ताइवान – एक छोटा-सा द्वीप जो दुनिया के सबसे बड़े सैन्य खतरे का सामना कर रहा है. चीन, जो ताइवान को अपना हिस्सा मानता है, लगातार अपनी सेना बढ़ा रहा है. विमान, जहाज और मिसाइलें ताइवान के आसपास घूम रही हैं. ऐसे में ताइवान अमेरिका की मदद से खुद को मजबूत बना रहा है. पहले अमेरिकी मिसाइल डिफेंस सिस्टम आया. अब डिफेंस बजट बढ़ाने का प्लान है. जानते हैं कि कौन से अमेरिकी हथियार ताइवान में तैनात हैं, कितना बजट है और चीन का खतरा क्या है.
चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) दुनिया की सबसे बड़ी सेना है. 2025 में चीन ने अपना डिफेंस बजट 7.2% बढ़ाकर 245 बिलियन डॉलर (करीब 20 लाख करोड़ रुपये) कर दिया. वे ताइवान पर कब्जा करने की धमकी देते रहते हैं.
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ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते कहते हैं कि हमारी सबसे बड़ी कमजोरी आत्मसमर्पण है. इसलिए ताइवान असिमेट्रिक वॉरफेयर पर फोकस कर रहा है – छोटे, तेज हथियार जो बड़े दुश्मन को हराएं.
ताइवान का डिफेंस बजट पहले कम था – GDP का 2.5%. लेकिन अब बदलाव आया है.
चीन के हमलों का डर. ताइवान कहता है कि युद्ध की तैयारी से युद्ध टलता है. लेकिन विपक्षी पार्टियां (KMT, TPP) बजट काटने की कोशिश कर रही हैं. यह बजट ताइवान को मजबूत बनाएगा – ज्यादा गोला-बारूद, ट्रेनिंग और घरेलू हथियार बनाना.
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अमेरिका ताइवान को डिफेंसिव हथियार बेचता है – 1979 के ताइवान रिलेशंस एक्ट के तहत. 2025 में ट्रंप सरकार ने पहली बिक्री की – 330 मिलियन डॉलर की F-16 जेट पार्ट्स. कुल बिक्री 2021 से 18 बिलियन डॉलर हो चुकी है. बैकलॉग (बाकी डिलीवरी) 21.54 बिलियन डॉलर का है.
NASAMS (National Advanced Surface-to-Air Missile System)
यह एक बहुत ताकतवर एयर डिफेंस सिस्टम है जो आसमान से आने वाले मिसाइल, लड़ाकू विमान और ड्रोन को मार गिराता है. यूक्रेन युद्ध में यह सिस्टम रूस के हमलों को रोक चुका है. ताइवान को इसके 3 यूनिट और रडार मिल रहे हैं. कीमत करीब 700 मिलियन डॉलर है. कॉन्ट्रैक्ट नवंबर 2025 में हुआ. पहली डिलीवरी इसी साल के अंत तक आएगी. इन्हें ताइपे के सोंगशान एयरपोर्ट और न्यू ताइपे के तमसुई इलाके में तैनात किया जाएगा. यहां ये Patriot और ताइवान की खुद की Sky Bow मिसाइलों के साथ मिलकर तीन परतों वाला मजबूत सुरक्षा कवच बनाएंगे.
Patriot PAC-3 MSE
यह दुनिया का सबसे अच्छा बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम है. यह चीन की लंबी दूरी की मिसाइलों को भी बीच रास्ते में रोक सकता है, रेंज 100 किलोमीटर से ज्यादा है. ताइवान को 100 मिसाइलें मिल रही हैं. इनकी कीमत 882 मिलियन डॉलर है. डिलीवरी 2025 में शुरू होगी. 2026 तक ये पूरी तरह से तैयार हो जाएंगी. ये उत्तरी ताइवान के बड़े एयर बेस पर तैनात होंगी ताकि राजधानी ताइपे और मुख्य शहरों को सीधे बचाया जा सके.
HIMARS (High Mobility Artillery Rocket System)
यह चलता-फिरता रॉकेट लॉन्चर है जो 300 किलोमीटर दूर तक मार कर सकता है. अगर चीन हमला करे तो ये ताइवान से ही चीन के तटीय इलाकों और जहाजों पर सीधा हमला कर सकता है. ताइवान को कुल 29 लॉन्चर, 84 ATACMS मिसाइलें और 864 GMLRS रॉकेट मिल रहे हैं. पूरी डील की कीमत 1.06 बिलियन डॉलर है. पहली 11 यूनिट जनवरी 2025 में ही आ चुकी हैं. बाकी 2026-27 में आएंगी. इन्हें पश्चिमी ताइवान, उत्तरी और दक्षिणी हिस्सों में और पेंघू द्वीप पर तैनात किया जा रहा है.
ATACMS मिसाइलें
ये HIMARS में इस्तेमाल होने वाली 300 किलोमीटर रेंज वाली मिसाइलें हैं. ये सीधे चीन के तट पर मौजूद एयर बेस और जहाजों को निशाना बना सकती हैं. ताइवान को पहली बैच में 16 मिसाइलें जनवरी 2025 में मिलीं. 20 और आने वाली हैं. ये HIMARS डील का हिस्सा हैं और अलग से खरीदने की जरूरत नहीं पड़ी.
Harpoon Anti-Ship Missiles
ये समुद्र में जहाज डुबोने के लिए खास मिसाइलें हैं. ताइवान के तट से दागी जाएंगी और चीन के युद्धपोतों को पानी में डुबो सकती हैं. ताइवान को 5 लॉन्चर और AGM-84L-1 Block II मिसाइलें मिल रही हैं. यह 2025 की डील का हिस्सा है. 2027 तक पूरी डिलीवरी हो जाएगी. ये पूरे तटीय इलाके में तैनात होंगी.
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F-16, C-130 और IDF जेट के स्पेयर पार्ट्स
ताइवान के पास पहले से अमेरिकी F-16 फाइटर जेट और C-130 ट्रांसपोर्ट प्लेन हैं. अब उनके लिए जरूरी स्पेयर पार्ट्स और रिपेयर किट आ रही हैं ताकि पुराने जेट हमेशा उड़ान भरने को तैयार रहें. नवंबर 2025 में 330 मिलियन डॉलर की डील हुई. ये पार्ट्स ताइवान के सभी बड़े एयर फोर्स बेस पर इस्तेमाल होंगे.
Switchblade Drones
ये बहुत छोटे-छोटे आत्मघाती ड्रोन हैं. एक सैनिक बैग में लेकर चल सकता है और दुश्मन के टैंक या सैनिकों पर सीधे टकरा कर धमाका कर सकता है. ताइवान को कुल 685 ड्रोन मिल रहे हैं. इनमें से 66 पहले ही आ चुके हैं. 2025 के अंत तक 150 और आएंगे, बाकी 2026 में. ये ताइवान की आर्मी और मिलिट्री पुलिस के पास रहेंगे.
Altius-600M Drones
ये थोड़े बड़े ड्रोन हैं जो दुश्मन की जासूसी भी कर सकते हैं और हमला भी. इनकी डिलीवरी 2025 में शुरू हो चुकी है और बाकी बैकलॉग में हैं. ये ताइवान के अलग-अलग इलाकों में तैनात होंगे. इन सब हथियारों से ताइवान अब चीन के किसी भी हमले को बहुत महंगा बनाने के लिए पूरी तरह तैयार हो रहा है.
ये हथियार ताइवान को पॉर्च स्पाइन रणनीति देते हैं – चीनी आक्रमण को महंगा बना देंगे.
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चीन इसे आंतरिक मामला कहकर हर US सेल पर गुस्सा करता है. लेकिन ताइवान कहता है कि शांति के लिए ताकत जरूरी है. 40 बिलियन का बजट पास होना बाकी – विपक्ष रोक सकता है.
ऋचीक मिश्रा