यूक्रेन युद्ध में इस्तेमाल हो रही Javelin Missiles भारत को देगा अमेरिका, वॉर जोन में जानिए ये कितने काम का

अमेरिका ने भारत को 100 जैवलिन एंटी-टैंक मिसाइलें और 25 लॉन्चर बेचने की मंजूरी दे दी है. कुल डील करीब 780 करोड़ रुपये की है. यूक्रेन युद्ध में ये मिसाइलें रूसी टैंकों को आसानी से तबाह कर रही हैं. फायर एंड फॉरगेट तकनीक वाली जैवलिन पहाड़ी इलाकों में चीन-पाकिस्तान के टैंकों के लिए बहुत घातक साबित होंगी.

Advertisement
अमेरिकी सैनिक जेवलिन मिसाइल फायर करते हुए. (File Photo: Wikipedia/U.S. Army/Sgt. Liane Hatch) अमेरिकी सैनिक जेवलिन मिसाइल फायर करते हुए. (File Photo: Wikipedia/U.S. Army/Sgt. Liane Hatch)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 20 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 10:06 AM IST

अमेरिका ने भारत को जैवलिन एंटी-टैंक मिसाइलें बेचने की मंजूरी दे दी है. ये वही मिसाइलें हैं जो यूक्रेन युद्ध में रूस के बड़े-बड़े टैंकों को आसानी से तबाह कर रही हैं. अमेरिका की डिफेंस सिक्योरिटी कोऑपरेशन एजेंसी (DSCA) ने बुधवार को यह ऐलान किया. कुल डील की कीमत करीब 93 मिलियन डॉलर (लगभग 780 करोड़ रुपये) है.

इस डील में दो मुख्य चीजें शामिल हैं...

  • जैवलिन मिसाइल सिस्टम – कीमत करीब 45.7 मिलियन डॉलर.
  • एक्सकैलिबर प्रिसीजन गाइडेड तोप के गोले – कीमत करीब 47.1 मिलियन डॉलर.

जैवलिन मिसाइल के लिए भारत को मिलेंगी

  • 100 जैवलिन मिसाइलें (FGM-148 मॉडल)
  • 25 लाइटवेट कमांड लॉन्च यूनिट (यानी मिसाइल छोड़ने वाला लॉन्चर)

यह भी पढ़ें: भारतीय सेना के कॉम्बैट यूनिफॉर्म की नकल की तो अब खैर नहीं... जुर्माना या मुकदमा दोनों हो सकता है

Advertisement

एक टेस्ट मिसाइल

  • ट्रेनिंग के लिए सिमुलेटर, स्पेयर पार्ट्स, ट्रेनिंग और रखरखाव की पूरी सुविधा.
  • एक्सकैलिबर के लिए 216 गोले मिलेंगे, जो जीपीएस से चलते हैं और बहुत सटीक निशाना लगाते हैं.

जैवलिन मिसाइल क्या है और कितनी खतरनाक है?

जैवलिन एक पोर्टेबल (कंधे पर रखकर चलाने वाली) एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल है. इसे अमेरिका की दो बड़ी कंपनियां – लॉकहीड मार्टिन और RTX (पहले रेथियॉन) – मिलकर बनाती हैं.

यह भी पढ़ें: भारतीय सेना अब सिर्फ हथियारों से नहीं... नेटवर्क, AI और टेक्नोलॉजी से भी दुश्मन को हराएगी

इसकी खास बातें... 

फायर एंड फॉरगेट: सैनिक मिसाइल छोड़ता है, फिर भाग सकता है. मिसाइल खुद निशाना ढूंढकर ऊपर से टैंक पर हमला करती है (टॉप अटैक). टैंक का ऊपरी हिस्सा सबसे कमजोर होता है, इसलिए एक ही वार में टैंक खत्म.

  • रेंज: करीब 4 किलोमीटर तक मार कर सकती है. नई वाली और दूर तक जा सकती है.
  • वजन: सिर्फ 22 किलो. एक सैनिक आसानी से कंधे पर लेकर घूम सकता है. पहाड़ों में भी काम आती है.
  • दो मोड: ऊपर से हमला या सीधा हमला. बंकर या हेलीकॉप्टर पर भी इस्तेमाल हो सकती है.

यह भी पढ़ें: Comet 3I/ATLAS: सौरमंडल में घूमने आया 'मेहमान'... भारत के टेलिस्कोप ने खींची पहली तस्वीर

Advertisement

यूक्रेन युद्ध में जैवलिन ने क्या कमाल किया?

2022 से यूक्रेन को अमेरिका ने हजारों जैवलिन मिसाइलें दीं. यूक्रेनी सैनिकों ने इनसे रूस के T-72, T-90 जैसे मजबूत टैंकों को सैकड़ों की संख्या में उड़ा दिया. ये मिसाइल इतनी प्रभावी रही कि इसे "टैंक किलर" कहा जाने लगा. रूसी टैंक ऊपर से हमले का मुकाबला नहीं कर पाते. यही वजह है कि पूरी दुनिया में इसकी तारीफ हो रही है.

भारत को इन मिसाइलों से क्या फायदा?

भारत की सेना को पहले से कुछ जैवलिन मिसाइलें हैं, लेकिन अब नई मिलेंगी तो स्टॉक बढ़ेगा. ये मिसाइलें खासतौर पर...

  • चीन और पाकिस्तान की सीमा पर काम आएंगी.
  • पहाड़ी इलाकों (जैसे लद्दाख) में टैंक रोकने के लिए बहुत उपयोगी.
  • पैदल सैनिकों को मजबूत बनाएंगी. अब दुश्मन के टैंक आने पर डरने की जरूरत नहीं.
  • अमेरिका ने कहा कि यह डील भारत-अमेरिका की दोस्ती को और मजबूत करेगी. इससे हिंद महासागर और दक्षिण एशिया में शांति बनी रहेगी. क्षेत्र में ताकत का संतुलन नहीं बिगड़ेगा.

अभी अमेरिकी संसद (कांग्रेस) को 30 दिन का समय है. अगर कोई आपत्ति नहीं हुई तो डील पक्की हो जाएगी. भारत भविष्य में जैवलिन को भारत में ही बनाने (को-प्रोडक्शन) की भी योजना बना रहा है.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement