19 सितंबर 2025 को भारतीय वायुसेना (IAF) अपने सबसे पुराने और ऐतिहासिक लड़ाकू विमान मिग-21 को अलविदा कहने जा रही है. चंडीगढ़ एयरबेस पर 23 स्क्वाड्रन (पैंथर्स) एक खास समारोह में इस विमान को विदाई देगा. 1963 में पहली बार शामिल हुआ मिग-21 भारत का पहला सुपरसोनिक जेट था, जिसने 62 साल तक देश की हवाई ताकत को मजबूत किया.
उम्र और बार-बार होने वाले हादसों की वजह से इसे 'उड़ता ताबूत' भी कहा जाने लगा. अब इसके रिटायर होने से वायुसेना की ताकत 29 स्क्वाड्रनों तक सिमट जाएगी, जो 1965 के युद्ध के समय से भी कम है. आइए, समझते हैं कि मिग-21 की कहानी क्या है. इसे क्यों रिटायर किया जा रहा है. तेजस Mk1A की देरी ने क्या मुश्किलें खड़ी की हैं.
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मिग-21: भारत का पहला सुपरसोनिक जेट
मिग-21 सोवियत यूनियन (अब रूस) का बनाया हुआ लड़ाकू विमान था, जिसे 1963 में भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया. ये भारत का पहला सुपरसोनिक जेट था, यानी ये ध्वनि की गति से तेज उड़ सकता था. उस समय ये विमान भारत की हवाई ताकत का प्रतीक था.
874 मिग-21 विमानों को वायुसेना में शामिल किया गया, जिनमें से करीब 600 भारत में ही बनाए गए. हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने इनका लाइसेंस्ड प्रोडक्शन किया.
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मिग-21 ने कई बड़े युद्धों में हिस्सा लिया...
लेकिन समय के साथ मिग-21 पुराना हो गया. इसका आखिरी वर्जन, मिग-21 बाइसन, 2000 में अपग्रेड किया गया, जिसमें नया रडार, मिसाइल्स और हेलमेट-माउंटेड साइट्स जोड़े गए. फिर भी, इसकी उम्र और डिजाइन की कमियां सामने आईं.
‘उड़ता ताबूत’ क्यों कहा गया?
मिग-21 का रिकॉर्ड शानदार रहा, लेकिन पिछले कुछ दशकों में इसके हादसों ने इसे बदनाम कर दिया. पिछले 60 सालों में 400 से ज्यादा मिग-21 क्रैश हुए, जिनमें 200 से ज्यादा पायलट्स की जान गई. 2010 के बाद भी 20 से ज्यादा विमान क्रैश हुए. इन हादसों की वजहें थीं...
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इन हादसों की वजह से मिग-21 को 'फ्लाइंग कॉफिन' या 'उड़ता ताबूत' कहा गया। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि मिग-21 की संख्या ज्यादा थी (874 विमान), इसलिए हादसों की संख्या भी ज्यादा लगती है. इसके पुराने होने और सुरक्षा चिंताओं ने इसे रिटायर करने का फैसला जरूरी कर दिया.
मिग-21 की विदाई का प्लान
भारतीय वायुसेना ने 2025 तक सभी मिग-21 को रिटायर करने का फैसला किया है. पहले इसके चार स्क्वाड्रन थे, लेकिन अब सिर्फ दो बचे हैं...
पहले नंबर 4 स्क्वाड्रन (उरियल्स) और नंबर 51 स्क्वाड्रन (स्वॉर्ड आर्म्स) 2022-23 में रिटायर हो चुके हैं. अब बचे हुए 26-31 मिग-21 बाइसन 2025 के अंत तक रिटायर हो जाएंगे. चंडीगढ़ में 23 स्क्वाड्रन का समारोह मिग-21 की आखिरी उड़ान का प्रतीक होगा.
तेजस Mk1A की देरी ने बढ़ाई मुश्किल
मिग-21 को LCA तेजस Mk1A से रिप्लेस करने की योजना थी. तेजस भारत का स्वदेशी लड़ाकू विमान है, जिसे HAL और ADA (एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी) ने बनाया. लेकिन तेजस की डिलीवरी में देरी ने मिग-21 को लंबे समय तक उड़ाने के लिए मजबूर किया.
क्यों हुई देरी?
इंजन की कमी: तेजस Mk1A में GE F404 इंजन लगता है, जो अमेरिका से आता है. सप्लाई चेन की दिक्कतों की वजह से इंजन की डिलीवरी मार्च 2024 की बजाय मार्च 2025 में शुरू हुई. अभी तक सिर्फ दो इंजन आए हैं. मार्च 2026 तक हर महीने दो इंजन मिलने की उम्मीद है.
प्रोडक्शन में देरी: HAL ने 6 तेजस Mk1A तैयार किए, लेकिन इंजन न होने की वजह से ये ग्राउंडेड हैं. HAL ने बेंगलुरु में 16 और नासिक में 24 विमानों की प्रोडक्शन लाइन शुरू की है.
सर्टिफिकेशन: तेजस Mk1A में नए सिस्टम (जैसे AESA रडार, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम) जोड़े गए, जिनके टेस्टिंग में समय लगा. पहली उड़ान मार्च 2024 में हुई थी.
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तेजस Mk1A की खासियतें
वायुसेना ने 83 तेजस Mk1A के लिए 48,000 करोड़ रुपये का ऑर्डर 2021 में दिया था. 97 और जेट का ऑर्डर देने की योजना है. कुल मिलाकर, 220 तेजस 10 स्क्वाड्रन बनाएंगे. लेकिन डिलीवरी में देरी की वजह से मिग-21 को 2025 तक उड़ाना पड़ा.
29 स्क्वाड्रन: वायुसेना की सबसे बड़ी चिंता
मिग-21 के रिटायर होने से वायुसेना के पास सिर्फ 29 स्क्वाड्रन रह जाएंगे, जो 1965 के युद्ध (30 स्क्वाड्रन) से भी कम है. वायुसेना को 42 स्क्वाड्रन की जरूरत है. एक स्क्वाड्रन में 16-18 विमान होते हैं, और इतने कम स्क्वाड्रन से भारत की हवाई ताकत पर असर पड़ सकता है, खासकर जब...
वायुसेना के पास अभी सुखोई-30 MKI, राफेल, मिराज-2000 और तेजस Mk1 जैसे विमान हैं, लेकिन इनकी संख्या जरूरत से कम है. मिग-29, मिराज-2000 और जगुआर भी 2030 तक रिटायर होने शुरू होंगे, जिससे दबाव और बढ़ेगा.
कैसे भरेगा ये गैप?
वायुसेना इस कमी को पूरा करने के लिए कई कदम उठा रही है...
मिग-21 की विरासत
मिग-21 ने भारत को कई ऐतिहासिक जीत दिलाई. इसने 6 भारतीय वायुसेना प्रमुख (4 भारत, 2 पाकिस्तान) दिए और महिला पायलट्स को शामिल करने वाला पहला स्क्वाड्रन भी यही था. इसने इराक जैसे देशों को पायलट ट्रेनिंग भी दी. लेकिन इसके हादसों और पुराने डिजाइन ने इसे रिटायर करना जरूरी कर दिया.
शिवानी शर्मा / ऋचीक मिश्रा