21 जुलाई 2025 को एक बड़ी खबर आई कि भारतीय सेना के अपाचे AH-64E हमलावर हेलिकॉप्टरों की पहली खेप आखिरकार भारत पहुंच गई है. ये तीन हेलिकॉप्टर अमेरिकी परिवहन विमान के जरिए हिंडन एयरबेस पर उतरे हैं.
लगभग 5000 करोड़ रुपये के सौदे के तहत भारत को छह अपाचे हेलिकॉप्टर मिलने थे, लेकिन आपूर्ति में देरी की वजह से 15 महीने का इंतजार करना पड़ा. अब ये हेलिकॉप्टर जोधपुर में तैनात होंगे, जहां ऑपरेशन सिंदूर के बाद पश्चिमी सीमा (पाकिस्तान बॉर्डर) पर ताकत बढ़ाने की जरूरत है.
क्या है ये अपाचे हेलिकॉप्टर?
अपाचे AH-64E दुनिया का सबसे उन्नत हमलावर हेलिकॉप्टर है, जिसे अमेरिका की कंपनी बोइंग बनाती है. इसे उड़ता हुआ टैंक भी कहते हैं, क्योंकि ये तेजी, ताकत और सटीक हमले की क्षमता का बेजोड़ मेल है. इसकी खासियतें हैं...
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भारतीय सेना के लिए ये छह हेलिकॉप्टर 451 एविएशन स्क्वाड्रन के लिए हैं, जो मार्च 2024 में जोधपुर के नगतलाव में बनाया गया था. ये पश्चिमी सीमा पर पाकिस्तान के खिलाफ टैंकों और बख्तरबंद ठिकानों को निशाना बनाने में अहम होंगे.
क्यों हुई इतनी देरी?
भारत ने फरवरी 2020 में अमेरिका के साथ 600 मिलियन डॉलर का सौदा किया था, जिसमें छह अपाचे हेलिकॉप्टर मई-जून 2024 तक मिलने थे. लेकिन कई वजहों से ये डिलीवरी टलती रही...
आपूर्ति की दिक्कत: बोइंग ने ग्लोबल सप्लाई चेन में रुकावटों को वजह बताया. कोविड-19 के बाद और रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से हथियारों के पुर्जों की कमी हो गई.
तकनीकी खराबी: बोइंग को अपाचे के इलेक्ट्रिकल पावर जनरेटर में खराबी मिली, जिससे कॉकपिट में धुआं जमा होने का खतरा था. इसकी वजह से सभी डिलीवरी रोक दी गईं और टेस्टिंग बढ़ाई गई.
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अमेरिकी प्राथमिकता: भारत को US डिफेंस प्रायोरिटीज एंड एलोकेशन सिस्टम (DPAS) में कम रैंकिंग मिली थी, जिससे इंजन और गियरबॉक्स जैसे पुर्जों की आपूर्ति में देरी हुई. अप्रैल-मई 2024 में भारत-अमेरिका कूटनीति से ये समस्या हल हुई, लेकिन फिर भी देरी बनी रही.
पहली खेप मई-जून 2024 में आने वाली थी, फिर दिसंबर 2024 तक टल गई. अब जुलाई 2025 में तीन हेलिकॉप्टर पहुंचे हैं. बाकी तीन अक्टूबर-नवंबर 2025 तक आएंगे.
हिंडन एयरबेस पर क्या हो रहा है?
21 जुलाई 2025 को तीन अपाचे हेलिकॉप्टर हिंडन एयरबेस पर पहुंचे. ये अमेरिकी C-17 ग्लोबमास्टर III परिवहन विमान से आए. अब इन्हें...
पायलट और ग्राउंड स्टाफ पहले ही अमेरिका में ट्रेनिंग ले चुके हैं, इसलिए ये स्क्वाड्रन जल्द ही ऑपरेशनल हो सकता है.
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ऑपरेशन सिंदूर और पश्चिमी सीमा की जरूरत
ऑपरेशन सिंदूर मई 2025 में हुआ, जब भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में पाकिस्तान की सीमा पर सैन्य कार्रवाई की. इस ऑपरेशन में भारतीय वायुसेना के 22 अपाचे हेलिकॉप्टरों ने सटीक हमले किए, जिससे पाकिस्तान के F-7 जेट्स और PL-15 मिसाइल्स की कमजोरी सामने आई.
पाकिस्तान के साथ लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) और इंटरनेशनल बॉर्डर पर तनाव बढ़ा हुआ है. अपाचे हेलिकॉप्टर खास तौर पर राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों में तैनात होंगे, जहां ये...
भारतीय वायुसेना के पास पहले से 22 अपाचे हैं, जो 2015 के 3.1 बिलियन डॉलर के सौदे से आए थे. ये पठानकोट और जोरहाट में तैनात हैं. सेना के अपाचे इनका पूरक होंगे. जमीनी सैनिकों को सीधा हवाई समर्थन देंगे.
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भारतीय सेना का एविएशन कॉर्प्स
आर्मी एविएशन कॉर्प्स भारतीय सेना का अहम हिस्सा है, जो जमीनी सैनिकों को हवाई सहायता देता है. इसके पास कई तरह के हेलिकॉप्टर और ड्रोन हैं...
अपाचे के आने से ये कॉर्प्स और ताकतवर होगा, खासकर ऑपरेशन सिंदूर जैसे मिशनों में.
देरी का असर
15 महीने की देरी ने कई सवाल खड़े किए...
भारत-अमेरिका सहयोग
1 जुलाई 2025 को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हेगसेथ से फोन पर बात की. इस दौरान अपाचे और तेजस Mk1A के लिए GE-F404 इंजन की डिलीवरी तेज करने की मांग की गई. ऑपरेशन सिंदूर में अमेरिका के समर्थन की सराहना की गई. भारत ने आतंकी हमलों के खिलाफ जवाबी कार्रवाई का अधिकार सुरक्षित रखा.
इस बातचीत के बाद डिलीवरी का रास्ता साफ हुआ. पहली खेप 21 जुलाई को पहुंची. भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग को और मजबूत करने के लिए 10 साल का डिफेंस फ्रेमवर्क साइन करने की योजना है.
आगे क्या?
शिवानी शर्मा