआर फाइटर जेट को सेपेकैट जगुआर (SEPECAT Jaguar) भी बुलाते हैं. इसे पहले ब्रिटिश और फ्रांसीसी वायुसेना इस्तेमाल करती थी. भारतीय वायुसेना में अब भी यह सेवा दे रहा है. 1968 से 1981 तक दुनिया में कुल 573 जगुआर फाइटर जेट बनाए गए.
भारतीय वायुसेना के पास 160 जगुआर विमान हैं, जिनमें से 30 ट्रेनिंग के लिए हैं. इसका मुख्य काम ही ग्राउंड अटैक करना है. भारत में इसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड बनाती है. इस विमान के कई वैरिएंट्स हैं. किसी को एक पायलट उड़ाता है. तो किसी को 2 पायलट मिलकर उड़ाते हैं.
36 हजार फीट पर 1700 km/hr की स्पीड
55.3 फीट लंबे विमान का विंगस्पैन 28.6 फीट है. जबकि ऊंचाई 16.1 फीट है. टेकऑफ के समय इसका अधिकतम वजन 15,700 किलोग्राम होता है. इसमें 2 रोल्स रॉयस टर्बोमेका अडोर एमके.102 के इंजन लगा है. इसमें 4200 लीटर फ्यूल आता है. इसके अलावा 1200 लीटर के ड्रॉप टैंक्स भी लगाए जा सकते हैं.
समुद्री सतह के ऊपर इसकी अधिकतम गति 1350 किलोमीटर प्रतिघंटा है. जबकि, 36 हजार फीट की ऊंचाई पर यह 1700 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ान भर सकता है. सारे फ्यूल टैंक अगर भरे हों तो यह 1902 किलोमीटर की रेंज कवर करता है.
यह भी पढ़ें: LR-LACM... रडार नहीं पकड़ पाएगा, परमाणु अटैक में भी सक्षम... तुर्की का दुश्मन ग्रीस भारत से चाहता है ये मिसाइल
अधिकतम 46 हजार फीट तक जा सकता है
अधिकतम 46 हजार फीट की ऊंचाई तक जा सकता है. ये मात्र डेढ़ मिनट में 30 हजार फीट पहुंच जाता है. इसकी बड़ी खासियत थी कि यह 600 मीटर के छोटे रनवे पर से भी टेकऑफ या लैंडिंग कर लेता था.
7 जगहों पर लगते हैं हथियार
इसमें 30 मिलिमीटर के 2 कैनन लगे है, जो हर मिनट 150 गोलियां दागते हैं. इसमें कुल मिलाकर 7 हार्डप्वाइंट्स हैं. 4 अंडर विंग, 2 ओवर विंग और एक सेंट्रल लाइन में. यह 4500 किलोग्राम वजनी हथियार उठाकर उड़ान भर सकता है.
इसमें 8 Matra रॉकेट पॉड्स के साथ 68 मिलिमीटर के 18 SNEB रॉकेट लगा रहता है. इसमें एक एंटी-राडार मिसाइल, 2 हवा से हवा में मार करने वाली AIM-9 साइड विंडर मिसाइल, RudraM-1 एंटी-रेडिएशन मिसाइल, हार्पून एंटी-शिप मिसाइल, सी-ईगल एंटी-शिप मिसाइल, प्रेसिशन गाइडेड म्यूनिशन, स्मार्ट एंटी-एयरफील्ड वेपन, कई तरह के गाइडेड या अनगाइडेड बम, परमाणु बम लगाए जा सकते हैं.
ऋचीक मिश्रा / शिवानी शर्मा